ना उम्र की सीमा हो

ना उम्र की सीमा हो

5 mins
677


सिया आज बहुत परेशान थी। उसके पति राघव को एक महीने बाद अमेरिका जाना है तीन साल के लिए,और सिया भी साथ जाएगी। उसने सास से तैयारी करने को बोला तो उन्होंने साफ मना कर दिया"सिया मैं वहाँ क्या करुंगी जाकर मुझे बिल्कुल नहीं जाना"तु राघव से कह दे बस। मैं नहीं जाने वाली।

इसी बात से सिया परेशान थी। आखिर माँ को अकेला छोड़ कर जाएं भी तो कैसे ! जब से पापा की मौत हुई है ! माँ कभी अकेली भी नहीं रहीं है, और हमलोगों ने रहने भी नहीं दिया अब तीन साल के लिए कैसे छोड़ कर जा सकते है। पापा को गए पाँच साल हो गए है ! माँ तो हँसना ही भुल गई थी। पर शाम को वो कितना हँस रहीं थी। उनकी खुशी साफ दिख रही थी।

सिया पुरे दिन बैचेन रही उसने सोचा.. रात को राघव को ही समझाने बोलेगी माँ को। लेकिन माँ ने तो जैसे जिद ही पकड़ ली थी न जाने की। माँ ने साफ मना कर दिया। "राघव मेरे साथ यहाँ बहुत सारे लोग हैं जो मेरे साथ रहेंगे पास ही तो सब हैं जरूरत होने पर सब आ जाते हैं"तुम लोग आराम से जाओ तीन साल तुरंत बित जाएंगे पता भी नहीं चलेगा"।

सिया ने महसूस किया था इधर छह महीने से मां बहुत खुश रहने लगी थी ! पापा के जाने के बाद तो वो हँसना ही भुल गई थी। शायद इनकी मंडली जिनके साथ ये सुबह शाम बिताती हैं उनका असर है ! सिया ने सोचा चलो एक बार सब से मिलकर आती हूँ,फिर इस बारे में बात करेंगे।

माँ आप शाम को मुझे भी साथ ले लेना आपकी मंडली से मिल लुं फिर राघव से बात करूंगी क्या कर सकते हैं। सिया ने सास से कहा,पर ये क्या सिया के जाने के नाम पर उन्हें बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा। शाम को बिना सिया को बोले चली गयी,सुबह भी वो चली गयी। सिया सोच में थी माँ आखिर ले क्यों नहीं जाना चाहती।

दूसरे दिन शाम को वो चुपचाप माँ के पिछे गई, ये क्या इनकी तो कोई मंडली ही नहीं है ! यहाँ कुछ देर बाद उसने एक आदमी को आते देखा वो आकर वहाँ बैठा माँ के चेहरे पर अलग ही खूशी थी। वो चुप चाप सब देख रही थी वो दोनों ने सारा समय साथ में बिताया।

सिया घर आकर सोच में थी तब तक माँ भी आ गई। माँ आप ने अपनी मंडली से नहीं मिलवाया "क्या करेगी मिलकर रहना तो मुझे है बेटा तु आराम से तैयारी कर"। उन्होंने साफ झूठ बोला पर क्यों?सिया ने राघव से बात की पर राघव तो गुस्सा हो गए।

सिया दो-तीन दिन उनके पिछे गई,अब वो सारी बातें समझ चुकी थी। राघव का बस इन्तजार था। रात में रूम में आते ही उसनें सारी बात बताई। "पागल हो क्या तुम्हारा दिमाग खराब है" राघव चिल्लाया"। नहीं राघव मैं सच बोल रहीं हूँ। वो दोनों ही आपस के साथी हैं ! और उनका कोई नहीं है ! मैंने देखा है।  

जो खुशी उन दोनों को साथ मिलकर होती है वो दिख जाती है ! तुम एक बार बात तो करो अंकल से ! चलो मैं भी साथ चलूंगी।

माँ आप से कुछ बात करनी है" हाँ बोल ना" ...सिया ने जो बोला सुनकर वो बस बरस ही पड़ी"पागल हो तुम लोग इस उम्र में ये सब शोभा देता है.. हम दोनों बात करके अपना मन हल्का कर लेते है बस और कुछ नहीं तुम लोग मेरे बारे में गलत कैसे सोच सकते हो "और वो रोने लगी।

सिया ने कहा "माँ अभी आपने बोला आप दोनों साथ में बात करके मन हल्का कर लेते हो फिर साथ जिदंगी क्यों नहीं बिता सकते" हमने उनसे बात कर ली है वो आप का जबाब चाहते है पहले।

तुम लोग पागल हो गए हो, लोग क्या कहेंगे.......। कौन से लोग माँ ! जो पापा के बाद आपको देखने भी नहीं आए आप किस हाल में हो ! माँ आप अपनी खुशी देखो हम सब तैयार है, आप के साथ है ! जिंदगी दोबारा शुरू की जा सकती है ! माँ आप के साथ उन्हें भी साथी मिल जायेगा ! सोचो माँ एक दूसरे का ख्याल रखते आप दोनों की जिदंगी निकल जायेगी ! जो अभी आप बोझ की तरह ढो रहे हो।

पंद्रह-बीस दिन हो गए पर माँ को समझाना आसान नहीं था और तो और वो बाहर भी नहीं गई ! तब एक खालिपन उन्हें लगा और महसुस हुआ वो अकेले नहीं रह सकती।

"माँ "....हाँ कर दो राघव ने बोला। आप दोनों ही एक नई जिंदगी जी सकते हो ! किसी के जाने के बाद जिंदगी खत्म नहीं होती ! उसे जीना पड़ता है ! माँ वो भी पत्नी के ना रहने से अकेले हैं और आप भी दोनों एक दूसरे को समझते हैं,और क्या चाहिए ! अगर आप को यहाँ रहना है तो आप को शादी करनी पड़ेगी इस बार राघव जिद पर था।

आज रात राघव और सिया जा रहें हैं ,पर सुबह माँ को नई जिंदगी देकर हाँ उनकी शादी कराकर । दोनों साथ रहेंगे और एक दूसरे का ख्याल रखेंगे। सिया जा रही थी पर माँ तो ऐसे रो रही थी जैसे उनकी बेटी जा रही हो। "सिया तुमने जो किया मेरी बेटी भी नहीं करती"।

नहीं माँ मैंने वहीं किया जो सबको करना चाहिए "क्योंकि किसी के चले जाने से जिंदगी खत्म नहीं होती" हाँ बोझ जरूर लगने लगती है ! आप को अब बोझ नहीं लगेगी। "हाँ माँ दोबारा जिंदगी जीने का हक है"।

"आप एक नयी जिंदगी की शुरुआत करें हँस कर" । सिया चली गईं तीन साल के लिए एक नयी जिंदगी देकर।

ये बिल्कुल सच्ची घटना है। सोच बदल कर देखो,आप भी किसी को खुशी दे सकते हो। लोग क्या कहेंगे भूल जाओ। सचमुच ऐसा पर्याय सभी को मिले तो जिंदगी कितनी आसान हो जाए जहां न उम्र का बंधन। सचमुच करता रही असली प्यार है सच्चा प्यार सच्चा एहसास। हां यही प्यार है।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Romance