पैसो की दौड़ में ज़िंदगी

पैसो की दौड़ में ज़िंदगी

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"अरे पुजा...मेरी टाई पिन ढूँढ के दे नहीं मिल रही, देर हो रही हैं... फ़ास्ट..आस्क टाइम ही नहीं हैं सिंगापुर से एक पार्टी के साथ मीटिंग फिक्स की हैं.. बहुत बड़ी डील हैं...बहुत  प्रॉफिट होगा अगर कॉन्ट्रैक्ट मिल गया तो।"

(टाई पिन के साथ पूजा)

" थोड़ा नाश्ता करके जाओ बैठो 2 मिनट्स, क्यूँ दौड़ रहे हो अब पैसों के पीछे ? हमारे पास पैसे कम है क्या, पैसो से तुम क्या खरीदोगे ? क्या पुरानी यादें खरीद सकते हो ? क्या प्यार, दोस्ती, फीलिंग खरीद सकते हो। क्या एक घंटा भी हैं तुम्हारे पास ? कि तुम मेरे और अपने बेटे साहिल के साथ बैठ सको ?  पूरा दिन दौड़भाग 

अपनी सेहत भी बिगाड़ लोगे एक दिन..."

"अरे माय स्वीटी, ये इसलिए तो सब कर रहा हूँ कि इस साल यूरोप जाना हैं तुम्हारे और साहिल के साथ, वह साथ वक़्त मिलेगा खूब एन्जॉय करेंगे, आज दोपहर को फ़ोन मत करना मीटिंग होगी, बाय, साहिल को स्कूल ड्राइवर के साथ भेज देना ठीक हैं।"

राजीव चला गया।  

दोपहर का टाइम- 

स्कूल से फ़ोन-

"क्या आप साहिल की माँ बोल रही हो ?" 

पूजा घबराते हुए..."जी  मेडम जी, मैं ही हूँ पूजा... बताइये क्या हुआ हैं ?"

"आप जल्दी आइए साहिल की सेहत ठीक नहीं है, उल्टिया हो रही हैं, सांसे भी फुल रही हैं। हमने डॉक्टर को बुलाया मगर उन्होंने कहा इमरजेंसी हैं हॉस्पिटल लें जाना पड़ेगा एम्बुलेंस को हमने कॉल कर दिया हैं आप देर ना करे।"

पूजा- "आप उसके साथ रहिये में अभी आई।"

घबराते हुए ड्राइवर के साथ पूजा जल्दी ही स्कूल पहुँची तभी एम्बुलेंस आ पहुँची जल्दी से उसको लेकर हॉस्पिटल में भर्ती कर दिया और फिर राजीव को फ़ोन लगाया।

"स्विच ऑफ।"

तभी साहिल को खून की उल्टिया हुई डॉक्टर ने आइ सी यू में ट्रांसफर किया। खून की बोतल चढ़ाई और डॉक्टर, पुजा के पास आये और बोले- "एक ही बोतल थी खून की 4 बजे तक ख़त्म हो जाएगी, फिर दूसरी बोतल का इंतज़ाम करना पड़ेगा। अभी ब्लड बैंक में भी ये ग्रुप नहीं हैं, अगर आप या आप के पति का ब्लड ग्रुप इनसे मैच होगा सो।

बीच में रोते हुए पूजा ने कहा "मेरा नहीं हैं, मेरे पति का हैं में उन्हें बुलवाती हूँ।" 

कॉल पे कॉलपर "स्विच ऑफ"

फिर ऑफिस फ़ोन किया। 

"साहब को फ़ोन दो।"

"अरे मेडम...सर तो क्लाइंट के साथ बाहर गए हैं मोबाइल ट्राय करे।" 

पूजा रोने लगी और गुस्सा भी आया, डॉक्टर की पूरी टीम साहिल के साथ ही थी मगर बेबस थी ऑक्सीजन भी लगाना पड़ा सांसें फूल रही थी, बोतल खून की ख़त्म होने को थी। वापस खून की उल्टियाँ... 

डॉक्टर भी घबरारा गए।

पूजा भी कुछ नहीं कर पा रही थी। हीमोग्लोबिन कम होता जा रहा था।  जैसे साहिल की आखिरी साँसे चल रही हो ऐसा मालूमात हो रहा था। इन्फेक्शन स्टमक का बढ़ता जा रहा था 5 बजे तक  साहिल की हालत काफी बिगड़ चुकी थी। बड़े डॉक्टर को भी बुलाया था फिर भी पूजा की हालत बुरी थी, अकेली ही सब दुःख झेल रही थी, 6 बजे को आये तभी कॉल लगा राजीव का। 

इतनाे मिस कॉल क्यूँ ? पता हैं ना ! मीटिंग्स... 

 पूजा ने बात काटते हुए रोते हुए कहा साहिल आखरी साँसे गिन रहा है फ़ौरन हॉस्पिटल आ जाओ। 

जैसे राजीव हक्का-बक्का सा हो गया।

गाड़ी से निकल कर राजीव दौड़ता हुआ वहां पहुंचा समझ नहीं पा रहा था, बौखलाया सा था कि एकदम से क्या हो गया। डॉक्टर ने सारी बात बताई। तुरंत टेस्ट करके राजीव का खून लिया। बस तभी पूजा न डॉक्टर को चिल्ला के बोला डॉक्टर प्लीज चैक कीजिये साहिल को।

डॉक्टर ने चेक किया तभी साहिल अपनी आखरी साँसे छोड़ चुका था।

डॉक्टर- "आई ऍम सॉरी।"

पूजा और राजीव रो पड़े के एकदम से क्या से क्या हो गया !

पूजा- "राजीव तुम दोपहर को आते तो आज साहिल ज़िंदा होता।"

राजीव फूट फूट के रोने लगा। उसके पैसों की दौड़ में वो अपने बेटे की ज़िंदगी खो चुका था।


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