नन्हीं चुहिया और आत्महत्या
नन्हीं चुहिया और आत्महत्या
सुबह के साढ़े दस बजे का समय कमरे के वाशरूम से लगभग भागते हुए आधा अधूरा तौलिया लपेटे नीली आँखो व रुई से गालों वाली पॉच वर्षीय मेरी प्यारी बेटी रूही ने रसोईघर में ये कहते हुए प्रवेश किया " मम्मी,मम्मी मैंने उसे कमरे में आने नही दिया!" मैंने प्यार से एक हाथ से उसका तौलिया सही किया, दूसरे से उसे थोड़ा सहारा देते हुए रोकने का प्रयास किया, बातूनी रूही कहा रुकने वाली थी . मेरी कलाई पकड़ . वह वाशरूम की ओर बढ़ चली. साथ में बोलती जा रही थी "मम्मी, मुझे बहुत डर लग रहा था, इसलिए नहाने वाले स्टूल पर खड़ी हो गयी थी . आपने मना किया था तो मॅने वाशरूम का दरवाजा नहीं खोला, वह कमरे में नहीं आ पाई . लेकिन मम्मी वाशबेसिन का पाइप नीचे से मैंने हटा दिया था ' फिर भी वह उधर से 'बाहर ' नहीं गयी बार बार दरवाजे के कोने से निकलने की कोशिश कर रही थी एक बार तो वह लगभग पूरी बाहर निकल गयी थी लेकिन उसकी टांग फंस गयी थी . उसन बड़ी मुश्किल से स्वयं को निकाला फिर गीजर पर चढ़ गयी ' अचानक ट्पाक पानी के टब मॅ आ गिरी ' तबतक वाशरूम का दरवाजा मैंने खोल दिया था . वहाँ टब में मरणासन्न अवस्था में एक चुहिया तैर रही थी।
"ओह" मैंने रूही को पीछे कर कुछ मिनट के लिए दरवाजा फिर बंद कर दिया ' रूही सहम गयी थी . रुँआसी होकर बोली " मम्मी, मर गयी, मेरी ही गल्ती थी ' मैं उसे गले से लगा कर बोली ' नहीं मेरी गुड़िया, अपने को तो प्रत्येक इंसान को बचाना ही पड़ता है . इसमें कुछ भी गलत नहीं ' ' ।
उपलब्ध विकल्पो को तवज्जो न देना ,उनका चयन न करना,अपनी जिद्द को पकड़े हारते जाना, क्या एक प्रकार से 'आत्महत्यां ' नहीं है, पाइप के रास्ते बाहर जाने का विकल्प न चुनना ही उस मूक प्राणी के प्राणो को संकट में डाल गया ... मॅने वाशरूम का दरवाजा खोला ' देखा,अभी वो झटपटा रही थी मैने टब का पानी ज़मीन पर उड़ेल दिया . वह धीरे-धीरे चलते हुए पानी के बहाव के साथ नाली के रास्ते बाहर निकल गयी ।
