मुसीबत
मुसीबत
बात उन दिनों की है जब मैं एमएससी में थी। मेरी मां की तबीयत बहुत खराब हो गई थी। इलाज के लिए उनको मुंबई जाना पड़ा।
सबसे बड़ी चिंता का विषय था कि बारिश का मौसम था और हमारे घर में उस समय चूल्हे पर खाना बनाया जाता था और बारिश में गीली लकड़ियां मिलती थी।
अब समझ में नहीं आ रहा था कि इस मुसीबत से कैसे निपटा जाए।
ऐसे में हमारी मदद मेरी मित्र चेतना ने की।उसने अपने घर से हमको एक गैस सिलेंडर दिया। गैस चूल्हा हमने बाजार से खरीद लिया।
सचमुच उस समय ऐसा लग रहा था कि हम कितनी बड़ी पहाड़ जैसी मुसीबत से बच कर बाहर आ गए।
और मेरी मित्र का तहे दिल से आभार उसका यह सहयोग हम जीवन में कभी नहीं भुला सकते।