Kanchan Shukla

Inspirational

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Kanchan Shukla

Inspirational

मुझे खुद को बदलना होगा

मुझे खुद को बदलना होगा

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बारिश कल रात से बंद होने का नाम नहीं ले रही थी भावना ने घर के कामों को खत्म किया और आफिस का काम करने बैठी पर यह क्या बारिश के कारण नेटवर्क ही नहीं मिल रहा था भावना के चेहरे पर झल्लाहट साफ़ दिखाई दे रही थी।

क्योंकि, भावना को अपने आफिस का काम आज शाम तक पूरा करना था अगर वह आज शाम तक काम पूरा नहीं कर पाई तो उसकी नौकरी ख़तरे में पड़ सकती है जो उसे बहुत मुश्किल से मिली है।भावना जल्दी जल्दी काम ख़त्म करने में लगी हुई थी तभी उसे अपने बच्चों के लड़ने झगड़ने की आवाज सुनाई देने लगी पर भावना ने उस तरफ़ ध्यान ही नहीं दिया क्योंकि वह जानती थी कि, दोनों छोटे और हम उम्र हैं तो अकसर लड़ते झगड़ते रहते हैं। लेकिन तभी उसकी बेटी रोती हुई आई और भावना का हाथ पकड़कर उसे उठाने लगी और रोते हुए कह रही थी "मुझे बंटी ने धक्का दे दिया मुझे चोट लगी है आप चलकर बंटी को डांटिए"भावना जानती थी कि, बंटी उसकी बेटी खुशी से छोटा है पर बहुत ही शरारती है वह कुछ भी कर सकता है पर भावना अभी इन दोनों के झगडे में पड़ना नहीं चाहती थी। क्योंकि वह जानती थी अगर वह उठी तो उसका काम पूरा नहीं हो पाएगा अभी घर के बहुत सारे काम भी पड़े हुए थे।काम वाली कमली भी आज नहीं आई थी क्योंकि आज सुबह से ही मूसलाधार बारिश हो रही है।

भावना ने खुशी को समझाते हुए कहा कि, वह अभी उसे परेशान न करें वह अपना काम पूरा करने के बाद बंटी को समझाएगी और डांटेगी भी पर खुशी ने ज़िद्द पकड़ ली और भावना को हाथ पकड़कर उठाने लगी।तभी बंटी तेज आवाज करने वाला बाजा बजाते हुए आया और खुशी को चिढ़ाने लगा। खुशी भी चिढ़ गई और बंटी को मारने के लिए उसकी तरफ़ दौड़ी बंटी ने वहीं कोने में रखीं हुई कुर्सी खुशी की तरफ़ बढ़ा दिया खुशी कुर्सी से टकराते हुए जमीन पर गिर पड़ी उसके सिर से खून निकलने लगा। खुशी का ख़ून देखकर भावना का गुस्सा जो उसने अब तक दबाकर रखा था भड़क उठा उसने गुस्से में बंटी को दो तीन थप्पड़ जड़ दिया। बंटी बहुत जोर-जोर से रोने लगा और वह खुशी को धमकी देने लगा कि तुम्हारे कारण उसे उसे मम्मी से मार पड़ी है इसलिए वह उसको फिर मारेगा।

बच्चों का लड़ना झगड़ना देखकर भावना अपना सिर पकड़कर बैठ गई उसकी समझ में ही नहीं आ रहा था कि,वह क्या करे जब से कोरोना के कारण वर्क फ़ार्म होम शुरू हुआ था भावना की मुसीबत बढ़ गई थी क्योंकि बच्चों का भी स्कूल बन्द था वह दोनों घर पर ही रहते थे दिन भर उनकी शरारतें चलती रहतीं थीं। भावना सुकून से बैठकर अपना कोई भी काम नहीं कर सकती थी।आज तो और भी भावना को परेशानी हो रही थी क्योंकि बरसात के कारण उसकी नौकरानी कमली काम करने नहीं आई थी।बच्चों की ज़िद्द और अपनी स्थिति देखकर भावना की आंखों से अपनी बेबसी पर आंसू बहने लगे वह लैपटॉप बंद कर वहीं सिर पर हाथ धरकर बैठ गई।

तभी अन्दर से भावना के पति रवि की गुस्से भरी आवाज सुनाई दी वह कह रहे थे कि," भावना तुमसे इतना भी नहीं होता की तुम बच्चों को संभाल लो"??

