"नज़र ना लगे"
"नज़र ना लगे"
हल्की भूरी बड़ी-बड़ी आँखें और पलकें ऐसी की मानो मोरनी ने स्वयं अपने पंख फैला दिए हो। पतली सीधी नाक, सुर्ख़ गुलाबी होंठ और एकदम सीधे सरल बाल जैसे आपका हर कहना मानते हो।
यहाँ हम "नैना" की बात कर रहे हैं। सुंदर और मनभावन छवि वाली लड़की जो कि कॉलेज में प्रोफ़ेसर है।
कमरे में खिड़की के पास बैठी नैना... कॉफी पीते हुए खिड़की से बाहर बरसती हुई बारिश को देख रही थी। अचानक भीतर से एक आवाज़ आती है जल्दी करो नैना लेट हो जाओगी बाहर बारिश हो रही है, जाने में भी तो समय लगेगा।
नैना कहते हुए ' हाँ दादी जाती हूँ '। इतने में दादी नैना को लंच बॉक्स (टिफ़िन) देते हुए लो पहले इसे अपने बैग में रखो।
नैना- मेरी प्यारी दादी, आई लव यू सो मच।
दादी- बस बस अब जा भी वरना लेट हो जाएगी और खाना समय पर खा लेना बेटा...दादी नैना के बाल ठीक करते हुए...! जैसे एक माँ अपने छोटे बच्चे को सँवार रही हो।
नैना- जी दादी मैं खा लूँगी पर आप भी समय पर खा लेना और समय पर दवाई ले लेना पर आप; हमेशा की तरह कुछ भूल रही हो दादी...!
दादी- लव यू टू मेरा बच्चा मैं सिर्फ तुझसे ही प्यार करती हूँ। नैना मुसकुराते हुए मैं जानती हूँ दादी पर आपसे ये सुनकर मुझे बहुत अच्छा लगता है....
बाय दादी...
बाय बच्चा...अच्छे से जाना नैना ( दादी कहते हुए )
नैना के जाने तक दादी दरवाज़े पर खड़ी उसे बाय करती रही। जब तक नैना की कैब आँखों से ओझल न हो गयी दादी दरवाज़े पर ही खड़ी नैना को देखती रही।
दादी नैना से बहुत प्यार करती थी बचपन में ही एक कार एक्सीडेंट में नैना के माता-पिता गुजर गए थे। जवान बेटे-बहू की मौत ने दादी को अंदर से तोड़ दिया था पर ये नन्ही सी जान दादी की आँखों के सामने उनके जीने का सहारा थी।
नैना तब 11 वर्ष की थी दादी ने ही नैना का पालन-पोषण किया और उसे कभी माता-पिता की कमी महसूस न होने दी।
दूसरी तरफ नैना हमेशा से ही बहुत मेहनती लड़की रही। अपनी पारिवारिक स्थिति को देखते हुए कम उम्र में ही अपने पैरों पर खड़ी हुई यानी कॉलेज में प्रोफेसर के पद पर नियुक्त हुई।
25 वर्ष की नैना को लेकर अक्सर दादी चिंतित रहती की नैना को कोई अच्छा लड़का मिले जो उसे समझे उसका ख़्याल रखें क्योंकि नैना दुनिया की बुराइयों से एकदम अनजान थी।
दादी अक्सर फल-सब्जियां लेने मार्केट जाती एक दिन दादी पैदल-पैदल घर लौट रही थी कि अचानक दादी की नज़र उस अनाथालय पर पड़ी जहाँ एक नवयुवक ग़रीब बच्चों को खाने-पीने की सामग्री वितरित कर रहा था वो अक्सर वहाँ आता था बच्चे उसके आते ही बड़े खुश हो जाते थे दादी भी यह देखकर खुश हो जाती और मन ही मन उसे आशीर्वाद देती।
घर जाने के लिए दादी आगे बढ़ी ही थी कि न जाने क्या उनके पैर से टकराया और दादी गिरने ही वाली थी कि उस नौजवान ने दादी को संभाल लिया।
बोला दादी आराम से मैं आपको घर छोड़ देता हूँ दादी बोली अरे नहीं बेटा रोज का काम है, मैं चली जाऊंगी। सच बताऊँ तो तुम्हें देखकर बड़ी खुशी होती है, खुश रहो मेरे बच्चे...! कहकर दादी घर आ जाती है।
शाम को नैना जब कॉलेज से घर आती तो दादी और नैना चाय पीते हुए बॉलकनी में बैठकर ढेरों बातें करते नैना अपने मन की सारी बातें दादी से शेयर करती...!
