शरारत
शरारत
"राजेश की माँ मेरा चश्मा कहाँ है , मिल ही नहीं रहा"रमेश बाबू ने कमला देवी को आवाज़ देते हुए पूछा
"ओहो! कितनी बार कहा है उस नालायक की माँ कहकर मत बुलाया करो, जो हमें वृद्धाश्रम छोड़ गया, मेरे माँ बाप नें भी एक नाम दिया था ना मेरा, वो न हो सके तो डार्लिंग और वो क्या कहते है....हाँ हन्नी(हनी) ही पुकार लो " कमला देवी ने तुनकते हुए कहा।
"अरे गुस्सा क्यों करती हो, अब पचास साल पुरानी आदत इतनी जल्दी कैसे बदलेगी भला...अच्छा चलो कोशिश करता हूँ...कमला डार्लिंग मेरा चश्मा कहाँ है" रमेश बाबू ने डार्लिंग शब्द पर ज़ोर देते हुऐ कहा
"वहीं रखा है हन्नी(हनी) तुम्हारे सीधे हाथ की तरफ वाली टेबल पर "कमला देवी नें अपनी आवाज में शरारत घोलते हुए कहा
"ओहो!इतनी सी बात बताने के लिए इतने नखरे"रमेश बाबू नें टटोलते हुए चश्मा उठाया तो बाजू में एक डिबिया चमक रही थी, उन्होने अश्चर्य से पूछा " ये क्या है"
"खोल कर देख लो" कमला देवी ने कहा
रमेश बाबू ने डिबिया खोली तो एक सोने की चैन चमचमा रही थी "हैप्पी बर्थडे हन्नी (हनी) "कमला देवी नें खुशी से चहकते हुए कहा "तुम न कहते थे जीवन में एक बार सेठ लोगो की तरह गले में सोने की चेन पहनने की तम्मना है" कमला देवी ने कहा
"लेकिन इसके पैसे"रमेश बाबू ने चेन को उलट पलट कर देखते हुए आश्चर्य से कहा
"इतने सालों से तुम्हारी जेब से कभी सौ तो कभी दो सौ रुपए गायब होते थे ना......"कमला देवी ने अपनी साडी के आँचल से अपनी हंसी दबाते हुए कहा
"हे भगवान तो वो तुम थी..."रमेश बाबू आगे कुछ कहते इससे पहले हैप्पी बर्थडे टू यू कहते हुए उनके बुजुर्ग मित्रों नें कमरे में प्रवेश किया तो कमला देवी भी उनके साथ हंसते हुए "हैप्पी बर्थडे हन्नी (हनी) गाने लगी और रमेश बाबू भी खिलखिला कर हंसने लगे।