"नये कपड़े"
"नये कपड़े"


आज कही एक नये area में जाना हुआ, वहाँ local market लगी थी। अचानक मेरा ध्यान बिकने वाले सामान की तरफ गया।बहुत आश्चर्य हुआ क्योंकि सारा सामान पुराना लग रहा था।थोड़े से और confusion के साथ मैंने इधर उधर देखा। ग्राहक भी थोड़े गरीब जैसे लग रहे थे।बड़े ही आराम से वह उन पुराने कपड़ों को उलट पुलट कर देखते हुए मोलभाव कर रहे थे।साथ चलने वाले व्यक्ति से मैंने सवाल किया,"आप मुझे कहाँ लेकर आ गए?"उन्होंने अनमने होते हुए जवाब दिया,"अरे नहीं,हमे जहाँ जाना है वह जगह बिलकुल पास में ही है।"
मुझे अचानक महसूस हुआ की गरीब तबकों के लोग और इनकी दुनिया हमारी दुनिया से कितनी अलग होती है।हम अपने पुराने कपड़ों को यूँही फेंक देते है और यह लोग उन चीजो को भी मोलभाव करते हुए खरीद लेते है।हो सकता है की घर जाकर यह इनके बेटा या बेटी बड़ी ही ख़ुशी से वह "नये" कपडे पहनने को मचल जाए ...