सुबह का भूला अगर शाम को आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते। सुबह का भूला अगर शाम को आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते।
बस आदत पाल लो यूँ दबे स्वर में अपना-पराया सोचना छोड़ दो वसुधैव कुटुम्बकम। बस आदत पाल लो यूँ दबे स्वर में अपना-पराया सोचना छोड़ दो वसुधैव कुटुम्बकम।
आज भी मैं और मेरे पति उनकी चिठ्ठी को वैसे ही पढ़ते हैं। मैं कविता बन जाती हूँ और वो ईशान। आज भी मैं और मेरे पति उनकी चिठ्ठी को वैसे ही पढ़ते हैं। मैं कविता बन जाती हूँ और...
"अब मजबूत है वो शाखें जो झूक जाती थी तूफां कि मार से, के दर्द भी शायद मिट जाता है। "अब मजबूत है वो शाखें जो झूक जाती थी तूफां कि मार से, के दर्द भी शायद मिट जात...
शायद सीमा से ही कोई चूक हो गयी होगी किसको दोष दूँ किसको ना। शायद सीमा से ही कोई चूक हो गयी होगी किसको दोष दूँ किसको ना।
जहां मुझको मिले आजादी, जिसे मैं गर्व से कहूं, हां ऐसी है मेरी आजादी ! जहां मुझको मिले आजादी, जिसे मैं गर्व से कहूं, हां ऐसी है मेरी आजादी !