अपने पति की बात सुनकर भावना का दिल रो पड़ा वह अन्दर तक तिलमिला उठी उसने कुछ सोचा फिर उठकर दोनों बच्चों को लेकर अपने पति के कमरे में चली गई और गुस्से में बोली "तुम्हें तो सिर्फ बातें बनाने के अतिरिक्त कुछ आता नहीं इस बरसात के कारण कमली भी आज नहीं आई है तुमसे यह तो हो नहीं रहा की बच्चों को थोड़ी देर के लिए सभांल लो तुम अपना आफिस का काम कर रहे हो बच्चों के लड़ने झगड़ने से तुम्हें परेशानी हो रही है तो मुझे भी तो अपने आफिस का काम करना है कितनी मुश्किल से मुझे यह नौकरी मिली है अगर मेरे काम से मेरे अधिकारी संतुष्ट नहीं हुए तो मुझे काम से निकाल देंगे।

आज कितनी मूसलाधार बारिश हो रही है इसलिए कमली भी नहीं आई है मुझे घर का सारा काम भी करना पड़ा है तुमने घर के कामों में भी मेरी कोई मदद नहीं की मैं भी तुम लोगों के लिए ही नौकरी करती हूं जिससे कुछ आर्थिक मदद हो सके तुम अगर मेरी थोड़ी मदद कर दो तो मुझे इतना परेशानी न हो बच्चों की जिम्मेदारी सिर्फ़ मेरी नहीं है तुम्हारा भी कुछ फ़र्ज़ बनता है" भावना ने गुस्से में कहा और बच्चों का हाथ पकड़कर बाहर निकल गई।

हैबच्चे भी अपने माता-पिता को लड़ता हुआ देखकर डर गए भावना ने डांटकर उन दोनों को चुप कराया और बड़बड़ाते हुए काम करने लगी।

तभी दरवाजे की बेल बजी भावना सोचने लगी इतनी बरसात में कौन आ गया उसने भुनभुनाते हुए दरवाजा खोला तो देखा की उसके पड़ोस में रहने वाली कविता सामने खड़ी हुई हैं।कविता को देखकर भावना ने बेमन से पूछा" कैसे आना हुआ कविता"?"

मैं तुम लोगों को आज डिनर के लिए इन्वाइट करने आई हूं आज मेरे पतिदेव का जन्मदिन है कोरोना के कारण ज्यादा तो कुछ नहीं कर रहीं हूं मैंने सोचा तुम्हारे परिवार के साथ मिलकर ही जन्मदिन मना लें तुम लोग शाम को समय से आ जाना" कविता ने कहा और वहां से जाने लगी।

भावना से रहा नहीं गया उसने पूंछ ही लिया"कविता एक बात बताओ तुम भी तो नौकरी करती हो आज तो कमली भी नहीं आई क्या तुमने अपने आफिस का काम पूरा कर लिया"??"

हां भावना मेरा आफिस और घर का सारा काम ख़त्म हो गया है तभी तो पार्टी कर रही हूं" कविता ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।"

तुम्हारे बच्चे भी तो छोटे ही हैं तुम कैसे सब मैनेज कर लेती हो क्या भाई साहब तुम्हारी मदद करते हैं" ?? भावना ने मुस्कुराते हुए पूछा

" नहीं भावना मेरे पति नहीं मेरी सासू मां मेरी मदद करती हैं जब हम लोग आफिस का काम करते हैं तो मां जी बच्चों को संभाल लेती हैं और घर के कामों में भी मेरी सहायता करतीं हैं जब से मां जी आई हैं मुझे बहुत आराम मिल गया है इसके बदले में मैं उनको थोड़ा सम्मान दे देती हूं और उनके अनुसार अपने पहनावे में परिवर्तन कर लिया है बस यह कोई मुश्किल काम नहीं है क्योंकि वह भी क्या करें यह तो पीढ़ियों में अंतर होने के कारण थोड़ा बहुत वैचारिक मतभेद रहता ही है। जबसे मैं इस अन्दर को समझ गई तभी से मेरे घर में खुशहाली ने दस्तक दे दी है अच्छा भावना मैं चलती हूं मुझे शाम की तैयारियों को भी देखना है"

इतना कहकर कविता वहां से चली गई।

कविता की बातों को सुनकर भावना को अपनी गलतियों का अहसास हो गया उसकी सासू मां भी तो जब यहां सावन में आती थीं बाबा विश्वनाथ जी के दर्शन के लिए तो उसकी घर के कामों में कितनी मदद करतीं थीं बच्चों को भी संभाल लेती थीं बच्चे भी अपनी दादी के साथ कितने खुश रहते थे।पर उसे ही अपनी सासू मां की रोक-टोक पसंद नहीं थी इसलिए वह बात-बात पर उनको अपनी कटु बातों से अपमानित कर देती थी। धीरे-धीरे जब सासू मां को समझ आ गया कि, उनका यहां आना मुझे पसंद नहीं है। उन्होंने यहां आना बंद कर दिया और यही कारण है कि, वह दो सालों से यहां नहीं आई हैं जबकि उनकी दिली इच्छा रहती है कि वह सावन में काशी विश्वनाथ जी के दर्शन रोज करें।

भावना ने मन-ही-मन निर्णय लिया कि वह भी अपनी घर की खुशियों के लिए स्वयं को बदल लेगी यह विचार आते ही उसके होंठों पर मुस्कान नाच गई और उसने माफ़ी मांगने के लिए अपनी सासू मां को फ़ोन मिलाने लगी आज सावन की रिमझिम बरसात ने उसके मन को सुकून और खुशियों से भर दिया था।


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