दादी जब भी नैना से शादी की बात करती तो नैना चिढ़ जाती कहती दादी मैं बस आपके साथ रहना चाहती हूँ...!
हाँ बेटा मैं तो तुम्हारे साथ ही हूँ पर न जाने कितने दिन.....ऐसा सुनते ही नैना कहती है बस दादी ऐसी बात ना करो वरना मैं रूठ जाऊंगी, रोज ऐसे मत कहा करो कहते-कहते रोने लगी।
दादी- ठीक है, नहीं करूँगी अब चल रो मत नैना.. नैना...नैना
( प्रेम से गले लगाते हुए ) अच्छा बाबा अब मान भी जाओ..!
एक दिन नैना के कॉलेज में आई आई टी का कुछ इवेंट था। आई आई टी कॉलेज के प्रोफेशनल टीचर्स एक टीम वहाँ आई हुई थी। नैना की राजीव से मुलाकात उसी इवेंट में हुई। तीन दिन के इस इवेंट में नैना ने राजीव का दिल जीत लिया। राजीव आई आई टी कॉलेज में प्रोफेसर था।
इवेंट के समाप्त होते ही नैना की सादगी और मनभावन छवि को साथ लिए राजीव वापस लौट गया। वो नैना को पसंद करने लगा था।
कुछ दिनों बाद नैना का एक आर्टिकल अखबार में प्रकाशित हुआ।
राजीव ने उसे पढ़कर नैना को शुभकामनाएं दी तब उसे पता चला कि वह बहुत अच्छी लेखिका भी है। इसलिये राजीव की भावनाएँ नैना के प्रति और सम्मान-जनक हो गयी।
अब अक्सर नैना और राजीव की फ़ोन पर बातें होती दोनों काफी देर तक बात करते..! और धीरे-धीरे मुलाकातों का सिलसिला बढ़ने लगा। दोनों ही एक -दूसरे को पसंद भी करने लगे पर दोनों में से किसी ने भी अभी तक अपने प्रेम का इज़हार नहीं किया था।
एक दिन नैना किसी काम से शहर से बाहर गयी हुई थी और जल्दबाजी में फ़ोन घर पर ही भूल गयी।
राजीव का फ़ोन आने पर दादी ने बात की और नैना की शादी का प्रस्ताव रखा ये सुनते ही जैसे राजीव की ख़ुशी का ठिकाना न था और उसने आज दादी से मिलने की बात की।
शाम को राजीव दादी से मिलने घर आया और दोनों एक-दूसरे को देखकर हैरान थे राजीव ने कहा दादी आप...! दादी भी कहने लगी बेटा तुम ही राजीव हो...दादी की आँखों में ख़ुशी साफ झलक रही थी।
दादी- आओ बेटा अंदर आओ, बहुत दिनों से तुम्हारी राह देख रही थी चाहती थी नैना को कोई साफ दिल का लड़का मिले अब तुम्हें देखकर सारी चिंताए दूर हो गई। नैना तुम्हें पसंद करती है, बेटा
दादी मैं भी नैना को बहुत पसंद करता हूँ पर मैं आपको भी बहुत पसंद करता हूँ।
इसलिये मैं चाहता हूँ कि शादी के बाद आप हमारे साथ रहो। ये सुनते ही दादी की आँखों में खुशी के आँसू छलक पड़े और दादी कहने लगी नहीं बेटा मैं तो इसी शहर में हूँ, तुम आते जाते रहना मेरे लिए वही काफी है।
फिर राजीव ने दादी का हाथ पकड़ा और कहा दादी आपने नैना का हाथ मुझे देकर मेरा जीवन संवार दिया क्या मुझे इतना भी हक़ नहीं...! प्लीज दादी मना मत करना मुझ पर आपका ऋण बहुत बड़ा है और फिर क्या नैना ही आपकी बेटी है, मैं नहीं...! इस तरह
मुझे पराया मत करो दादी प्लीज, प्लीज दादी..!
