Avinash Agnihotri

Tragedy

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Avinash Agnihotri

Tragedy

नियति

नियति

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ऑफिस में जाकर बैठा ही था कि, हल्की उम्र का एक लड़का मेरे सामने हाँथ में पानी का गिलास ले उपस्थित हुआ।उसे देख मैंने आश्चर्य से पूछा ,"नए भर्ती हुए क्या?" उसने स्वीकृति में अपना सर हिला दिया।मैंने फिर प्रश्न किया,"पर अभी तो हमारे विभाग ने कोई भर्ती निकाली ही नही।"वो सकुचाते हुए बोला "अनुकम्पा नियुक्ति हुई है।"मैं उससे आगे कुछ पूछता ,इसके पहले ही वह बोल उठा "रवि कुमार जी मेरे पापा थे।" मैं उसकी पीठ पर हाँथ रखते हुए बोला "बेटा तुम्हारे पिता एक अच्छे व सच्चे व्यक्ति थे।"इसपर उसने नजर उठाकर एक पल मुझे देखा।मैंने फिर पूछा,"पर तुमसे यहां ये सब क्यो करवाया जा रहा है।" लड़का बोला "अभी मेरी पढ़ाई पूरी नही हुई है।"

मैंने उसे सहानभूति जताते हुए कहा,"तुम्हे इस तरह का काम करने की कोई जरूरत नही।इस विषय पर मैं विभाग अध्यक्ष से बात करूंगा।" तब वो बोला "अब क्या फर्क पड़ता है अंकल,वैसे भी यहां कोई किसी की नियति नही बदल सकता।" और अपनी नम आँखो को पोछता हुए कमरे से बाहर चला गया।फिर मुझे पानी पीते हुए ,उसके पिता की कही बात याद आई।वो कहता था,"सर मैं भले ही कर्मचारी रहा।पर अपने बेटे को एक दिन जरूर आप जैसा अधिकारी बनाऊंगा।"


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