प्यार तो बस प्यार है
प्यार तो बस प्यार है
सांंवला सलोना चेहरा तीखे नैन, लंबे बालों वाली ये भला है कौन जो पूरे शादी में बस काम में ही लगी हुई है। रोहित जब से आया है तब से उसे ही देख रहा था। आज सुबह ही वो आया था,अपने मामा के घर शादी में तब से वो उसे ही देख रहा है कितनी सुघड़ता से सब काम फटाफट कर रही थी।
चाय से लेकर खाना,नाश्ता सब व्यवस्था वो देख रही थी।
"आप चाय लेंगे" तभी उसे आवाज़ आई पलट कर देखा तो वही लड़की .".नहीं.. हाँ हाँ" मेरी आवाज़ ही जैसे हलक में रह गई हो। वो चाय देकर चली गई और मैं बस उसे देखता रह गया। "बेवकूफ़" नाम भी नहीं पूछा अपने आप को कोसा।
ये माँ भी कहीं नहीं दिख रही उसी से पूछ लेता। दोपहर होने को थी खाना खाने सब चले मैं भी गया पर वो लड़की दिखी नहीं। कहाँ हैं वो रोहित मन ही मन सोच रहा था। "खा जल्दी बहुत काम हैं बारात आने में कुछ ही घंटे हैं" मामा ने कहा तो मैं खाने तो बैठ गया पर निगाह उसे ही ढूंढ रही थी पर वो दिख नहीं रही थी।
पर मैं इतना उसे ढूंढ क्यों रहा हूँ..? क्यों मैं उसके लिए बेचैन हो रहा हूँ? मैं भी न बस न जान न पहचान मैं तेरा मेहमान खुद पर ही हँसी आ गई। जैसे तैसे खाना खाकर घर के अंदर गया शायद वो नजर आ जाऐ पर नहीं वो तो जैसे ग़ायब ही हो गई थी जैसे" गधे के सर से सिंग"। मैं पूरा घर छान लिया पर वो सांवला मुखड़ा कहीं नहीं नजर आ रहा था।
रोहित चल बेटा तेरे कपड़े निकाल दूँ बारात आने वाली है। हाँ माँ... सोचा माँ से पूछ लूं पर क्या नाम भी तो नहीं पता। खुद पर गुस्सा आया चाय पी ली और नाम भी न पूछा। बारात जहाँ ठहरी थी मुझे वहाँ भेज दिया गया उनके स्वागत के लिए और साथ में आने के लिए पर मन बेचैन था।
उदास मन से बारात के साथ मैं आ गया दरवाज़े पर सामने सब की भीड़ में वही सांवला मुखड़ा.... मेरी तो जैसे दिल की धड़कन ही रुक गई।
लहंगे में... लम्बी चोटी, फूलों का गजरा और खूबसूरत नजर आ रही थी वो। मैं तो बस देखता ही रह गया था इस बात से बेखबर की माँ सब मेरी नज़रों को भाप चुकी थी। पुरी शादी उसके आगे पीछे करता रहा क्यों पता नहीं था पर अच्छा लग रहा था।
अब सब खत्म हो चुका था! शादी से सब लौट रहे थे और मैं बस एकटक उसे देख रहा था और वो भी मुझे, वो भांप चुकी थी। सोनल नाम था। सब रात को आराम से बैठे बात कर रहें थे सुबह हमें निकलना था। वो भी सुन चुकी थी और उदास थी मेरी तरफ देखकर नज़रें छुपा लेती थी। सब ऊपर थे मैंने हिम्मत करके उसे नीचे आने का इशारा किया और नीचे आ गया।
वो भी आई शर्म चेहरे पर साफ दिख रही थी। मैंने कहा मैं सुबह जा रहा हूँ तुम से कुछ कहूँ उसने हाँ में सर हिलाया। मैं तुमसे शादी करना चाहता हूँ। वो मेरी तरफ देखती रह गई फिर उसने बोलना शुरू किया तो मैं सुनता ही रह गया
"आप इतने गोरे मैं काली आप मुझसे शादी कैसे कर सकते हो,आपकी माँ आपके लिए कोई आप जैसी सुंदर लड़की लाएंगी! मैं आपके साथ नहीं अच्छी लगूंगी! मेरा सांवला रंग तो किसी को पसंद ही नहीं आता! कितने लोगों ने मुझे देखकर सांवला कहकर छोड़ दिया! आप के साथ मैं नहीं चलूंगी।"
वो चुप हो गई, पर मैं सन्न रह गया था इतना दर्द था सांवलेपन का। उसने फिर कहा " आपके लायक मैं नहीं मन कितना भी सुंदर हो सबको तन ही सुंदर चाहिए मन का क्या समझा दूंगी हमेशा की तरह" उसने इतने कम शब्दों में सारा दर्द बंया कर दिया।प हले तो सिर्फ सांवला मुखड़ा मुझे भाया था पर अब उसकी मन की सुंदरता भी भा गई थी। उसके चंद शब्दों ने ही मन की सुंदरता ही सब हैं साबित कर दिया था।
मैं बस तुम्हें चाहता हूँ तुम क्या चाहती हो उसने हाँ में सर हिलाया, बस मुझे सारे जहाँ की ख़ुशियाँ मिल गई। वो सांंवला मुखड़ा मेरे और करीब आ गया था।मुझे जैसे जमाने की हर खुशी मिल गई थी।आज मन में आ रहा था जोर.. जोर.. से में भी गाऊं ..
सांवली सलोनी तेरी झील सी आँखें इनमें न जाने कहां खो ....
प्यार सांवला या गोरा नहीं देखता ये तो बस हो जाता है.. हैं न पर क्या किसी के साथ रंग भेद करना उचित है?.. नहीं न.. रंग तो भगवान ने बनाया है किसी को गोरा किसी को काला हमें तो बस उसकी मन की सुंदरता ही देखनी चाहिए आप के क्या विचार हैं। प्यार तो बस प्यार होता है।

