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Ruchi Singh

Abstract Drama Inspirational

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Ruchi Singh

Abstract Drama Inspirational

पैसे क्या पेड़ पर लगते हैं?

पैसे क्या पेड़ पर लगते हैं?

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 अरे, वाह कितनी सुंदर साड़ी। मै इसे ले लेती हूं" मीना बाजार के शोरूम में सुंदर साड़ी देख रीना बोली।

 कमल बोला "नहीं यार देखो यह कितनी महंगी है" दूसरी साड़ी देखते हुए बोला "यह ले लो यह हमारे बजट में भी है। और अच्छी भी है।" रीना मुँह बनाती हुए कहती हैं "रहने दो" ये कह रीना फिर दुकान से बाहर आ जाती हैं और वहां Mac' D में बच्चों को सॉफ्टी व बर्गर खिलाते हैं। और कमल बोलता है "चलो अच्छा अब घर चलते हैं"।

 मॉल के बाहर की शॉप से कुछ साड़ी, सूट देखने में अच्छी लगे, कमल रीना को बोला" यह साड़ी देखो, कितनी सुंदर है यह ले लो" पर रीना बिना कुछ लिए मुँह फूलाये घर आ जाती है। 

घर में आकर टिंग- टोंग, टिंग- टोंग जल्दी-जल्दी घंटी बजाती है। देवकी जी रीना की सासू मां जल्दी से आकर दरवाजा खोलती हैं। घर में तमतमाती हुई रीना घुसती है। कमल भी गाड़ी लगाकर घर में आता है दोनों बच्चों को साथ लेकर। बच्चे दौड़ते हुए अपने कमरे में चले गए। देवकी जी पूछी "क्या हुआ बहू रीना तुम बहुत गुस्से में लग रही हो।" 

दुखी होते हुए रीना बोली "मम्मी जी मुझे एक ही साड़ी पसंद आई। पर वह इन्होंने दिलाने को मना कर दिया।"

 कमल बोला "मैं तुम्हें दिला तो रहा था, पर तुम्हें वही 25,000 वाली साड़ी पसंद थी। मैं भी तो तुम्हें दूसरी 12,000 की साड़ी दिला रहा था। हमारा इतना बजट नहीं है। 4 महीने पहले भी तो तुमने 20,000 की साड़ी खरीदी थी। उसे दोबारा पहनी? कमल थोड़ा जोर से बोला।

" क्यों पहनू? सारे रिश्तेदार तो वही है। सब ने देख रखी है। अब मेरी बहन की शादी है तो क्या मैं इतनी महंगी साड़ी नहीं खरीद सकती है।" रीना गुस्से में बोली।

" हां ! हां खरीद सकती हो लेकिन अभी लगभग 8 महीने बाद भी तो मेरे मौसी के बेटे की शादी है। उसके लिए भी तो तुम कुछ ऐसा ही महंगा लोगी। रीना बोली "हां तो मैं क्या करूं ? सब लोग ही तो पहनते हैं। हमारे सारे रिश्तेदार लोग सब ही तो ऐसे पहनते हैं।"

" हां बाबा वह बदल के पहनते हैं पर उनकी इतनी महंगी नहीं होती होगी " कमल बोला।

 रीना बोली "मेरी च्वाइस ही ऐसी है। महंगी साड़ी पसंद आती है मुझे। अब मैं क्या करूं?

 अरे, बच्चों के कपड़े, गिफ्ट के लिए भी बहन की शादी है तो कुछ सोने का सामान ही लोगी ना।

" हां हां क्यों नहीं"

" फिर आने जाने का खर्चा। तो जब हम अपने खर्चों में कटौती करेंगे तभी ना पूरे होंगे। मकान की इतनी EMI जा रही है और बच्चों की फीस अलग। पैसे पेड़ पर थोड़ी ना लगते हैं। तुम औरतों की तो साड़ी दोबारा रिपीट नहीं होनी चाहिए। तो इतनी महंगी लेती क्यों हो ?

