तुम्हारा टाइम आएगा तो आग्रा तक ले जाना। तुम्हारा टाइम आएगा तो आग्रा तक ले जाना।
लेखक : विक्टर द्रागून्स्की अनुवाद : आ. चारुमति रामदास लेखक : विक्टर द्रागून्स्की अनुवाद : आ. चारुमति रामदास
दादीजी को आजीवन कोई कष्ट न हों ऐसा दादाजी को दिया गया मेरा वचन आज पूर्ण हुआ। दादीजी को आजीवन कोई कष्ट न हों ऐसा दादाजी को दिया गया मेरा वचन आज पूर्ण हुआ।
ठंड की दोपहर। कॉलेज कैंपस का वो आखिरी कोना। दूर तक परेशान करने वाला कोई भी नहीं और कुछ पन्नों में डू... ठंड की दोपहर। कॉलेज कैंपस का वो आखिरी कोना। दूर तक परेशान करने वाला कोई भी नहीं ...
इसलिए हमेशा साथ रहते है क्यूंकि हम दोनों लड़के है। इसलिए हमेशा साथ रहते है क्यूंकि हम दोनों लड़के है।
फिर चाहे दोनों की राहें ही अलग अलग क्यों न हो फिर चाहे दोनों की राहें ही अलग अलग क्यों न हो