नाम बदनाम
नाम बदनाम
" आपकी हिम्मत कैसे हुई मेरा नाम लेने की मैं तो स्वयं स्वच्छता की पक्षधर हूं और आप मुझे बदनाम कर रहे हैं कि इस खाली प्लाट पर मैंने ही कचरा डाला है, दीपावली का समय है कितने ही लोग इस मोहल्ले में रहते हैं कोई भी डाल सकता है होगा कोई आपका ही अड़ौसी पड़ोसी, रोज कचरा गाड़ी आती है मुझे क्या पड़ी है जो इतनी दूर से यहां कचरा फेंकने आऊं।"
गुस्से से लाल पीली हो रही मोहतरमा को शांत करने के बजाए उसी अंदाज में रमाकांत जी ने कहा-
" बहन जी आप यह कचरा यहां से उठा लीजिए नहीं तो अभी बुलाता हूं नगर निगम अधिकारी को गंदगी फैलाने के जुर्म में आप पर जुर्माना करने के लिए।"
इसके साथ ही रमाकांत जी ने अपनी बंद मुट्ठी खोली जिसे देखते ही मोहतरमा शर्म से पानी पानी हो गई और सारा कचरा एक थैली में भर अपने साथ लेकर चुपचाप चली गई और साथ ही जिंदगी में फिर इधर उधर कचरा नहीं फेंकने की कसम खाई. रमाकांत जी के हाथों में और कुछ नहीं उस मोहतरमा के घर का पता लिखा लिफाफा था जो उन्होंने उसी कचरे के ढेर से उठाया था।