मुँह दिखाई
मुँह दिखाई


हॉस्पिटल में बाहर बैठ दिशा सोच रही थी सुहानी का क्या होगा। दो महीने बाद उसकी सगाई है। वो ऑपरेशन थियेटर में थी। दिशा की आँखों से अनवरत आँसू बह रहे थे.. वो समझ ही नहीं पा रही थी क्या करे।
सुहानी के मम्मी पापा का हाल भी बहुत ख़राब था। सुहानी एकलौती बेटी थी उनकी। सुहानी का होने वाला ससुराल दूसरे शहर में था। उन लोगो के फ़ोन लगातार आ रहे थे.. सुहानी का होने वाला पति साहिल रास्ते में था और लगातार दिशा से सम्पर्क बनाये हुए था।
सुहानी अपने घर की एकलौती लड़की थी। समझदार, सुन्दर, सुघड़ हर काम मे निपुण। पढ़ाई में सबसे आगे।
कल की तो बात है सुहानी की डिग्री पूरी होने के बाद कॉलेज के पुरस्कार समारोह से वो और दिशा दोनों ख़ुशी खुशी घर लौट रहे थे।
दोनो बस स्टॉप पर खड़े थे की उनके ही कॉलेज के कुछ लड़के आये जिनमे से महेश ने आकर सुहानी से कहा...तो तुम अपना फैसला नहीं बदलोगी। सुहानी ने गुस्से से उसे देखा और कहा..नहीं, कितनी बार तुम्हें कहा, अब मेरा पीछा छोड़ दो। तभी दिशा बोली महेश सुहानी की शादी तय हो गयी है अब उसे परेशान करना छोड़ दो।
दिशा के मुँह से सुहानी की शादी की बात सुन महेश बौखला गया। तुम सिर्फ मेरी हो...तुम किसी और की नहीं हो सकती...तुम अगर मेरी नहीं हुयी तो तुम्हें किसी और का होने का कोई हक़ नहीं है... गुस्से मे अपनी गाड़ी से एक बोतल निकाली और फेक दिया उस जहर को सुहानी के चेहरे पर।
सुहानी बहुत जोर से चिल्लाई...वो तेजाब था.. जिससे सुहानी का आधा चेहरा और हाथ झुलस गए। दिशा भी बहुत जोर से चिल्लाते हुए लोगो को मदद के लिये बुलाने लगी। तब तक महेश अपनी गाड़ी मे बैठ कर फरार हो चुका था।
दिशा लोगो की मदद से सुहानी को अस्पताल लेकर आयी। पुलिस केस होने की वजह से डॉक्टर्स थोड़ी आना कानी करने लगे। दिशा के चिल्लाने और खुद पुलिस को फ़ोन करने के बाद उन्होंने इलाज शुरू किया..
दिशा ने सुहानी के घर पर फ़ोन किया। पुलिस आने के बाद उन्हें सारी घटना की जानकारी दी। महेश के खिलाफ कंप्लेंट दर्ज करवाई।
कल से अभी तक सुहानी होश मे नहीं आ पायी थी। डॉक्टर सर्जरी कर रहे थे, दिशा सोच रही थी। अगर सुहानी महेश को नहीं चाहती तो उसमे उसकी क्या गलती। पता नहीं अब क्या होगा। उसकी सगाई होंगी या नहीं। बेचारी आगे का जीवन कैसे बितायेगी।
पता नहीं क्या क्या ख्याल उसके मन मे आ रहे थे। सुहानी की माँ का तो रो रो के बुरा हाल था.. उसके पापा तो कुछ कह ही नहीं पाए थे।
दिशा अपने मन की उधेड़ बुन में बैठी थी की साहिल ने उसे आकर पूछा कैसी है सुहानी।
दिशा ने कहा पता नहीं ऑपरेशन थियेटर में है। फिर साहिल ने सुहानी के माँ पापा को ढांढस बँधाया की सब ठीक होगा और दिशा से सारी बातों की जानकारी ली।
दिशा ने उसे बताया की महेश पिछले पांच सालों से सुहानी के पीछे लगा है। हमेशा उसे परेशान करता है। कई बार सुहानी ने उसकी कॉलेज मे कंप्लेंट भीं की। शायद उसे ये पता लग गया था की सुहानी की शादी तय हो गयी है। इसीलिए उसने ये हरकत की।
दिशा से बात करने के बाद साहिल सुहानी के डॉक्टर्स से मिला और सुहानी की परिस्थिति की सारी जानकारी ली।
डॉक्टर ने कहां वो अभी कह नहीं सकते की सुहानी कब तक ठीक होंगी.. हालांकि अब वो धीरे धीरे होश में आ रही थी.. सुहानी शाम तक पूरे होश मे आ गयी थी। उसे जगह जगह पट्टी लगी थी। उसने नर्स से कहा उसे अपना चेहरा देखना है। नर्स ने पहले तो मना ही कर द
