ऑनलाइन प्रेम
ऑनलाइन प्रेम
"वाह वाह.. प्रेम मानना पड़ेगा भाई ...तूने क्या जबरदस्त कहानी लिखी है .. 24 घंटे के अंदर view 1k" ... अनील प्रेम के ऑफिस मे घुसते हुए अपनी खुशी जाहिर करता है
प्रेम जो पहले से फोन पे बात करते हुए अपने ही ख्यालों में डुबा हुआ था अचानक से अनील की आवाज सुनकर उसके तरफ़ मुस्कुरा कर देखता है और फिर एक खाली चैयर के तरफ इशारा करते हुए बैठने को कहता है...
अनील चुपचाप बैठ जाता है.. प्रेम फोन में बात करते करते उसके पास आता है फिर बहुत ही प्यार से bye बोलकर फोन को एक तरफ़ रखतें हुए कहता है -- "इस का मतलब तूने मेरी रचना पढ़ ली "
अनील -- "हां मैंने कल ही पढ ली थी.. क्या गज़ब का लिखा है ... ख़ास कर के संजना का चरित्र
कैसे लिख लेता है.. यार.."
"संजना का मनोदशा तूने अपनी रचना में बखूबी
उभारा है .. संजना के साथ पूरा न्याय किया है
.जो औरत अपने पति के साथ रहती न हो ऐसी औरतो को अपने जीवन में कितने स्ट्रगल करनी पड़ती हैं उसके बारे में हम सब वाकिफ हैं.. पर बाहारी स्ट्रगलके अलावा उनको अपने के मन के साथ भी इतनी स्ट्रगल करनी पड़ती है यह शायद ही कोई इस के पहले सोचा भी होगा.."
प्रेम --" ठीक कहा बहुत ही कठीनाई रहतीं हैं ऐसी औरतों के जीवन में .. हम सब को तो बाहारी लड़ाई दिख जाती है पर उनकी अपनी अंतरात्मा के साभ जो लड़ाई करनी पड़ती है वह किसी को नहीं दिखता "
अनील गंभीर होकर कहता है ---"सही कहा ."
फिर थोड़ा रुक कर प्रेम से पुछता है
"सच सच बताना तुझे इतनी गहराई से कैसे पता.."
जवाब मे प्रेम सिर्फ मुस्कुरा देता है
अनील --" समझ गया इस का मतलब तेरा अभी संजना जैसी कोई औरत के साथ चक्कर चल रहा है .. क्या मै.. "
अनील के बात को बीच में काटते हुए प्रेम कहता है "चक्कर नहीं यार मैं तो सिर्फ.. मदद करता हूं ..बस थोड़ा सा प्रेम बांटने की कोशिश करता हूं.. अगर किसी से बात करने से उनका दुख कम होता है तो इस मे हर्ज भी क्या है.."
अनील उसकी बातों का चुटकी लेते हुए कहता
है .. "वाह रे मेरे कलीयूग के कृष्णा अरे नहीं नहीं कलीयूग सही नहीं ... ऑनलाइन कृष्णा जी "
अनील की बातें सुनकर प्रेम अपनी हंसी रोक नहीं पाया.. हंसते हंसते कहता है--" ऐसा मत बोल यार "
अनील भी अपनी हंसी रोकते हुए कहता है -- "सही तो कहा.. तूं अपने आप को कृष्णा जी का बहुत बड़ा उपासक कहता है न.. इस लिए कृष्णा जी के तरह तेरे जीवन में भी रुक्मणी के जैसी हमारी प्यारी भाभी जी है..गोपियां तेरी यह सब ऑनलाइन गर्लफ्रेंड "
"और राधा"---. प्रेम मुस्कुराते हुए पुछता है
"क्यों राही ..राधा ही तो है तेरी "...अनील तपाक से जवाब देता है
प्रेम एक गहरी सांस लेकर कहता है -- "वह अब शादी शुदा है "
अनील -- "मुझे पता है.. मुझे यह भी पता तुम दोनों अभी भी एक दुसरे से बहुत प्यार करते हो.."
राही को छोड़कर तू कभी भी किसी से प्यार कर नहीं सकता शायद भाभी जी से भी तू ने आज तक इतना प्यार नहीं किया होगा " ... प्रेम अनील को रोकते हुए कहता है---" क्या सब फालतू बातें लेकर बैठ गया है आज"
अनील--"फालतू बात नहीं है मेरे यार...मै जो कह रहा हूं सब सच है यह तू भी जानता है "
फिर अनील प्रेम से पुछता है -- "अच्छा तेरी जो इतनी सारी ऑनलाइन गर्लफ्रेंड है अगर किसी को तुझसे प्यार हो गया तब तूं क्या करेगा.."
