नारद की बहिन
नारद की बहिन
मेरी प्रिय सखी,
सोचा था शादी के बाद पति के रूप में एक सखा मिलेगा, लेकिन जो गॉसिप का मज़ा तुम्हारे साथ था; वह अब कहाँ।
पतिदेव को दूसरों की ज़िंदगी में झाँकने में ज़रा सी भी रूचि नहीं है। मैं किसी के बारे में कुछ बताऊँ तो सुनते ही नहीं और सुन भी ले तो एकदम ठंडी सी प्रतिक्रिया।
बातों में जो नमक-मिर्ची तुम लगाती थी; उन बातों को, बातों में घी का तड़का लगाने वाली तुम्हारी नारद की बहिन सखी बहुत मिस करती है।
अब तो सास-ससुराल विषय पर बहुत ही अच्छी चुगली और निंदा-पुराण हो सकता है।
पुराने दिनों को याद करती तुम्हारी सखी।