िया पर सुहानी के ज़िद करने पर उन्होंने उसे उसका चेहरा दिखाया।
अपना चेहरा देख सुहानी इतनी जोर से चीखी की पूरे अस्पताल वालो की रूह कांप उठी। उसका सुन्दर चेहरा अब इतना कुरूप हो चूका था की वो खुद भी नहीं देखना चाहती थी।
दिशा, साहिल और उसके मम्मी पापा से मिलने पर सुहानी बहुत रोई, तब साहिल ने उसे कहा उसे रोने की जरूरत नहीं है। रोने की जरुरत अब महेश को है उसने अच्छा वकील कर लिया है। और वो उसे छोड़ेगा नहीं।
रात को दिशा ने मम्मी पापा को घर भेज दिया। पर साहिल जाने को तैयार नहीं था। सुहानी ने साहिल से कहा...आप अगर चाहे तो किसी और से शादी कर सकते है...अभी तो हमारी सगाई भी नहीं हुयी है ... तो साहिल ने उसे चुप रहने को कहा। सुहानी की आँखों मे आँसू थे और साहिल की आँखों मे प्यार।
सुहानी के ठीक होने के बाद उनकी सगाई नियत समय पर हुयी। ज्यादा मेहमानों को बुलाने की जगह उन्होंने सिर्फ घर के लोगो को बुला कर सगाई की।
सुहानी के माँ पापा ने साहिल को खूब आशीर्वाद दिया और उसके माँ पापा को खूब धन्यवाद।
एक महीने बाद दोनों की शादी भी रजिस्टर करके की।
साहिल के सारे रिश्तेदार नाराज़ थे। उन्हें पार्टी और शानदार दावत चाहिये थी। सबको मुँह दिखाई की रस्म का भी इंतजार था। जब भी किसी का फ़ोन आता सब मुँह दिखाई की बात करते।
तो साहिल के माँ पापा ने एक संगीत और मुँह दिखाई की रस्म रखी.. एक बड़ा सा जलसा रखा। अपने सभी रिश्तेदारों को बुलाया। सुहानी के भी रिश्तेदारों को बुलाया।
सुहानी बहुत घबरा रही थी। ऐसा चेहरा लेकर सबके सामने जायेगी सब क्या कहेंगे...क्या सोचेंगे... क्योंकि वो अभी तक ज्यादा बाहर गयी ही नहीं थी। और उसे चिंता थी की सब साहिल और उसके परिवार की बदनामी करेंगे। साहिल उसे देख उसकी चिंता समझ गया..उसने माँ को भेजा।
माँ सुहानी के कमरे मे आयी उसकी घबराहट वो समझ रही थी.. बस इतना बोली घबराओं नहीं बेटा...
उसे तैयार करके घूँघट मे स्टेज पर लेकर गयी।
सब उसके आते ही उसकी तरफ देखने लगे। तब सासु माँ ने घूंघट उठाया।
सब सुहानी का चेहरा देख बातें बनाने लगे...कोई हँसने लगा, कोई कुछ कहने लगा... सुहानी की आँखों से आँसू छलकने लगे।
तब सुहानी के ससुर स्टेज पर आये और माइक मे बोले... आप सब यहाँ मेरी बेटी समान बहु की मुँह दिखाई मे आये है..आप यदि उसका सम्मान नहीं कर सकते तो आपको यहाँ रुकने का कोई अधिकार नहीं है। वो मेरे घर की लक्ष्मी है उसका मन मेरा सम्मान है। और हमने ये शादी सिर्फ बहु की सुंदरता को देख कर नहीं की थी। उसके सुलझे हुए स्वभाव, गुण और समझदारी देख कर तय की थी।अगर ऐसा कोई हादसा किसी के बेटे के साथ शादी के बाद हो जाता तो क्या बहु उसे छोड़कर चली जाती...नहीं जाती...हर औरत अपने परिवार के लिये बहुत कुछ करती है वो किसी की सूरत देख कर कुछ नहीं करती...बल्कि ये उसकी सीरत होती है जो वो अपने परिवार और पति का हर हाल मे साथ देती है।
मुझे ख़ुशी है की सुहानी जैसी समझदार और सर्वगुण सम्पन्न बेटी मेरी बहु बनकर आयी है...मेरे बेटे के लिये उससे अच्छी जीवन संगिनी कोई और नहीं हो सकती।
मैं आप सबसे निवेदन करता हूँ अपनी और मेरी गृह लक्ष्मी का हमेशा सम्मान करे। धन्यवाद।
उनके इतना कहते ही सबने तालियाँ बजायी और सुहानी को खूब आशीर्वाद दिया।
अब सुहानी की आँखों मे ख़ुशी के आँसू थे.. आखिर उसकी मुँह दिखाई हो गयी थी....