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Priyanka Gupta

Drama Inspirational

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Priyanka Gupta

Drama Inspirational

पैसा सब कुछ तो नहीं होता ,लेकिन बहुत कुछ होता है!!!! #prompt 14

पैसा सब कुछ तो नहीं होता ,लेकिन बहुत कुछ होता है!!!! #prompt 14

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"मम्मी आप पापा को बोल दो न ;मुझे कैसा भी लड़का चलेगा लेकिन पैसे वाला होना चाहिए। मैं तो दूजवर से भी शादी कर लूंगी लेकिन पैसे वाला होना चाहिये। " अनामिका ने अपनी मम्मी से कहा।

"दूजवर से भी कर लेगी हमारी नाक नहीं कट जायेगी। लोग क्या कहेंगे ;बस पैसे के चक्कर में अपनी बेटी की शादी कर दी।तू इतनी मनी माइंडेड कब से हो गयी ? पैसा ही सब कुछ नहीं होता बेटा। " मम्मी ने कहा।

"मम्मी सब कुछ तो नहीं होता ;लेकिन बहुत कुछ होता है। पैसे से ही इज़्ज़त मिलती है। जिनके पास पैसा नहीं होता उनकी कोई इज़्ज़त नहीं करता। " अनामिका ने कहा।

"नहीं बेटा इंसान के गुणों और अच्छे व्यवहार से उसकी इज़्ज़त होती है। पैसा तो हाथ का मैल है। " मम्मी ने समझाते हुए कहा।

"अच्छा मम्मी फिर आप दोनों बुआओं में इतना भेदभाव क्यों करते हो ?मैं नहीं चाहती मेरे साथ भी सरिता बुआ जैसा व्यवहार हो। " अनामिका ने आखिर अपनी बात कह ही दी।

अनामिका की दो बुआएं हैं। बड़ी बुआ सुलेखा बहुत ही पैसेवाली हैं ;जबकि छोटी बुआ सरिता एक ठीक-ठाक खाते -पीते परिवार से हैं। जब से अनामिका ने होश सम्हाला है ;उसने दोनों बुआओं के साथ होने वाले व्यवहार में अंतर को नज़दीक से देखा है।

"मम्मी आप बड़ी बुआ के आने से पहले उनके लिए घर में एक कमरा अलग से खाली कर उसे अच्छे से सजाती सँवारती हो। जब तक बुआ रहती है नित रोज़ नए पकवान बनाती हो। बुआ को हमेशा ही बाज़ार ले जाकर उनकी पसंद की साड़ी ही ख़रीदवाती हो । बड़ी बुआ को नियमित रूप से फ़ोन भी करती हो। " अनामिका ने अपनी मम्मी की तरफ देखते हुए कहा।

मम्मी चुपचाप सुन रही थी ;क्यूंकि अनामिका की बातें बिल्कुल सही थी।

" छोटी बुआ को तो फ़ोन भी कभी -कभार ही करती हो। बेचारी कभी आती भी हैं तो कभी ड्राइंग रूम में तो कभी मेरे रूम में ;जहाँ भी जगह मिले रह लेती हैं।आप आयी -गयी साड़ियाँ ही बुआ के सामने रख देती हो और बुआ उनमें से पसन्द भी कर लेती हैं। बुआ घर में सबके पसन्द की खाने -पीने की चीज़ें हमेशा अपने हाथों से बनाकर लाती हैं।आपके व्यवहार के अंतर को समझकर भी बुआ रिश्ते गर्मजोशी से निभाती हैं।" अनामिका ने उदासी से कहा।

"आपको याद है मम्मी जब आप एक बार जब बाथरूम में फिसलकर गिर गयी थी ;तब भी सरिता बुआ ही 15 दिन आकर रही थी और हम सब समेत आपका भी कितना ध्यान रखा था । सुलेखा बुआ तो बस औपचारिकता वश एक दिन आकर समाचार पूछकर चली गयी थी। " अनामिका ने अपनी मम्मी को याद दिलाते हुए कहा।

"हाँ बेटा याद है। " मम्मी ने रुआँसे होते हुए कहा।

"मम्मी जब से मैं समझदार हुई हूँ ;तब से आपका व्यवहार देख रही हूँ। मेरा उद्देश्य आपको दुःखी करना नहीं है। बस मैं तो यह चाहती हूँ ;आप अपनी ग़लती सुधारें। सरिता बुआ की आँखों में मैंने उनके दर्द को देखा है.जब आप यह जानते हो कि पैसा हाथ का मैल होता है .पैसे भी महत्वपूर्ण इंसान के गुण और चरित्र हैं ;तब आप इसे मानती क्यों नहीं हो ? " अनामिका ने कहा।

"बेटा तू सही कह रही है। मैं आज ही सरिता दीदी को फ़ोन करके अपने व्यवहार के लिए माफ़ी माँगूँगी। " अनामिका की मम्मी ने कहा।

"मेरी प्यारी मम्मी ;यह हुई न बात। मेरे लिए अच्छे गुण -चरित्र का लड़का ही ढूंढना ." अनामिका ने मुस्कुराकर कहा।


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