Kunda Shamkuwar

Abstract Tragedy Others

4.8  

Kunda Shamkuwar

Abstract Tragedy Others

पाज़ेब

पाज़ेब

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माँ कभी कभी हँस कर उसे उसकी बचपन की बातें बताती है।उसके एक साल की होने पर पापा उसके लिए पायल लाए थे और वह पूरे घर में ठुनक ठुनक कर चला करती थी वगैैैराह।इकलौती लड़की के लाड़ से माँ उस के लिए कभी झुमके और चूड़ियाँ लाया करती थी।


कॉलेज की पढ़ाई के खत्म होने पर किसी रिश्तेदार के रिश्ता लाने के बाद घर मे देखने दिखाने का प्रोग्राम हुआ।बात पक्की हो गयी और शादी करके मैं इस घर मे आ गयी।पति बेहद प्यार करने वाले थे।जब भी मीटिंग्स के लिए बाहर जाते थे,जरूर मेरे लिए कोई गिफ्ट लाते थे।उनको शौक था मेरे लिए नए नए जेवर लेकर आना।


एक दिन मेरा कॉलेज का पुराना फ्रेंड, मोहित का फ़ोन आया।इसी शहर में उसका ट्रांसफर हुआ था।शाम को घर मे आने की मेरी दावत पर वह फौरन मान गया।उसके आने पर चाय के साथ हमारी बातें होने लगी।पति ऑफिस से घर आकर हमारे बातचीत में शामिल हो गए।क्योंकि उसकी फैमिली यहाँ नहीं थी और वह अकेला था तो उसका मेरे घर मे आना काफी बढ़ गया था।पहले पहले पति ने कभी कुछ कहा नहीं लेकिन थोड़े दिनों के बाद पति ने हलका ऐतराज किया।बात आयी गयी हो गयी।

पति कुछ दिनों के लिए मीटिंग के सिलसिले में बाहर गये थे।वापसी पर मेरे लिए खूबसूरत सी पाज़ेब ले आये थे।मेरे पैरों में पाज़ेब पहनाते हुए कहने लगे,"मेरे पीछे काफी बोर हुईं होगी,नहीं? देखो ये पाज़ेब में तुम्हारे पैर कितने खूबसूरत लग रहे है।" 

मैंने कहा,"अरे,बिल्कुल नहीं।मोहित आया करता था और हम बहुत बातें करते थे।"मैं चाय बनाने किचेन में जाने लगी।पाज़ेब की छन छन प्यारी लग रही थी।

"अच्छा,तो तुम्हारे नजदीक मेरी अब अहमियत भी नहीं रही।"मैंने भी हँसते हुए जवाब दिया,

"बिल्कुल नहीं।"

चाय लेकर हम लॉन में बैठे।चाय पीते हुए पति कहने लगे,"देखो,मोहित का घर मे आना अब बंद कर दो तुम।उसका घर मे आना मेरी मौजूदगी में या गैरमौजूदगी में मुझे मंजूर नहीं है।"मुझे उनका यह लहजा बेहद सर्द लगा।


मेरे जैसी पढ़ीलिखी औरत अपने कॉलेज के दोस्त को कैसे कहती की पति का न तो उसपर भरोसा है और न ही आज़ादी है जो वह उसको अपने घर बुला सके।


थोड़ी देर पहले जो पाज़ेब पैरों में खूबसूरत लग रही थी,वह अचानक मुझे किसी जंजीर की तरह भारी लगने लगी...


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