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Romance Fantasy

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Romance Fantasy

लव स्टोरी

लव स्टोरी

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.;"पिंटू मुझे कहां ले जा रहा है, यह तो बता" ? बाइक पर पिंटू के पीछे बैठे चिंटू ने सवाल किया।


पिंटू मुस्कुराते हुए जवाब देता है, .."डर मत, तुझे किडनैप करके कहीं नहीं ले जा रहा हूं "..


चिंटू, तंज कसते हुए—"very funny "फिर खुद को संभालते हुए कहता है,.".थोड़ा धीरे चला भाई, ऐसा लग रहा है जैसे राजधानी ट्रेन छूट रही हो'...


पिंटू—"बिल्कुल सही कहा तूने "


चिंटू (चौंकते हुए)—";मतलब हम लोग रेलवे स्टेशन जा रहे हैं ?"


पिंटू— "जी हां "


चिंटू—"कोई आने वाला है "?

अब पिंटू थोड़ा झुंझलाकर कहता है..."अरे यार, कितना सवाल करता है तूं"..


चिंटू—"तू साफ़-साफ़ कुछ बोलता भी तो नहीं "..


पिंटू (गुस्से में)—"महीमा आज दिल्ली जा रही है, एक सप्ताह के लिए। थोड़ी देर में उसकी ट्रेन है"..


चिंटू (आश्चर्य से)—"तो तू उससे मिलने जा रहा है ?"


पिंटू (बीच में टोकते हुए)—"अपने दिल की बात कहने !"


चिंटू (चौंककर, ज़ोर से)— "तेरा दिमाग सही है न? जो बात तू इतने दिनों से कॉलेज में कहने की कोशिश करके भी नहीं कह पाया, वो अब बोलेगा? वो भी वहां, जहां उसकी फैमिली भी होगी? बाइक रोक, अभी के अभी रोक !"


पिंटू हंसते हुए— "बाइक तो सीधा अब रेलवे स्टेशन पर ही रुकेगी मेरे यार"


चिंटू ने जब देखा कि पिंटू रुकने की बजाय बाइक की रफ्तार और तेज़ कर रहा है, तो वह बुदबुदाया— "आज तो पक्का मार खानी पड़ेगी !"


पिंटू उसकी बात सुनकर हंसते हुए कहता है— " डर मत, कुछ नहीं होगा !"


बातों-बातों में वे दोनों रेलवे स्टेशन पहुंच जाते हैं।


पिंटू जल्दी से बाइक स्टैंड में लगाकर कहता है, "चल, जल्दी से प्लेटफॉर्म नंबर 3 पर "


चिंटू—"मैं नहीं जाऊंगा, मैं यहीं ठीक हूं _"


पिंटू उसका हाथ पकड़कर जबरदस्ती खींचते हुए ";चल न, अब नाटक मत कर "


दोस्ती के खातिर चिंटू का मन न होने के बावजूद वह पिंटू के साथ अंदर चला जाता है।


जैसे ही वे प्लेटफॉर्म के अंदर कदम रखते हैं, रेलवे के कई स्टाफ पिंटू को देखकर मुस्कुराते हैं और पूछते हैं—


"अरे, पिंटू बाबू! बहुत दिनों बाद! और बताओ, कैसे आना हुआ? कहीं जा रहे हो क्या ?"


पिंटू सबको मुस्कुराकर जवाब देता रहा।


फिर वे दोनों एक चाय के स्टॉल के पास से गुजरते हैं, तो स्टॉल के मालिक आवाज़ लगाते हैं—"अरे, पिंटू बाबू! बहुत दिनों बाद! आइए, एक-एक कप गरमागरम चाय हो जाए?"


पिंटू मुस्कुराते हुए जवाब देता है— "अभी नहीं, बाद में !"


यह सब देखकर चिंटू हंसते हुए चुटकी लेता है— "रेलवे स्टेशन के मास्टरजी के साले होने के नाते यहां तेरे तो ठाठ ही ठाठ हैं !"


चिंटू की बात सुनकर पिंटू मुस्कुराते हुए उसकी तरफ देखता है, फिर दूर से आते हुए टीटी को देखकर उनके पास पहुंच जाता है।


पिंटू— ";काका, दिल्ली वाली ट्रेन प्लेटफॉर्म नंबर 3 पर ही आएगी न ?"


