Prem Bajaj

Tragedy

3  

Prem Bajaj

Tragedy

निवाला

निवाला

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"मां , मां बहुत जोरों से भूख लगी है , कुछ खाने को दो ना ।"

"कहां से लाऊं , कोरोना की वजह से सब बोलते हैं दूर रहना है,किसी को अपने घर नहीं आने देना ,ऐसा कह के कोई नहीं काम देता ।"

"मां लाला से उधार ले आओ ना , जब काम मिलेगा चुका देना ‌।"

"हां बचुआ मैं भी यही सोच रही हूं , अब और तो कोई चारा ना है ।आज तेरा बापु ज़िन्दा होता , कहीं से जुगाड कर ही लेता ,उसको भी मुआ कोरोना खा गया ।चल अभी पानी पी लें रात को लाला से कुछ खाने को लाना ही होगा वरना तो भूखों मरने की नौबत आ जाएगी ।"

"मां अभी ले आओ ना ।"

"ना बचुआ वो अभी ना देवेगा , वो रात को देवे है , अब तुझे कैसे समझाऊं ,कि इस बड़े लोग काम नहीं देते कोरोना का डर खाए हैं इनको , लेकिन इमान के बदले निवाला देते हैं ।"

लाला के पास गई .... "लाला बचुआ के भूखों मरने की नौबत है , कुछ खाने के लिए दे दो ।"

"आओ रानी , आओ, मैं तो बोला था तुझे , तू ही नहीं आई ।"

"लाला कोरोना है ! "

"अरे काहे कोरोना का रोना रोवत है , आजा अन्दर फटाक से ‌।"

थोड़ी देर बाद लाला के घर से ढेर सारा खाना मिल गया ।

"मां काम मिल गया का ।"

"हां बचुआ इमान बेचने का काम है , अगर निवाला चाही तो ई काम अब करना ही पड़ी ।"

"वाह रे इन्सान"


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