STORYMIRROR

Archna Goyal

Inspirational

3  

Archna Goyal

Inspirational

मुस्कुराते रिश्ते

मुस्कुराते रिश्ते

3 mins
266

मैं जब भी जी चाहता वृद्धाआश्रम में चली जाती थी। उन लाचारो की मदद करने जो अपनो के ठुकराए हैं।

जो बूढ़ी अम्मा सी होती है जिनसे अपने बालों में तेल नहीं लगता है, अपने कपड़े ठीक से नहीं पहन सकते है, अपना काम भी ठीक से नहीं कर पाते है

और तो और अपनी दवाई का भी ख्याल ठीक से नहीं रख पाते हैं। उनको मदद कर देती हूँ। उनको ऐसी ऐसी कहाँनी सुनाती हूँ जिससे वो जीने के लिए प्रेरित हो। उनको ये समझाती हूँ कि परिवार ही सबकुछ नहीं है हमारे लिए, हम भी बहुत कुछ है हमारे लिए। परिवार ने धोखा दिया तो क्या हुआ, हम अपने आप को क्युं धोखा दे। जब वो हमारे नहीं हो सके तो हम क्युं रोये उनके लिए। हम जियेगे और अच्छे से जियेगे।

हम जी कर दिखाएँगे उनको। हसँते हुए जीवन बिताएगे। उनको ये दिखाएगे कि देखो तुमने हमें छोड़ा तो क्या हुआ। हमें तो सेकड़ो लोगो का परिवार और प्यार मिला है। मैं कभी कभी उन लोगो की उनके रिस्तेदारो से बात भी करवा देती हूँ,

छोड़ा तो उनको उनके अपने बेटो ने है। उसमें रिस्तेदारो का क्या कसुर। वो कभी अपने भाई बहनो से तो कभी दोस्तो से बातें करते।

उनकी जब फोन पर बात होती किसी अपने से तो वो अपना दर्द भुल जाते है। वरना एक बनावटी हँसी के सहारे अपना दिन गुजार लेते है।

मैं कभी कभी अपने बच्चो को भी वहाँ ले जाती हूँ।

वहाँ पर उनको देख कर वो लोग बहुत खुश होते है, अपने पोते पोती की तरह ही व्यवहार करते है

कई बार वहाँ पर कुछ अम्मा तो मेरे बच्चो के लिए चीज भी बचा कर रखती थी अपने हिस्से में से। ये देख मेरी आँखें भर आती थी। कही दादा दादी बच्चो के लिए तरसते है तो कही बच्चे दादा दादी के लिए।

ये कैसी माया है प्रभु की। मेरे बच्चे कई बार अपने दोस्तो के साथ भी चले जाते थे वहाँ पर। और खुब मस्ती करते। उनकी मस्ती देख वे लोग भी बच्चे बन जाते। धीरे धीरे बच्चो का कुछ जादा ही रुझान हो गया था उन वृद्धो में। इस बार कोई भी बच्चा छुट्टियो में घुमने या नानी के घर नहीं गया। सभी बच्चो ने मिलकर एक योजना बनाई उन लोगो के मनोरंजन के लिए। अब से हम शाम को इसी वृद्धाआश्रम के गार्डेन में ही खेला करेगे। ताकि इन लोगो का मन बहलता रहे। इस बात की आज्ञा वहाँ के प्रमुख अधिकारी ने दे दी थी। वहाँ पर कई ऐसे बुजुर्ग भी थे जो पढ़े लिखे थे। कुछ बच्चे तो उनसे पढ़ने भी लगे थे। धीरे धीरे वहाँ जो भी जिस काम में कुशल था वे करने लगे थे। धीरे धीरे वहाँ घर जैसा माहोल बन गया था। बच्चे अब वहाँ पर अपने स्कुल में चंदा इकट्ठा कर बुजुर्गो के लिए उनकी पसंद की चीजें लाने लगे थे। कुछ अच्छे बच्चो की वजह से एक आश्रम एक परिवार की तरह बन गया था। एक रिश्ता सा कायम हो गया था उनके बीच। जब बच्चे गार्डेन में खेल रहे थे तब एक बच्चे को पास बुलाकर एक दिन एक अम्मा बोली उस बच्चे से ,,,,,

क्या रिश्ता है तेरा मेरे साथ।

वो बच्चा बस मुस्कुरा कर वहाँ से चला गया। और खेलने लगा और वो अम्मा रिश्ते का नाम ढ़ुढ़ती रह गई। शायद इन रिश्तों का कोई नाम नहीं होता कहने के लिए।

ये होते है अनकहे रिश्ते।

ऐसे बच्चे शायद बड़े हो कर अपने माता-पिता को किसी वृद्धाआश्रम में नहीं छोड़ेगे। मैं आशा करती हूँ।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational