मुझे जीने दो
मुझे जीने दो
आज, जब देखा तो खाट पर लेट कर भी सीमा बीमारी से झूजते हुये कह रही है कि मुझे जीने दो मुझे जीना। है बस जीने दो हटो यहाँ से मेरी बेटी को लाओ मैं जी उठूगी बस एक बार बुला दो वही बेटी ना जो विवाह करके घर बसा ली हाँ वही बेटी जो माँ का हौसला थी जिस लेतर ही कितने सपने देखे थे आज वही माँ को भूल गयी कैसे भूली नही मालूम पर हाँ माँ को मौत के करीब ले गयी हम यह नहीं जानते कि कुछ गलत हुआ है या।
नहीं पर गलत ते हुआ है,माँ के मन को ही बेटी ना समझ पायी कैसी संतान?पर सीमा को खाट लगने के लिये इतना ही काफी था,सारे संसार से लड गयी सीमा पर यह लडाई इतनी भारी कैसे हो सकती है?हाँ बहुत तकलीफ में सीमा पता है काहे इसलिये कि नाकारा कुछ भी कमाई धमाई ना करने वाला एक नशेडी को कैसे जीवन साथी बना लिया एक बाप सरीखे आदमी से विवाह बिलकुल अनुचित है पर बेटी ने कुछ भी सेचा नहीं यह गलती ऐसी है कि इसको सुधारा नही जा सकता।
फिर कैसे यह सब हुआ, तलाकशुदा सीमा ने बड़ी मेहनत से बेटी को पाला था, शायद बाप का खून जीत गया, वाह रे बेटी माँ को मरने के कगार पर पहुँचा कर अशियाना बनाया सीमा अब ना बचेगी पर बेटी को सजा मिलेगी पर सीमा तो ना होगी उसका साथ देने के लिये जीवन का इतना बड़ा फैसला कैसे ले लिया इला ने शायद सीमा से ही कोई चूक हो गयी होगी किसको दोष दूँ किसको ना।
