पेड़ की व्यथा
पेड़ की व्यथा
अपने मित्र पेड़ को बहुत उदास देख चिड़िया पूछ बैठी-
क्या बात है भाई ! आज इतने उदास क्यों हो पेड़ ने व्यथित स्वर में जवाब दिया-
बहन चिड़िया! मैं यहां स्वयं को बहुत असहज व असहाय महसूस करता हूं '
चिड़िया हंसते हुए चहकी-
पेड़ भाई ! क्यों मजाक करते हो तुम तो बहुत ही किस्मत वाले हो तुम्हारे आसपास सफाई,खाद-पानी आदि सब बराबर नियमित होता है एकदम हरे भरे स्वस्थ हो किसी की मजाल जो तुम्हारी एक भी पत्ती तोड़ ले चौबीसों घंटे इस बगीचे में चौकीदार रहते हैं फिर तुम्हें दुख किस बात का ?'
इस बार तो पेड़ की आंखों से आंसू ही टपक पड़े गले से बस इतना ही कह पाया -
बहन चिड़िया ! मेरे अधिकांश रिश्तेदार तो इस बगीचे से बाहर ही हैं'
लघुकथा के बारे में
उक्त लघुकथा पर्यावरण के प्रति सचेत करने के उद्देश्य से लिखी गई है क्योंकि वर्तमान में वन तथा पेड़ो की कटाई के कारण पर्यावरण के दूषित होने की प्रक्रिया निरंतर जारी है प्रतीक के रूप में पेड़ के माध्यम से ही पेड़ों को बचाने की गुहार लगाई गई है सारांश यह कि अंदर के पेड़ तो सुरक्षित हैं किंतु बाहर के पेड़ों की कटाई निरंतर जारी है उन्हें भी बचाइए।