पैसेका बोलबाला
पैसेका बोलबाला
चार घंटे के लंबे इंतजार के बाद विपुल का नंबर आया। चेकअप होने पर डॉक्टरने दवाईयोंकी परची दी, जिसे लेकर विप्राके साथ विपुल दीपक अस्पतालसे बाहर निकले। रास्ते में फार्मसी से सारी जरुरी दवाईयाँ खरीद ली। अब तक दोनों ने चाय तक नहीं पी। दोनों को भुखभी लगी थी। विपुलने कहा, – "चलो चाय पीते हैं।" विप्राने कहा – "चलिए।" दोनों एक रेस्तरांमें गए। यहांभी भीड देखकर दोनों सोचने लगे अंदर जाए या नहीं।
उन्हें देखकर, मैनेजर आकर दोनोंसे बोला, "आईए साहब, आईए मॅडम, वो कोनेवाला टेबल खाली है।" उसकी बात सुनकर दोनों उसके पीछे चले गए। उसने इशारे से खाली टेबल दिखाया और दोनों वहां जाकर बैठ गए।
कुछ देर बाद उनका ऑडर आ गया। नाश्ते के बाद विप्रा हात धोने के लिए वॉश बेसन के पास गई। कुछ शब्द उसके कानसे टकराये।
बैरा बोल रहा था – "कैसी कॉफी बनाई?"
टी/कॉफी मेकर - "क्या हुआ?"
बैरा - "वो बेचारा बिना पिए ही चला गया।"
टी/कॉफी मेकर - "तो क्या हुआ ? गया तो जाने दे पैसा तो मिल गया न।"
सुनकर विप्रा हैरान रह गई। अपनी जगह आकर बैठ गई और उनकी बातचीत ने उसे सोचने पर मजबूर कर दिया। उसके बाद विपुल गया। उसके भी कानोंसे कुछ शब्क दराए।
टी/कॉफी मेकर - "क्या हुआ, तेरा मुँह क्यों लटका हुआ है ?"
दूसरा बैरा - "पता नही कहां कहांसे चले आते हैं?"
टी/कॉफी मेकर - "झगडा हो गया है किसीसे ?"
दूसरा बैरा - "पैसा देते हैं तो क्या हुआ? उनके गुलाम तो नहीं..."
टी/कॉफी मेकर - "पर बात क्या हुई ?"
दूसरा बैरा - "कितने नखरे है इनके, कभी ठंडा पानी मांगेगे तो कभी गरम चाय, कभी ठंडी लस्सी तो नाश्ता। एक पल रुकने का नाम नहीं। सब कुछ मुँह से निकलते ही सामने हाजिर होना चाहिए। मैं तो तंग आ गया। चल जल्दी से शक्कर दे। वरना वो चिल्लाएगा।"
टी/कॉफी मेकर - "क्युँ नहीं, पैसे तो देता है न चल, ले जल्दी ले जा..." कहकर उसने शक्कर की कटोरी काउंटर पर रख दी बैरा लेकर चला गया।
विपुल भी हाथ धोकर निकला और अपनी जगह पर आकर बैठ गया। बिल का भुगतान कर के दोनों रिक्षा में बैठकर घर चले आए। दोनों एकदम खामोश थे। जब खामोशी खलने लगी तो दोनों एक दूजे से पूछने लगे।
तब विप्राने अपनी सुनी बात विपुल से कही। उसकी बात सुनने के बाद विपुल ने अपनी सुनी हुई बात कही। दोनों की बातचीत का एक ही निष्कर्ष निकलता है कि, दुनियाँ में पैसे का महत्व संतुष्टी से ज्यादा है। सेवा संतोषजनक हो या न हो पर पैसा संतोषजनक होना चाहिए। देखो न सब जगह पैसे का ही बोलबाला है।
