पार्ट 9:-क्या अनामिका वापस आएगी ??
पार्ट 9:-क्या अनामिका वापस आएगी ??
अब तक आने पढ़ा कि अनामिका के घर से कुछ दूर निकल जाने के बाद ही अंकित को वो मस्क्युलर लड़का दिखता है, जिसे देख गुस्से से भर अंकित उसकी ओर दौड़ जाता है ...अब आगे
पूरी ताकत से दौड़ता अंकित उस लड़के के पास पहुंचता इससे पहले ही वो कार में बैठ निकल गया, धूल उड़ाती गाड़ी पल भर में आँखों से ओझल हो गयी, ढलती शाम में कार का नम्बर देखना मुश्किल था ,तो अंकित को कार का नम्बर भी नहीं दिखा, गुस्से से पैर पटकता और खुद पर झल्लाता हुआ अंकित वही सड़क पर बैठ खुद को संयत कर ...वापस लौट आया ।
रात को अपने बेड पर, मन ही मन ,जरा सा ...बस्स जरा सा तेज़ और दौड़ा होता तो ...पकड़ लेता उसे ...शै मेन, गाड़ी का नंबर भी नहीं देख पाया, अनामिका के घर के बाहर कर क्या रहा था, देखा नहीं फ़ोटो ले रहा था, अनामिका की फ़ोटो खींच रहा होगा ...छोड़ूंगा नहीं इसे, अनामिका घर में अकेली है.....अब तो बहुत दिन हो गए इसके पेरेंट्स आये नहीं... कल पूछूंगा ..उससे,..अच्छा खासा हाथ में आते आते रह गया, कोई बात नहीं ..मुझे यकीन है दिखेगा जरूर...और जिस दिन दिखा,
(मुट्ठी बांधकर) मुंह पर ही मारूंगा ...बहुत मारूंगा ...
इन्हीं विचारो में डूबता उतराता सो गया....
अगले दिन जिम करने के बाद ,ऑफिस पहुंच
राव इंडस्ट्री का ऑफिस
ठीक सामने राखी बहुत बिजी दिखी ...नीरू को कुछ सलाह दे रही थी...अंकित सीधा उसके पास जाकर
"गुड़ मोर्निंग, आज सुबह सुबह ही बिजी हो "
"हे अंकित,गुड़ मॉर्निंग ...पता है हम एक नया क्लॉज़ ऐड कर रहे हैं, एच आर के नियम में "
अंकित:-अच्छा ...क्या?
राखी:-ये ...कि कोई भी कैंडिडेट जिसका बैकग्राउंड टीचिंग है, एक महीने की इंटर्नशिप करनी होगी ,इसी ऑफिस में, चाहे किसी भी पोस्ट पर आए....बाय गॉड ...एक और टीचर नहीं झेल सकती में इस ऑफिस में...सबको लेक्चर देने की आदत होती है
अंकित:-हा हा हा ओह्ह ..बहुत परेशान किया मैंने तुम्हें,
माफ करना यार"
राखी :--माफ कर सकती हूं, एक शर्त पर...
अंकित:-- शर्त बोलो
राखी:--शर्मा कैफ़े की कॉफी पिलवाओ
अंकित :--(कुछ सोचते हुए) कॉफी अभी ? अ अ ...शाम को चले..कुछ फैक्स करने हैं अभी"
राखी :--"ओह्ह हाँ सही कहा ...काम करो तुम,...अच्छा शाम को नहीं... मुझे शाम को सांस लेने की भी फुरसत नहीं ,आज तो देर तक रुकना भी है, और तुम जल्दी निकलते हो...एक काम करते हैं...कल चलते हैं"
अंकित:--"ठीक है ..कल.पक्का"
राखी :-- "अच्छा सुनो ,राव सर आ गए है आज जल्दी,...रोज़ फ्रूट्स सैलेड मगाते हैं, पर कभी नहीं खा पाते, ये काम तुम्हें करना है,
"मुझे कैसे "
"रिक्वेस्ट करके ,या बोल कर जैसे भी ...तुम जानो... अब जाओ और प्रूब करो कि तुम्हे काम करना आ गया है ,और मुझे मुक्ति मिले ...एक्स्ट्रा काम करने से"
राखी ने हाथ जोड़कर नाटकीयता से कहा,तो अंकित को हँसी आ गयी,वो हँसता हुआ केविन में जाता है तो सैलेड की प्लेट देखकर
"वाओ,सैलेड ,गुड़ मोर्निग सर,अगर आप इज़ाज़त दे तो खा लूँ "?
और इससे पहले कि राव सर कुछ बोलें, अंकित ने खाना शुरू कर दिया, उसे ऐसे खाता देख राव ने अपनी फाइल साइड में रखी, और उन्होंने भी खाना शुरू कर दिया,
अपना प्लान को काम करते देख अंकित खुश हो गया
राव सर:-"क्या शेड्यूल है आज का"?
अंकित:--आपके दोस्त और बिजनेस फ्रेंड के यहाँ एक सेमिनार है, और उसके बाद तीन मीटिंग्स
राव सर:--"श्रीवास्तव के यहाँ ना "?
" जी"
"हाँ फ़ोन आ गया था मुझे, उससे मेरी बड़ी जमती है, जल्दी ही लौट पाना मुश्किल है, मीटिंग कैसे होंगी"
"इसीलिए... पहली मीटिंग मैंने 2 बजे रखी है सर"
"हम्म...बहुत अच्छे"(मुस्कुराते हुए बोले )
"थैंक यू सर्.. अभी आता हूँ ...कुछ फैक्स करने हैं"
"और सैलेड?"उन्होंने प्लेट की ओर इशारा करते हुए कहा
"बस्स, हो गया सर" कहते हुए अंकित ,केबिन से बाहर आ गया
सफेद शर्ट जानबूझकर पहनी अंकित ने, और पहुंच गया अनामिका के घर,
सामने ही बैठी कुछ पेपर उलट-पलट रही थी, पास ही पड़े सोफे पर बैठ गया,
"हेलो अनामिका जी, क्या पढ़ रही हैं"?
"हेलो,आइये...बस्स कुछ पुराने नोट्स में पृथ्वीराज चौहान के नोट्स दिखे तो पढ़ने लगी...मुझे पूरी हिस्ट्री में बस्स यही एक इंसान पसंद आया"
"अच्छी बात है कोई तो पसंद आया आपको हिस्ट्री में, वैसे क्या पसंद है आपको इसमें"?
"बहादुर होना, आपको तो पता ही होगा, कि कैसे जब संयोगिता ने पृथ्वीराज के पुतले के गले में माला डाली तो उसके पीछे छिपे पृथ्वीराज ने संयोगिता का हाथ पकड़ा ,घोड़े पर बिठाया और सबके सामने उन्हें ले आये...कितना रोमेंटिक है ना"?
अनामिका का यूँ खुशी से चहकना अंकित के चेहरे पर भी स्माइल ले आया, और मन ही मन उसने कहा ,"बात तो ये पृथ्वीराज जी की कर रही है, लेकिन उन्हें ,इसका इतना पसंद करना...मुझे जलन हो रही है
"कहाँ पृथ्वीराज...और कहाँ
"हाँ ...हाँ जानता हूँ, लेकिन ...ऐसा मन कर रहा है, घोड़ा खरीद लूं"
"और दौड़ाएगा कहां...सड़क पर"?
"तो...अब कच्ची सड़क तो बनने से रही"
"वही तो...अब जमाना गाड़ी का है, कार खरीदने की सोच"
"कार"?
"हाँ ...अच्छी सेलेरी है, ले सकता है अब"
"हम्म"
"अनामिका जी....आपके पेरेंट्स नहीं आये अब तक" उसने अनामिका से पूछा
"आप को बड़ी फिक्र है, मेरे पेरेंट्स की, कुछ दिन और लगेंगे, उन्हें कुछ काम है वहाँ" अंकित को लगा चिढ़ गयी है तो संभालने को बोला
"इधर चोरी- चकारी बहुत होने लगी है, आप अकेली रहती हैं ना, इसीलिए पूछा"
"यहाँ बिना मेरी मर्ज़ी कोई नहीं आ सकता, आप तो ये बताइये कॉफी बनाना आया या नहीं "?
अनामिका के इस जवाब से अंकित को तसल्ली हुई ,सोचा कि जब वो आता है तब जिस तरह से दरवाजा खुलता है वो इस बात का सुबूत है कि सिक्योरिटी मजबूत है.. हम्म..मतलब वो मस्कुलर नहीं आ सकता) ...अ ...जी नहीं बहुत कोशिश की, नहीं बनी..."
अनामिका:--तो दूसरा तरीका बताऊँ कॉफी बनाने का?
अंकित का मन 'ये तुझे कॉफी सिखाकर ही मानेगी...
"तो मना कर दूँ?...नहीं बताने दे..ऐसे ही ...कम से कम सामने तो रहेगी..
"हम्म ये भी सही है..."
अंकित:--जी जी जरूर ...बताइये
अनामिका:--हम्म ..देखिए ...एक कप में ,एक चम्मच कॉफ़ी पाउडर और चीनी ले लीजिये फिर @@@@@@@
अंकित का मन :-आंखे खूबसूरत है इसकी और चमकीली भी ...
हम्म और माँ की दी हुई नथ इस पर खूबसूरत लगेंगी...हम्म बेशक लगेगी
अनामिका:-फिर थोड़ा फेंटना है @@@ और जब @@
फिर @@बस्स बन गयी
अंकित:--वाह ! क्या बनी है, बहुत टेस्टी ..बहुत ही.."
अनामिका:--आप तो ऐसे बोल रहे हैं जैसे सच में टेस्ट की हो"
अंकित :-- आप ने बताई ही इतनी अच्छी तरह...वैसे आपको कॉफी के अलावा और क्या पसंद है?
अनामिका:--मुझे नॉनवेज, बहुत पसंद है
अंकित का मन :-ये नॉनवेज खाती है यार...तुझे नॉनवेज खाने वाली लड़कियां बिल्कुल पसंद नहीं
"अंकित:--इसकी बात अलग है ..ये अनामिका है, इसे इतना प्यार दूँगा कि ये नॉनवेज छोड़ देगी
"हम्म...ये भी. सही है"
"और फिर नॉनवेज खाना कोई पाप तो नहीं"
"हम्म ...सही जा रहा है"
अंकित:-मेरे ऑफिस के पास ही शर्मा कॉफ़ी शॉप है, बहुत ही टेस्टी कॉफी है उसकी ..
अनामिका:--अच्छा...
अंकित:- हाँ ...वो तो भला हो राखी का जो मुझे वहाँ ले गयी ...उसे भी कॉफी का बड़ा शौक है,...
"राखी..."अनामिका ने अपनी गर्दन थोड़ी तिरझी कर पूछा
"हाँ...मेरे ऑफिस में ही है ...एच. आर हेड है, उसे भी कॉफ़ी का बड़ा शौक है...आज जाने को बोल रही थी...लेकिन मुझे यहां आना था, तो अब कल लंच टाइम में चले जायेंगे ...बड़ा खुश होकर वो बोले जा रहा था कि दिमाग ने उस पर ब्रेक लगाया
"अबे रुक जा...ये क्या कर दिया ...राखी का नाम क्यों ले लिया
"उससे क्या होगा...ये समझदार है"
"समझदार तो तू भी है, लेकिन जब से वो ...मस्कुलर देखा है ...चैन और नींद हराम है...तेरी
"अरे ..हाँ ...सच मे... ये तो गलती हो गयी...अब"
"अब क्या...और बोल..नहीं बोलेगा तो नहीं ...और बोलेगा तो .इतना कि... "
अंकित:--"अनामिका जी, अब मुझे चलना चाहिए ...(नोट्स देते हुए ) इसे अच्छे से याद करना मत भूलिए...एग्जाम के लिए बहुत इम्पोर्टेन्ट हो सकते हैं ये"
अनामिका ने चुपचाप नोट्स ले लिए ...बोली कुछ नहीं ..हाँ में सिर हिला उसे जाने की इजाजत जरूर दे दी
"ये तो कुछ बोल ही नहीं रही...
