अजय '' बनारसी ''

Drama

5.0  

अजय '' बनारसी ''

Drama

मूली वाला

मूली वाला

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आज संजय अपने ऑफिस से घर लौट रहा था, ड्राइवर रामलाल ने आज कार का रास्ता बदल दिया और वह छोटे से भाजी मार्किट से होकर जाने वाली सड़क पर आ गया।

संजय ने झुंझलाते हुए कहा- ये कहाँ से ले चल रहे हो, हम सीधे भी जा सकते थे ? रामलाल ने कहा- आज हम जल्दी लौटे हैं, आप चिंता न करें इस वक्त बाज़ार लग ही रहा होगा, भीड़ नहीं होगी और इससे जल्दी भी पहुँचेंगे।

मार्केट के नज़दीक आते ही कार थोड़ी धीमी हो गई, सहसा संजय की नज़र बाहर यहीं मार्केट शुरू होने वाले छोर पर एक दस वर्ष के बच्चे पर पड़ी उसने उसे कुछ मूली रखकर बेचते हुए देखा, वह आवाज़ लगा रहा था ताज़ी मूली ले लो,.... सेहत के लिए बढ़िया मूली...मूली ले लो।

संजय के चेहरे पर मुस्कान आ गई उसे उस बच्चे में अपना बचपना जो दिखाई दे गया था। आज से तीस वर्ष पहले संजय के घर की माली हालत ठीक नही थी वह सरकारी स्कूल में पढ़ता था उसी सरकारी स्कूल के पास यह भाजी मार्केट थी वैसे रोज़ वह पास के मैदान में खेला करता था लेकिन एक दिन उसका मित्र मनोज उसे शाम को खेलने के बजाय मार्केट ले गया था। उसके पिताजी वहाँ सब्जी बेचा करते थे और मनोज को कुछ मूलियां देकर ठीक उसी छोर पर बैठा देते थे जहाँ उसने आज उस बालक को देखा था।

तो आज मनोज ने कुल सौ मूलियां ली थी छोटी-बड़ी, उसने संजय से कहा वह आधा माल लेकर उसके पास ही खड़ा हो और उसका साथ दे और वह लोगो को मूली खरीदने के लिए पुकारने लगा। संजय थोड़ा सकुचाया फिर वह भी बड़ी आवाज़ में लोगों को आवाज़ देने लगा।

उसे काफी आनन्द भी आ रहा था। फिर क्या था एक घंटे के भीतर कुछ मूलियां ही बची थी दोनों के पास मनोज ने उससे मूली की वास्तविक कीमत ली और संजय के हाथ पर पाँच रुपये और बची हुई मूलियाँ रख दी और कहा ये तेरी आज की कमाई हैं, संजय फिर सकुचाया, ये क्या तेरे पिताजी तुझे डांटेंगे और मैं तो सिर्फ तेरे साथ खड़ा ही था, मनोज ने उसे समझाया मैंने आज पिताजी से आधा मेरे लिए और आधा माल तेरे लिए लिया था कल फिर आना मिलकर मूली बेचेंगे, अब संजय रोज़ आने लगा वे दोनों अधिक माल लेने लगे और इसी तरह दो वर्षों तक सप्ताह में कभी कभी यह मूली का धंधा चला। बाद में मनोज स्कूल से अलग हो गया और वह वहाँ अब नहीं रहता था कहीं दूर रहने चला गया था। और संजय का भी दाखिला उच्च माध्यमिक स्कूल में हो गया था

आज संजय को उसकी असली कमाई के दो अनमोल वर्ष उसे दिखाई दिए वह घर पंहुच चुका था । कार से उतरते उसने ड्राइवर से शुक्रिया कहा और सौ रुपये भी दिए और कहा घर जाते समय मार्केट से मूली ज़रूर लेना सेहत के लिए अच्छी होती हैं। आज संजय के चेहरे की हँसी को ड्राइवर रामलाल नहीं समझ पा रहा था। वह उसे घर मे प्रवेश करते हुए देखता रह गया।


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