नीली आँखो वाली लड़की
नीली आँखो वाली लड़की
"राम राम सुबह सुबह किसका मुँँह देख लिया,न जाने आज का दिन कैसे बीतेगा"
अम्मा बड़बड़ए जा रही थी।क्या हुआ अम्मा किसका मुँँह देख लिया जो इतना बडबडा रही हो..अरे उही नीली आँखोंं वली लड़की का जो नई नई मोहल्ले में आई है..जाने कौन है? क्या करती है?रात को जाती है दिन में आती है,इत्ते बड़े घर में अकेली रहती है..बताओ भला..ऐसे लोगो को देते ही क्योंं हैं घर,परिवार वालो को देना चाहिए..है कि नहीं..अम्मा का जारी था।
वो नीली आँखोंं वाली ...हाँ यही नाम रख दिया था सबने,उसका क्योंकि किसी नें उसका नाम पूछने की जहमत ही नहीं उठाई ,हमारी कुछ पच्चीस घरो की कॉलोनी है,सभी में अच्छा भाईचारा है सब मिलजुलकर रहते है,हर त्यौहार,हर खुशी हर गम में साथ देते हैं एक दूसरे का,अभी कुछ दिनोंं पहले ही दो घर छोडकर रहने वाले रवि भइया दो साल के लिए यू.एस चले गए, और जाते जाते अपना घर उस नीली आँखोंं वाली लडकी को दे गए किराए पर।
बेहद खूबसूरत थी वो,गोरा रंग नीली आँखेंं,और भूरे भूरे लंबे बाल,जब से आई थी सबके लिए रहस्य के समान थी,कालोनी के सभी भैया उसकी एक झलक के लिए बेताब रहते थे,भाभियाँ जल- जल के आधी हो गई थी,हम जैसी यंग लड़कियोंं के लिए स्टाइल अॉइकौन थी,और अम्मा जैसे लोगो के लिए तो..किसी आफ़त से कम नहीं.. न जाने क्या क्या सोच लिया था उनके बारे में,हमने कोशिश की उनसे बात करें पूछे कौन है,क्या करती है..लेकिन कॉलोनी की सभी आम्माओं की सख्त हिदायत थी कि कोई उनसे बात नहीं करेगा।हम सारे त्योहार मिलकर मनाते और वो बेचारी अकेली बॉलकनी में खड़ी देखती रहती।
उस दिन हम सभी कालोनी वासी बस कराकर पास वाली पहाड़ी की देवी के मंदिर गए थे,दर्शन करने के लिए,शाम हो चली थी न जाने कैसे बस अनियंत्रित हो कर खाई में गिर गई।जान माल का तो नुकसान नहीं हुआ पर सबको गंभीर चोटे आईं,सभी को पास के अस्पताल ले जाया गया,सभी दर्द से कराह रहे थे,कि तभी डॉक्टर का कोट पहने वो नीली आँखो वाली लड़की दौड़ी -दौड़ी आई..
"अरे आपलोग,ये हादसा कैसे हुआ,आप बिल्कुल भी चिंता न करें,मै हूँ ना"
कहते हुए जल्दी जल्दी नर्सों को और साथी डॉक्टरों को निर्देश देने लगी।हम सभी का मुँँह खुला का खुला रह गया..अम्मा इतने दर्द के बावजूद भी पूछे बिना नहीं रह पाई.
"तुम यहाँ?"
"हाँ मैं डॉक्टर हूँ ना. "
तभी किसी नें पीछे से आवाज दी..डॉक्टर निशा..जरा इस पेशेंट को देख लीजिए..और वो मैं अभी आई कहते हुए चली गई।दो दिन हम वहाँ थे हमारे इलाज में कोई कमी नहीं होने दी उसने,प्यार ,अपनापन, और सेवाभाव तो जैैसे कूटकूट कर भरा था उसमें,आखिर हमनेे उनके बारे में एक नर्स से पूूूछ ही लिया उसने बताया कि "निशा जब आठ साल की थी तब उसके मम्मी पापा यू.एस शिफ्ट हो गए लेकिन निशा को इंडिया और इंडियन कल्चर से बेहद लगाव था,इसलिए उसने इंडिया को अपनी कर्मभूमि चुना।अक्सर नाइटशिफ्ट होती है,उनकी..बहुत अच्छी डॉक्टर हैं।"
हम सबका सर शर्म से झुका जा रहा था,अपनी सोच पर घिन आ रही थी सबको,हमारे घर आने के बाद भी निशा रोज आती थी सबका हाल चाल पूछने।सबके ठीक होने के बाद कालोनी वालो नेंं पूजा रखवाई,अम्मा ने पूछा..अरे नीली आँखो वाली..नहीं नहीं निशा बिटिया को बुलाया कि नहीं..अम्मा सबसे पहले उन्ही को बुलाया है,भाभी ने कहा...फिर तो निशा हम सबके परिवार का हिस्सा बन गई।राखी वाले दिन सभी भैया लोगो को "मेरा कोई भाई नहीं है" ये कह कहकर पकड़ पकड़ के राखी बांध दी ,अब वो भाभियोंं की प्यारी ननद बन गई थी,अम्मा लोगो की बिटिया,और हमारी दी।
आज निशा वापस जा रही है उनके पापा की तबियत खराब थी,अब शायद कभी वापस आए न आए।हम सभी बेहद दुखी थे..अम्मा तो रो रोकर बेहाल हुई जा रही थी..एक सुंंदर सी बनारसी साडी देते हुए कहा"बिटिया अपनी शादी में पहनना"..निशा ने अम्मा को गले लगाते हुए कहा
"अम्मा शादी तो मैं यहीं करूँँगी अपने इस परिवार के बीच,ये मेरा वादा है"...
और वो चली गई... नीली आँखो वाली लड़की तुम सचमुच बहुत याद आओगी।
सच है ना..हम किसी को बिना जाने समझे ही अपनी राय बना लेते है,शायद हमें अपनी इस गलत आदत को बदलने की जरूरत है, और वसुधैव कुटुंबकम ही तो हमारे देश की पहचान रही है ।