पौधा
पौधा
"पापा, आज फिर नया पौधा ले आए, अब किस बेबी का जन्म हुआ ?"
"मेरे दोस्त शर्मा जी की दूसरी पोती हुई है।"
"ओह पापा, तो आपने एक पेड़ का पौधा उन्हें भी दिया होगा।"
"हांँ लेकिन तुम्हे क्या प्रॉब्लम है, मैं अपने पैसों से लाता हूं, तुमसे नहीं लेता।"
"पापा बात पैसों की नहीं है, घर में जगह की है।
आपने घर बाहर हर जगह पौधे लगा दिए है।"
"हांँ तो, देखने में सुंदर भी तो लगते है। मेरी बागवानी और बहू के खानपान से ही इस घर में सभी स्वस्थ है।"
"पापा ये कैसा पागलपन है, आपके कानों में किसी भी बच्चे के जन्म की बात पड़ जाए आप उसके नाम से पौधा घर पर ला कर लगा देते हो। अगर वो बच्चा किसी जान- पहचान का हो तो उसके घर भी एक पौधा दे आते हो। आखिर क्यों ?"
"कमल दल भी भोर होते ही खुलते है, ताकि सुबह भौरे आकर उन पर बैठे और उनके परागकणों को दूर कहीं ले जाकर रोपित करे। दिन में सूरज की रोशनी के साथ, हवा और अनुकूल परिस्थिति में उनका बीज फलेगा फूलेगा। यहां एक फूल भी अपने से ज्यादा अपनी आने वाली पीढ़ी के विषय में सोचता है।"
"पापा, अब आप समझाने के लिए भी फूल पत्ती का ही उदाहरण देंगे।"
"बेटा, हम सभी को अपने पर्यावरण के पेड़ पौधों से सीख लेनी होगी साथ ही उन्हें सहेज के रखना होगा ताकि हमारी आने वाली नई जेनरेशन शुद्ध हवा में सांस ले सके।"
यह सुनकर घर में आया नन्हा पौधा मुस्कुराने लगा।