" सब यही करती हैं"

 "हम आदमियों को देखो वही सूट कितनी बार पहन लेते हैं। मैं जो साड़ी पसंद कर रहा था वह भी कम अच्छी थी।"

" हां पर मुझे वही वाली पंसद थी, उसका वर्क, उसका कपड़ा बहुत अच्छा था। हद कर दी आपने

, जो मुझे पसंद होगी वही ना लूंगी। और आप आदमियों को कपड़ों में कोई फर्क मालूम ही नहीं चलता। कोई आप लोगों को देखता तक नहीं। हम औरते सब एक दूसरे को बड़े ध्यान से देखती हैं हम से ही आपके आमदनी व स्टेटस का पता चलता है।" 

 समझदार देवकी जी बैठकर दोनों की बातें बडे ध्यान से सुन रही थी। वह जानती थी की उनकी लाडली बहू रीना में थोड़ा बचपना है और थोड़ी जिद्दी है। वैसे बहुत प्यारी है सब का बहुत ध्यान रखती है। बस इन सब चीजों को लेकर थोड़ा जिद करती है। उनको यह भी पता था कि कमल भी पूरा अच्छे से कैलकुलेशन करके सही से सोचता है, और अपनी गृहस्थी चलाता है। 

उन्होंने थोड़ी देर सोचकर रीना से बोला" बेटा चलो कमरे में मेरे साथ"

" नहीं मम्मी जी अभी नहीं आऊंगी"

 "अरे बेटा आओ ना, कुछ काम है"

 रीना मम्मी जी के साथ चली गई। अलमारी खोलती हुई बोली "बेटा तू कमल से पैसा ले ले। मैं अपने पास से बाकी पैसे दे देती हूं। कल हम लोग साड़ी ले आएंगे।" कमल के सामने नहीं बोली ना तो बोलता की बहू को बिगाड़ रही हो। रीना बहुत ही खुश हो गई "हां ठीक है मम्मी ऐसा ही करते हैं" तभी रीना की नजर अलमारी में एक सफेद मलमल के कपड़े में लिपटी साड़ी पर पड़ी। "अरे मम्मी जी यह क्या है? इसको आपने बड़े सहेज के रखा है" रीना आश्चर्य से पूछी।

" अरे! कुछ नहीं, मेरी मां की याद है। बड़े मन से मां ने दिया था मुझे यह महंगी साड़ी। ये मुझे बहुत पसंद है। एक दो बार ही पहनी हूँ। मां की याद के नाम पर रखा है सहेज कर।" देवकी जी ने खोल कर दिखाते हुए बोला ।

"अरे वाह मम्मी जी यह तो बहुत ही सुंदर है" रीना की आंखें देखकर फटी की फटी रह गई। "यह तो उससे भी ज्यादा सुंदर है जो मैंने मॉल में देखी थी। अपने हाथों में लेते हुए रीना बोली "मीना बाजार वाली साड़ी से भी सुंदर वर्क है इसका मम्मी जी। प्लीज क्या मैं अपनी बहन की शादी में यह साड़ी पहन लूं? आप मुझे प्लीज एक दिन के लिए पहनने को दे देंगी।"

" पर बेटा यह तो पुरानी है। मैं तो तुम्हें यह पैसे दे रही" अरे, नहीं मम्मी जी प्लीज यह मुझे उससे भी ज्यादा पसंद आ रही है।"

 मम्मी जी मुस्कुरा दी और बोली" ठीक है बेटा जैसी तेरी मर्जी।"

 मैं अभी इसको कमल को दिखा कर लाती हूं। रीना जल्दी से दौड़कर कमल के पास गई। "देखो देखो कमल यह साड़ी को। कितनी प्यारी है। जो हम देख कर आए हैं हांये तो बहुत ही सुंदर है। कमल अब तो मैं यही पहनूंगी अपनी बहन की शादी में। 

"पर रीना यह सही लगेगी?" माथे पर चिंता की लकीरें दिखाते हुए।

"हां हां अब मुझे जो पसंद है, मैं वही पहनूंगी" रीना ने खुशी-खुशी मुस्कुरा कर बोला।

"अब मुझे कोई भी साड़ी नहीं चाहिए" कमल भी खुश हो गया। मम्मी जी की वजह से रीना और कमल के बीच का झगड़ा खत्म हो गया और उनके साड़ी को लेकर जो उलझन थी वह भी सॉल्व हो गई।


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