नशा
नशा
आज निशा बहुत उदास हैं। उसका मन घर में बिल्कुल नहीं लग रहा। उसे हमेशा याद रहता कि उसने कितने बुरे दिन देखे हैं..आज वह एक ऑफिसर बेटी की माँ हैं। वह अपने अतीत को कभी न भूल पाई ...।
काम वाली मेड के हाथ और माथे पर चोट देख उसके सारे जख्म हरे हो गये..। वह अपने अतीत की यादों के घेरे मे चली गई। जब भी वह अकेली होती.. उसका यही हाल होता ....। उसे आज भी अच्छी तरह याद है कि वह दिन जब उसने दो दिन पहले ही बैंक से अपनी सैलरी उठायी पर उसके पास कुछ नहीं हैं..।
बाई आंख के नीचे जामुनी नीला रंग एक अलग ही कहानी कह रहा । निशा को दर्द की चिंता नहीं हैं। उसे चिंता हैं तो बेटी के स्कूल की फीस की....।
बैंक से सैलरी मिलते ही घर पहुंची । वह सोच रही की आज घर में राशन का समान रख देगी। सारे महीने खाने को तरसना नहीं पड़ेगा। घर के दरवाजे पर पहुँचते ही उसका पति उसके साथ मारपीट करने लगा उसके हाथ से सारे पैसे भी छीन लिये। जैसे तैसे बैंक में क्लर्क की नौकरी मिल गई। जिससे घर का राशन-पानी चल रहा है..। पति भी बैंक में ही नौकरी करता। पर, उसको नशा की लत लग गई..। इसी चस्के में उसने अपनी नौकरी से भी हाथ धो दिया। अब, तो निशा की कमाई से घर चलता। निशा का पति अपना नौकरी छोड़ दिया और अपने नशा की पूर्ति के लिये अपनी पत्नी से जब तब उसकी सैलरी छीन लेता और उससे मार-पीट करता। आज भी उसने यहीं किया...।
पर रोज रोज की किच किच से तंग आकर निशा ने पति को छोड़ अपने बच्चों के संग रहना शुरु कर दिया।
अब, वह अपनी जिंदगी खुशी से जीने लगी।
निशा फैसला करती है कि वह अकेले रह लेगी पर ऐसे आदमी को नहीं सहेगी। अब, वह अपनी जिंदगी खुशी से जीने लगी।
