Renu Poddar

Tragedy

4.8  

Renu Poddar

Tragedy

नन्हा फरिश्ता

नन्हा फरिश्ता

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पापा, "मैं भी आपको रूम में बंद करूँगा" 

आपको कुछ खाने को भी नहीं दूँगा, आपके ऊपर चिलाऊँगा।

जब मुझे ज़्यादा गुस्सा आयेगा तो मैं भी आपको मारूँगा जैसे आप दादू और दादी को मारते हो।

आप इसलिए उनके साथ यह सब करते हो न क्यूँकि आप उनसे ज़्यादा स्ट्रॉन्ग हो। मैं भी बहुत सारा दूध पीके और जल्दी से अपना खाना फिनिश कर के स्ट्रॉन्ग बन जाऊँगा।

मुझे आप दोनों को अपना मम्मी डैडी कहना बिल्कुल अच्छा नहीं लगता।

मुझे तो आप हमेशा आपका अच्छा बच्चा बनने कि कहते हो, आप क्यों नहीं दादू दादी के अच्छे बच्चे बन पाए ?

नन्हा आरव रोता जा रहा था और नींद में यह सब बोलता जा रहा था। 

आरव अपने मम्मी पापा के बीच में सो रहा था। उसके मुँह से यह सब सुन नंदिनी और राजीव एक दूसरे को देखने लग गए जैसे पूछना चाह रहे हों यह सब इसके दिमाग में किसने भर दिया। राजीव नंदिनी के ऊपर चिल्लाते हुए बोला "तुम्हें कितनी बार बोला है, आरव को कमरे के अन्दर रखा करो। जब भी मेरी मम्मी पापा से कोई बात होती है। ज़रूर उन दोनों ने ही इसको यह सब सिखाया है।" नंदिनी गुस्से में बोली "आपने उनसे घर तो अपने नाम करा ही लिया है। आप उन्हें घर से क्यूँ नहीं निकाल देते। नंदिनी राजीव के कान भरते हुए बोली "ऐसे तो वो लोग हमारे बेटे को ही हमारे खिलाफ कर देंगे।" राजीव ने कहा "तुम एकदम पागल हो। पता नहीं, तुम्हें कब अक़्ल आयेगी? हम दोनों ऑफ़िस चले जाते हैं। हमारे पीछे से घर संभालने के लिए, आरव कि देखभाल के लिए हमें मुफ्त के नौकर मिले हुए हैं फिर भी तुम्हें चैन नहीं है। नौकर लगायेंगे, तो पता है, कितना पैसा खर्च करना पड़ेगा ? ऊपर से चोरी का डर रहेगा सो अलग। आरव से तो मम्मी-पापा को इतना प्यार है। इसकी हर फरमाइश पूरी करते हैं। अगर मम्मी-पापा मेरे भाई के पास जा कर रहेंगे तो जो थोड़ा बहुत पैसा उनके पास बचा है, वो हमारे हाथ से निकल जायेगा। नंदिनी ने हँसते हुए कहा "मैं तो आपको बुद्धू समझती थी पर आप तो बहुत समझदार हो।"

अचानक से आरव उठ गया और बोला मम्मी-पापा आप कितने गंदे हो दादू और दादी सिर्फ मुझे ही नहीं प्यार करते, वो आपको भी बहुत प्यार करते हैं। पापा दादू-दादी क्या आपकी पसन्द का सामान नहीं लाते थे ? मम्मी नानू और नानी को ज़रा सी प्रॉब्लम होती है, तो आप रोने लगती हो पर दादू और दादी को आप लोग नौकर समझते हो।

राजीव ने गुस्से में आरव को चांटा मारा और बोला "बड़ों के बीच में बोलता है, ज़रा भी मैनर्स नहीं हैं। बेचारा बच्चा रोता-रोता सो गया।

अगले दिन इतवार था, आरव की स्कूल कि छुट्टी थी। वह अपने मम्मी पापा के उठने से पहले अपने दादा दादी के कमरे में गया और उनसे बोला "दादू-दादी चलिये हम इस घर से कहीं और चलते हैं। मैं भी आपके साथ चलूँगा। मुझे अपने मम्मी पापा के साथ नहीं रहना। वो आपको नौकर समझते हैं" वह दोनों एक साथ बोले "अरे ये क्या कह रहा है, हमारा नन्हा सा शेर, ऐसा नहीं कहते। घर से जाना होगा तो हम दोनों जायेंगे, तू अपने मम्मी-पापा के साथ रह। नहीं तो उनका मन कैसे लगेगा ? वो दोनों तो तुझसे इतना प्यार करते हैं। अब कभी ऐसा मत बोलना"

आरव ने कहा "आप भी तो उनसे कितना प्यार करते हो, पर वो तो हमेशा आपके साथ लड़ते हैं, बताओ क्यों"?

आरव के दादा ने कहा "बेटा तू अभी बहुत छोटा है, तू यह सब नहीं समझेगा। घर की इज़्ज़त के लिए सब करना पड़ता है।

"दादू चलो इस घर से हम यहाँ नहीं रहेंगे" कहते-कहते आरव ज़मीन पर गिर पड़ा। तभी उसके मम्मी-पापा जो दरवाज़े पर खड़े हो कर यह सब सुन रहे थे उसे गोदी में उठाया। उन्होंने देखा उसे बहुत तेज़ बुखार हो गया है। राजीव ने तुरंत ही डॉक्टर को फोन कर के बुलाया। डॉक्टर ने कहा "बच्चे को कोई गहरा सदमा लगा है। कोई बात हुई है क्या ? वह सब एक दूसरे का मुँह देखने लगे, कोई कुछ नहीं बोला। डॉक्टर ने आगे कहा "अभी तो मैं इसे दवाई दे रहा हूँ पर आप सब को इसका बहुत ध्यान रखना पड़ेगा। घर पर ऐसी कोई बात नहीं होनी चाहिए जिससे इसे दुखः पहुँचे। जब तक आरव को होश आ चुका था। डॉक्टर ने उससे पूछा बेटा "आपको कोई डांटता है?" आरव कुछ नहीं बोला। डॉक्टर के जाने के बाद आरव ने कहा "पापा मैं दादू और दादी को और परेशान होते हुए नहीं देख सकता। मैं उनके साथ कहीं और जा कर रहना चाहता हूँ" नंदिनी और राजीव ने आरव से कहा "सॉरी बेटा" तो उसने कहा "सॉरी तो आप दादू और दादी को बोलो" उन दोनों ने अपने मम्मी पापा से माफ़ी मांगी आरव की दादी ने आरव को गले लगा लिया।


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