टीटी— "हां, क्या तुम दिल्ली जा रहे हो ?"


पिंटू— "नहीं काका, मेरा दोस्त जाएगा "


टीटी— "अच्छा! और हमारे मास्टरजी, यानी तुम्हारे जीजाजी अब कैसे हैं ?"


पिंटू चलते-चलते जवाब देता है— .."हां, काका, अब ठीक हैं ...फिर चिंटू से— "चल, जल्दी से प्लेटफॉर्म 3 पर !"


चिंटू— "तू करना क्या चाहता है ?"


पिंटू—"तू चुपचाप मेरे साथ चल! "


प्लेटफॉर्म नंबर 3 में घुसते ही उन्हें महीमा दिख जाती है, जो अपने परिवार के साथ खड़ी होती है। लेकिन वह उन्हें नहीं देख पाती।


महीमा को देखते ही पिंटू अचानक मुड़कर प्लेटफॉर्म के बाहर की ओर दौड़ने लगता है।


चिंटू (चौंकते हुए)— .."अब कहां जा रहा है ?


पिंटू (दौड़ते हुए)—"मेरे पीछे-पीछे आ "..


चिंटू को उसकी हरकत समझ नहीं आती, लेकिन वह भी तेज़ कदमों से उसके पीछे हो लेता है।


पिंटू सीधा अनाउंसमेंट रूम के सामने जाकर रुकता है।


चिंटू, जो थोड़ी दूरी पर था, उसे इशारे से वहीं रुकने को कहता है।


फिर पिंटू अंदर चला जाता है, जहां पहले से एक लड़का बैठा होता है।


पिंटू (हड़बड़ाते हुए)— "आशीष, तुम्हें कोई प्लेटफॉर्म नंबर 1 पर मदनलाल की चाय की दुकान पर बुला रहा है "..

आशीष— "मुझे ? पर कौन ?"


पिंटू— "मुझे नहीं पता, कोई ज़रूरी काम है तुमसे !


आशीष— "पर मैं यहां से कैसे जा सकता हूं?"


पिंटू— .."बस एक बार जाकर देख तो ले! मैं यहां हूं ;"


आशीष सोच में पड़ जाता है।


पिंटू— "क्या सोच रहा है? जा जल्दी से"


आशीष, पिंटू के ज़ोर देने पर, ..."ठीक है !" कहकर बाहर निकल जाता है।


जैसे ही वह आंखों से ओझल होता है, पिंटू माइक उठा लेता है और—

" महीमा, I love you..महीमा चौधरी, मैं तुमसे बहुत-बहुत प्यार करता हूं.."


चिंटू के होश उड़ जाते हैं।


वह कुछ समझ पाता, इससे पहले ही पिंटू जल्दी से कमरे से बाहर निकलकर चिंटू का हाथ खींचते हुए कहता है— " भाग यहां से "


रेलवे स्टेशन पर हलचल मच जाती है।


आशीष उल्टे कदमों से अनाउंसमेंट रूम की ओर दौड़ते हुए बड़बड़ाता है— "मेरी नौकरी गई !"


महीमा, जो अचानक अपना नाम सुनती है, पहले तो सोचती है कि उसे भ्रम हुआ है, लेकिन फिर पहचान जाती है कि यह पिंटू की आवाज़ है।


परिवार के साथ होने के कारण वह घबरा जाती है।


उसका बड़ा भाई गुस्से से भड़क जाता है— " तू जानती है इसे ?"


सहमी हुई महीमा— "नहीं भैया..."


उसका भाई गुस्से में— " जो भी हो, आज तो उसकी खैर नही "...

लेकिन तभी उसके पापा उसे रोकते हुए कहते हैं— "बेकार में ट्रेन छूट जाएगी !"


मम्मी भी समर्थन करती हैं— "ठीक कह रहे हैं तुम्हारे पापा, ट्रेन आने ही वाली है !"


सही में, इतने में ट्रेन प्लेटफॉर्म पर आ जाती है।


पापा—"सब अपना सामान उठाओ, जल्दी !"


महीमा एक गहरी सांस लेकर अपने सामान के साथ ट्रेन की ओर बढ़ जाती है...।।



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