Vimla Jain

Crime Others

4.3  

Vimla Jain

Crime Others

मुखौटे पर मुखौटा

मुखौटे पर मुखौटा

4 mins
204


मुखौटा एक प्रकार से किसी भी व्यक्ति के चेहरे को ढाँकने की वस्तु है। इसके विभिन्न उद्देश्य हो सकते है। जैसे कि नृत्य के प्रकारों को नृतक काफ़ी लगन से उसे पहनते हैं। कुछ मुखौटे पारम्परिक रूप से पहने जाते हैं, जैसे कि रेड इंडियन समुदाय के लोग पहनते हैं। कुछ मुखौटे अपनी पहचान छुपाने के लिए पहने जाते हैं, जैसे कि अपराध के समय या जासूस लोग पहनते हैं। कुछ मुखौटे मनोरंजन के लिए पहने जाते हैं। आधुनिक काल में एसी कुछ पार्टियाँ होती हैं जिनमें न्योता धारकों से अपेक्षा की जाती है कि वे किसी फ़ैंसी रूप में पार्टी में प्रवेश करें

यह तो हुई मुखौटा की बात।

मगर हमारे समाज में हमारे आसपास, यहां तक कि हमारे घरों में भी लोग तरह-तरह के मुखौटे बनाकर रहते हैं। जैसे होते हैं वैसे दिखते नहीं है। वैसा व्यवहार नहीं करते हैं। चेहरे पर चेहरा लगाकर घूमते हैं।

कभी-कभी बहुत भोली सूरत के पीछे बहुत ही काला दिल की बातें छुपी होती हैं। ऐसा बहुत लोगों के साथ में होता है। बहुत जगह पर मतलब निकालने के लिए सामने वाले से बहुत मीठी-मीठी बातें करते हैं। और जब मतलब निकल जाता है तब उनकी असलियत सामने आती है। भोली सूरत दिल के खोटे।

आप लोगों ने भी ऐसे आसपास में बहुत से लोग देखे होंगे।

इस पर मैं यह कहानी लिख रही हूं इस कहानी के द्वारा मैं यह बताना चाहती हूं कि किसी की भोली सूरत पर मत जाइए। यह एक काल्पनिक कथा है

बहुत समय पहले की बात है। हम लोग स्कूल जाया करते थे तो हमारा स्कूल बहुत दूर होने से हमको बस से बदल-बदल कर स्कूल जाना पड़ता था।

रोज एक लड़की बड़ी सीधी-सादी सी अच्छे से प्रेस के कपड़े पहने हुए छोटी सी बिंदी सिर पर लगाए हुए दो चोटी बनाए हुए बस में दिखती थी। हमेशा तीसरी चौथी सीट पर बैठती थी। दो की सीट होती थी उधर बैठती थी, खिड़की के पास। मुझे शुरू से ही नए नए लोगों से दोस्ती करने का बहुत शौक था।

मैं सोचती में इससे भी दोस्ती करूंगी, मगर मैं जब बस में चढ़ती।

तब तक वह अपनी जगह बैठ चुकी होती थी। और उसके पास की जगह भर गई होती थी।

तो हम लोगों की दूर से इशारों इशारों में ही बातें होती थी। मैं हमेशा सोचती आज तो मैं उससे जरूर बात करूंगी। मगर ऐसा मौका ही नहीं पड़ता। 

ऐसा करीब 10, 15 दिन चला। 

मुझे लगा कि हम पांच स्कूल के बच्चे थे तो कौन से स्कूल में है पता करूंगी। दोस्ती करूंगी।

10, 15 दिन बाद एक दिन मैं पहले बस में चढ़ गई, और मैंने उसकी जगह रोक ली। जब वो आई तो मैंने इशारे से उसको अपने पास आकर बैठने को बोला। भीड़ बहुत थी, बस में तो उसने दूर से हाथ हिलाया, कि मैं वही ठीक हूं।।

जब मेरा स्टॉप आया तो मैंने उससे बात करने की कोशिश करी। उसका नाम और उसकी डिटेल्स पूछना चाह रही थी।

मगर उसने बस स्टॉप आते ही मुझे धक्का दे दिया। और मैं स्टॉप पर गिर पड़ी, और बेहोश हो गई।

और वह बस रवाना हुई। दूसरे दिन जब होश आया तो मैंने अपने आपको हॉस्पिटल में पाया। मेरे साथ में जो लोग थे। उन्होंने बोला कि तुम बच गई। उस बस में एक सुसाइडल बोँबर लड़की थी। अपने साथ में बहुत सारे लोगों की जान ले गई। जब मैंने फोटो देखी तो वह सीधी साधी लड़की की थी। मैं एकदम शॉक में आ गई और सारा घटनाक्रम याद करने लगी। सब लोग बोलते हैं उस लड़की ने तुम को धक्का देकर तुम्हारी जान बचा ली। बाकी जितने भी बस में लोग थे वह सब मारे गए। तब मुझे बहुत ही अफसोस हुआ। इतनी भोली भाली सीधी सादी दिखने वाली लड़की ऐसी निकलेगी मैंने सोचा नहीं था। जाते-जाते उसने मेरी जान तो बचाई और शायद मेरी दोस्ती, दोस्ती की कोशिश का एहसान दिया। पर इतने लोगों की जान लेकर गई।। उसके बाद मैंने कभी भी लोगों की खाली शक्ल देखकर दोस्ती करना बंद कर दिया। यह मुझे जिंदगी में काफी कुछ सीखा गया। आज भी सोचती हूं तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं।



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Crime