Archana kochar Sugandha

Tragedy

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Archana kochar Sugandha

Tragedy

नंदिनी यह तुमने क्या किया

नंदिनी यह तुमने क्या किया

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हँसती मुस्कुराती जिंदगी को अलविदा कहकर नंदनी हमेशा के लिए चली गई । पीछे छोड़ गई विनीत के नाम उसकी बेगुनाही का सबूत एक सुसाइड नोट । घर में किसी चीज की कमी नहीं थी, बस कमी थी कि नंदिनी और विनीत बेऔलाद थे । जिसका गम विनीत के साथ-साथ उसकी माँ को भी अंदर-ही-अंदर सालता था । दोनों की डॉक्टरी रिपोर्ट भी सही थी । ना तो इलाज में कोई कसर छोड़ी गई और ना ही पूजा-पाठ, मन्नतों तथा धागे-ताबीज में । मगर दस सालों में परिणाम नकारात्मक ही रहा । नंदिनी के प्रति समाज के चुभते व्यंग्य बाणों - बांझ.., बंजर.., में विनीत तथा उसकी माँ हमेशा रक्षा कवच बनकर नंदिनी की रक्षा में खड़े रहते , लेकिन यह तकलीफ नंदिनी को भीतर-ही-भीतर सालती रही । जिसके कारण वह कायर तथा कमजोरहो गई तथा केवल दो शब्दों में- "विनीत, प्लीज मुझे माफ कर देना, मैं आपके और माँ जी के इतने प्यार के काबिल नहीं थी, जितना आपने मुझे दिया है । काश ! उसके बदले मैं आपको कुछ लौटा पाती । अब मैं शायद इस धरती पर बांझ और बंजर का बोझ और नहीं सहन कर सकती थी ।"


तभी डाक्टर ने पोस्टमार्टम की रिपोर्ट विनीत के हाथ में थमाते हुए - "श्रीमान विनीत, क्या आप जानते थे कि आपकी पत्नी डेढ़ महीने के गर्भ से थी..?"


विनीत के लिए यह आघात किसी वज्र कम नहीं था । बिलख-बिलख कर दहाड़ते हुए - "नंदिनी, यह तुमने क्या किया…? नंदिनी यह तुमने क्या किया।"



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