STORYMIRROR

Kunda Shamkuwar

Abstract Tragedy Others

4.1  

Kunda Shamkuwar

Abstract Tragedy Others

मोनालिसा 2

मोनालिसा 2

1 min
180


आजकल COVID 19 के कारण मजदूरों के पलायन को देखते हुए मैं मैं करने वाला इन्सान भी खुद को असहाय समझने लगा है।

एक सवाल मेरे जेहन में बार बार आ रहा है।मजदूरों के छोटे छोटे बच्चे क्या कोई ख़्वाब देख पाएंगे ?

क्या उनके ख़्वाब रंगीन होंगे या ब्लैक अँड वाइट होंगे ?

क्या कभी उनके ख़्वाब पूरे भी होंगे ?

आप भी कहेंगे ये पता नही क्या क्या फालतू चीजें लिख रही है ?

अपनी भूख और हजारों किलोमीटर की यात्रा करके ये बच पाएँगे तब ना ?

ये बेचारे मजदूर जब अपने पसीने की कमाई से एक हिस्सा मंदिरों, गुरुद्वारों और मस्जिदों में जाकर लंबी लाइनों में लग कर दान पेटियों में डाल आते थे।

आज वही म

जदूर अपने भगवान को,अपने गॉड को या अपने खुदा को बुला भी नही सकते और ना ही उनके पास जा सकते है क्योंकि उनको भी पता है की सारे पालनहार अभी lockdown में तालों में बंद है।

इस महामारी में हर इन्सान अपनी बेसिक जरूरतों पर ही ध्यान दे पा रहा है।अपनी भूख के आगे उसको सौंदर्य बोध वाली चीजें चाहे पेंटिंग्स,सिनेमा या हॉटेल वग़ैरह दोयम लगती है।

आज अगर लियोनार्डो द विंसी भी होते तो वह भी मजदूरों के पलायन को देखने के बाद मोनालिसा नही बना सकते। अच्छा हुआ कि उन्होंने पहले ही मोनालिसा बना ली।


भूखे प्यासे मजदूरों को अपने छोटे छोटे बच्चों के साथ हज़ारों मील पैदल जाते देख कर क्या वह मोनालिसा बना पाते?


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract