पानी कि बुंद
पानी कि बुंद
गौरेया का एक जोड़ा आकाश में उड़ रहा था। वे गर्मियों की इस चिलचिलाती धूप में अपने घोंसले से दूर थे। वे बहुत प्यासे थे।
वे एक घर के ऊपर से उड़े जहां एक बाल्टी, नल के नीचे लगी थी।दोनों वहीं दीवार पर बैठ गए।
'हम यहां क्यों इंतजार कर रहे हैं, महिला को वापस आने में कुछ समय लगेगा? हम जल पीते हैं और पी कर उड़ जाते हैं,' रानी, स्त्री गौरेया ने कहा.
'देखो प्रिये, नल के पास वह टूटा कप है,जब महिला भरी हुई बाल्टी ले जाएगी, तो हम उससे पीएंगे और अपने रास्ते चले जाएंगे",राजा, पुरूष गौरेये ने उससे कहा।
"लेकिन हम टूटे हुए कप से क्यों पिएं, जब हम बाल्टी के ताजे जल के साथ अपनी प्यास बुझा सकते हैं? देखो, यह पीना कितना आसान है",रानी अपने पति से थोड़ा चिढ़ गई थी।
"तुम्हें पता है अगर हमने बाल्टी से पिया तो क्या होगा?", राजा ने समझाया!
"क्या होगा?"रानी की आवाज से उसका चिड़चिड़ापन को स्पष्ट रूप से दिख रहा था!
लेकिन राजा ने इसे अनदेखा कर दिया और चुप रहा।
,मुझे बताओ या मैं पीने के लिए जा रही हूँ, मैं बहुत प्यासी हुं और मुझे बेहोश होकर नहीं गिरना",रानी गुस्सा हो गई।
"बस कुछ सेकंड की बात है. बाल्टी भर जाएगी और वह इसके साथ चली जाएगी", राजा बोला!
"आप मुझे कारण क्यों नहीं बता रहे हैं?"रानी राजा पर जोड़ से चिल्लाई!
" नहीं मान रही हो तो, सुनो! अगर हम बाल्टी से पीते हैं, तो यह औरत सारा पानी नाली में बहा देगी।"राजा बोला!
"तो क्या? बहाने दो उसे। इससे हमें क्या मतलब, मनुष्यों को पानी कि कमी है क्या ?"रानी अपना आपा खो रही थी।
"देखो, उसने नल बंद कर दिया है और वह जा रही है,लो वो चली गई। चलो चलते हैं", राजा ने कहा और पीने के
लिए उड़ान भरने के लिए एक संकेत के रूप में अपने पंख फड़फड़ाए।
रानी भी मन मसोस कर टूटे हुए कप में भरे पानी पीने के लिए उड़ गई और उसने मन भर पानी पिया।
यह पानी भी ताजा था और शायद इनके जैसे पंछियों के लिये ही था!
बाद में, रात को, जब बच्चे सोए थे, राजा ने रानी को चूमने की कोशिश की।
"तुम मुझे अब और प्यार नहीं करते",रानी ने अपना चेहरा दूर कर लिया।
"मैं तुम्हें अपने जीवन से भी अधिक प्यार करता हूँ, प्रिय",राजा ने ईमानदारी से कहा।
"हाँ, मैंने दिन में देखा है. तुम मेरी परवाह कैसे करते हो", रानी झिड़की!
"मेरी प्यारी, तुमने पानी की कमी को देखा था, न एक बार! कैसे एक बार पानी बिना तुम्हारे प्राण निकलते- निकलते बचे थे, फिर मैं वो दुर के तालाब से कैसे एक-एक बुंद भर कर लाया था, तब जा कर तुम बची थी! अगर हम वो बाल्टी वाला पानी पी लेते तो वह महिला पानी को हमारा जूठा कह कर नासमझी से सारा पानी बहा देती और मैं तुमको अपने अनुभव के साथ बता रहा हूं", राजा बोला!
"तो क्या?", रानी की कड़वाहट बरकरार थी।
"हमने बस एक मिनट रुक कर, उस बाल्टी को बह जाने से बचा लिया है, क्या उस दिन कि तुम्हारी मृत्युतुल्य प्यास नहीं बताती थी ,कि जल कि एक-एक बुंद कितनी कीमती है और यह हम पंछियों से बेहतर किसे पता होगा", राजा बोला!
रानी समझ तो गयी थी पर अभी भी गुस्से से फूलने का नाटक कर रही थी!
"तुम देखो, हमने आज एक अच्छा काम किया है,मुझे यकीन है कि हम अपने बच्चों को भी यही सिखाऐंगे",राजा ने उसे धीरे से उसे सहलाया।
रानी अब कारण समझ गई थी, वह अपने पति की बुद्धि पर चकित थी!
"मुझे तुम पर गर्व है, प्रिय",रानी ने कहा और राजा को चूम लिया।
राजा संतोष से मुस्कुराया।