दिमाग:-"बोलेगी भी क्यों...गधा जो है तू...अच्छा खासा सब ठीक जा रहा था ...लेकिन....
"सही है ...गधा ही हूँ मैं...कुछ कोशिश करता हूँ..."
"अनामिका जी, अगर आप चाहे तो.... मैं आपको शर्मा की कॉफी शॉप की कॉफी पिलवाने ले.... जा सकता हूँ" उसने झिझकते हुए कहा
बदले में अनामिका ने बस्स हाँ में सिर हिला दिया ...लेकिन बोली कुछ नहीं
और खुद पर झल्लाता हुआ अंकित वापस घर लौट आया...
अभी दरवाजा तक पहुंच भी ना पाया था कि घनश्याम सिगरेट फूंकते वही दिख गए ...उसे देखा तो मानो आंखों से अंगारे बरसाते हुए, बोले "क्यों ...पांच महीने में एक महीने का किराया देकर ...हो गए फुरसत...खाना भी हम खिलाये ...और रखे भी हम. वो भी फ्री..फिर दरवाजा भी हम ही ...खोलें"
"बस्स अंकल जी ,जैसे ही ये महीना पूरा होगा ,मेरी सेलेरी मिलते ही सबसे पहले आपको सारा किराया दे दूँगा...आप चिंता ना करें"
इससे पहले घनश्याम कुछ और बोल पाते, अंकित बचते हुए तेज़ी से अंदर चला गया और सीधे अपने कमरे में दाखिल हो गया....विचारों में उलझा- उलझा सो गया.......
.....अगली सुबह म्यूजिक लगा कर जिम जाने के लिए तैयार हो रहा था ...कि सरोज को खुद के दरवाजे पर खड़ा पाया...दरवाजे की चौखट पकड़े हांफ रही थी...अंकित ने फुर्ती से उनका हाथ पकड़ ,बेड पर बिठाया और ग्लास में पानी दिया ...और साथ ही म्यूज़िक सिस्टम भी बन्द कर दिया...
"आप ठीक तो हैं"
उन्होंने हाँ में सिर हिलाया ..और हाथ से, कुछ देर रुकने का इशारा किया...
"क्या जरूरत थी आपको ऊपर आने की...मुझे आवाज क्यों नहीं दी...?
"तू ....आजकल जो ये कानफोड़ू बाजा बजाता है...कितना भी चीखूँ.... कहाँ आवाज आती है ...तुझे अहह ...अहह"
वो रुक -रुक कर बोली ,थोड़ा संयत हो गयी थी ,अंकित को फौरन अपनी गलती का एहसास हुआ...अचानक मन में आया कि कहीं ये बीमार हुई और आवाज लगाई तो कैसे सुनेगा वो?
"आप सही कहती हैं, अब से म्यूजिक नहीं बजेगा ...आप बिल्कुल फिक्र ना करें" उसने स्वीकार करते हुए सरोज को आश्वस्त किया
"बजा... खूब बजा... मैंने कब मना किया ...लेकिन धीमी आवाज़ में " उंगलियों को ऐसे घुमा कर बोली जैसे वोल्युम का बटन इस वक़्त हाथ में पकड़े हो..
"ठीक है माँ, ये बताओ हुआ क्या, क्यों आना पड़ा"?
"तेरे ऑफिस से फ़ोन है ,किसी संपत राम का"
"क्या ....संपत का फोन ऑफिस से ...बड़े ताज्जुब की बात है...आप यही बैठिये में देखता हूँ"?
सरोज ने हाँ में सिर हिलाया और अंकित तेज़ी से नीचे सीढ़ियाँ उतरते हुए रिसीवर के पास पहुंचा
"हेलो...हाँ संपतराम, हाँ अंकित बोल रहा हूँ कहो,....
क्या ...राखी?... क्या बकवास कर रहे हो ...कब ?...ये ये नहीं हो सकता...मैं... अभी ...हाँ अभी आता हूँ"
और अंकित तेजी से सीधे ऑफिस की ओर दौड़ गया....
…............क्रमशः......