प्रेम हंसते हुए कहता है -- "अगर नहीं सबकी सब मेरे पिछे पड़ी हुई है "
अनील हंस ते हुए -- "कैसे संभलता है उनको"
प्रेम --" मत पूछ.. बहुत सरदर्द है...जबकि मैंने सब को कह रखा है मै शादी शुदा हूं फिर भी "
अनील -- "गलती तो तेरी हैं "
प्रेम --" मैं कभी कुछ ग़लत नहीं करता.. मैं बस हर तरह के औरतों को जानने कि कोशिश करता हूं उनकी मन को पढ़ने की कोशिश करता हूं ताकि अपनी रचनाओं में उनके साथ पूरा न्याय कर सकूं "...
"और इसी कोशिश में तूं उनके इतने करीब चला जाता है कि उन्हें तुझसे प्यार हो जाता है .. सही कहा न मैंने"
उदासी भरे स्वर में तब प्रेम कहता है -- "शायद "
अनील --" जब तूं जानता फिर क्यों दिलों के साथ ऐसे खेलता है "
तभी राही का फोन आता है संजय के पास..
प्रेम --- " हेल्लो राही.. बोलों आज कैसे याद किया"
राही -- " अभी तुम कहां हो.. मै तुम्हारे घर के बाहर खड़ी हूं..
प्रेम-- " मैं घर पे हूं..अपने ऑफिस मे .. मेरे साथ अनील है "
राही -- "और तुम्हारी वाइफ?"
प्रेम -- वह अंदर किचन में काम कर रही है .. तुम सीधा मेरे ऑफिस में आ जाओ.."
राही -- ok
प्रेम के फोन रखते के साथ राही ऑफिस मे आ जाती है
अनील --" कैसी हो राही "
राही गुस्सा में --- "प्रेम मुझे शांति से रहने दें तब न"
प्रेम-- "अब मैंने क्या किया "
तब राही अपना फोन प्रेम को पकड़ाते हुए कहतीं हैं
रानी और दीपिका के मैसेजेस पढों... देखो कितने सारे मैसेज है.. हर रोज करतीं हैं.. उन्हें मै क्या जवाब दूं.. तुम उनसे बात क्यों नहीं करतें.. कैसे तड़प रही है तुम्हारे लिए.. मुझे बार बार बोल रही है एक बार प्रेम जी को बात करने के लिए बोलिए "..
प्रेम --- " समझा चुका हूं.. फिर भी.. अरे यार रोज रोज क्या बात करूं "
अनील जो यह सब से अंजान था वह राही से पुछता है "कौन है यह दोनों"
राही थोड़ा गुस्से भरें लब्ज़ कहतीं हैं --- "the great writer प्रेम जी की ऑनलाइन गर्लफैंड "
अनील -- " पर वे तुम्हें क्यों मैसेज करतीं हैं
प्रेम के तरफ़ इशारा करते हुए -- सब इन्हीं कि कारशाजीस है.. अपने सारी गेलफेंड को मुझे फॉलो करने के लिए कहता है .. मुझसे दोस्ती करने के लिए कहता है .. अपने फायदे के लिए
अनील आश्चर्य होकर पुछता है --" मतलब"
राही ---"मतलब यही कि जनाब का जब मन भर जाता है तब मुझसे कहते हैं जमकर मेरी बुराई कर दो ताकि वह मुझसे अपने आप बात करना बंद करदे.. "
अनील प्रेम को गुस्सा में कहता है--- "यह तो हद हो गई तेरी"
प्रेम जो अब तक राही की बातें सुन सुन कर मुस्कुरा रहा था वह राही से कहता है -- "अरे यार तुम्हारे साथ जबरदस्ती थोड़ी कि है तुम सबको अनफॉलो कर दो"
राही -- "सब से पहले तुम को करूंगी "
प्रेम हंसते हुए पुछता है -- "कर पाओगी"?
राही गुस्सा में अपना फोन पर्स में रखते हुए ऑफिस से बाहर जातों जातें कहतीं हैं -- "देखना न तुमको तो मैं ब्लॉक कर दूंगी "
प्रेम पिछे से हंसकर आवाज देते हुए पुछता है -- "कितने दिनों के लिए बतातीं तो जाओ.. "?
अनील --" सुधर जा मेरे यार .. तू जो यह सब कर रहा है सही नहीं है.. कभी शांति से जी नहीं पाएगा "
प्रेम -- "इस दुनिया में शांति से जी कौन रहा है.. आज तक मैंने किसी का ग़लत फायदा नहीं उठाया
मै तो सिर्फ सब मे प्यार बांटता हूं..
अनील -- ईश्वर सद्बुद्धि दे तुझे.. चलता हूं यार.. बहुत देर हो गई..bye
प्रेम-- Bye .. Bye..।।♥️।।