कहते-कहते राजीव ने दादी के घुटनों पर सर रख दिया और दादी ने राजीव के सर पर हाथ रखते हुए कहा- ठीक है बेटा..! आज से मेरे दो बच्चे है, राजीव ने कहा ये हुई न बात आई लव यू दादी..!
दादी- अरे ! नैना भी यहीं कहती है
राजीव- और आप क्या कहती है दादी...!
दादी मुस्कुराई और बोली लव यू टू मेरा बच्चा..!
दादी- चलो बेटा अब खाना खाते है।
राजीव- ओके दादी...
राजीव ने कहा दादी क्या खाना बनाती हो आप..! दिल करता है आपके हाथ चूम लूँ।
अच्छा दादी मैं अब चलता हूँ, नैना आने वाली है।
हमारी मुलाकात सीक्रेट ही रखना, नैना को कुछ पता ना चले। दादी बोली ठीक है बेटा..अच्छे से जाना।
बाय दादी...
बाय बेटा...
जब तक राजीव की गाड़ी आँखों से ओझल न हो गयी दादी दरवाज़े पर खड़ी रही।
देर रात नैना आई और खाना खाकर सो गई। हमेशा की तरह सुबह कॉलेज चली गयी कुछ दिनों तक ऐसे ही चलता रहा एक दिन नैना कॉलेज जाकर वापस आई तो देखा घर का दरवाज़ा बंद था अचानक नैना घबरा गई और दौड़कर दादी...दादी कहते हुए दरवाजा पीटने लगी।
थोड़ा संभलकर दादी को फ़ोन करने ही वाली थी कि अचानक दरवाज़ा खुला दादी को देखकर वो दादी से लिपट गयी और फूट-फूट कर रोने लगी दादी ने नैना को चुप कराते हुए कहा कि मैं ठीक हूँ.....मेरा बच्चा, तुम्हारे होते हुए मुझे क्या हो सकता है।
आओ अंदर..... आओ...
नैना- दादी घर में इतना अँधेरा क्यूँ है.... अचानक लाइट जली और नैना सरप्राइज थी....बड़े हक व प्यार से दादी की तरफ देखने लगी और दादी को गले लगाते हुए बोली.....आपको याद था दादी...!
दादी ने नैना के सर पे हाथ रखा और नैना को गले लगाते हुए कहा खूब खुश रहो बेटा और तरक्की करो तुम जिसे दिल से चाहती हो वो तुम्हें मिले...
नैना- क्या मतलब है आपका दादी...मैं सिर्फ आपको चाहती हूँ मेरी प्यारी दादी...! चलो अब केक काटते है।
दादी- हाँ बच्चा, पर पहले अपना गिफ़्ट तो देख लो।
नैना- आप गिफ़्ट भी लाई हो दादी फिर से अकेले इतना कुछ करना...ओह दादी आप जैसा दुनिया में कोई नहीं है..!
दादी- चलो अब आँखें बंद करो....नैना
नैना- ओके दादी
दादी- अब आँखें खोलो नैना...!
राजीव को सामने देखकर नैना हैरान तो थी पर उसकी खुशी का भी कोई ठिकाना न रहा वह बोली तुम यहाँ...! तभी दादी कहने लगी ये गिफ़्ट जीवन भर तुम्हारे साथ रहेगा नैना...
क्या ये सब सच है नैना राजीव को इत्मीनान से देख रही थी...
तभी दादी और नैना का हाथ पकड़कर राजीव ने कहा हम सब जीवन भर साथ रहेंगे।
जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं नैना....!
थैंक्यू राजीव तुमने आज जो मुझे दिया है, वो अनमोल है।
नैना एक सुंदर सपने की तरह इसे महसूस कर रही थी...! आखिर
वो तो यहीं चाहती थी कि उसका हमसफ़र उसे समझे और दादी को अपनी दादी की तरह प्यार करें जब वो शादी के बाद किसी के माता-पिता को स्वयं के माता-पिता मान सकती है तो सामने वाला क्यूँ नहीं...!
सच में "नज़र न लगे" ऐसे प्यार को..….!

