V k Saboo

Drama Classics Inspirational

4.5  

V k Saboo

Drama Classics Inspirational

मोबाइल की दुनिया

मोबाइल की दुनिया

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दफ्तर से घर में घुसते ही बस मैं हाथ मुँह धोकर सोफे में धंस गया और हाथ मे मोबाइल लेते हुए पत्नी को आवाज़ लगाई "नीलिमा चाय तो पिलादो यार और साथ में कुछ खाने को है तो ले आओ प्लीज " कहते कहते मैं एक व्हाट्सएप्प ग्रुप में घुस गया और वहाँ हो रही राजनीतिक विषय पे गरमा गरम बहस में हिस्सा लेने लगा। क्योंकि बहस में कुछ लोग मेरे विचारो से सहमत नहीं थे तो मेरा चेहरा तमतमा रहा था और मैं मन ही मन उन्हें भद्दी सी गालियां देते हुए उन्हें बेवकूफ कहता जा रहा था।

इसी बीच नीलिमा चाय के साथ मैदा से बनी हुई मठरिया ले आयी , मैंने चैट करते करते चाय और मठरी खत्म की आखरी मठरी हाथ में लिए था तो मेरा ध्यान गया कि ये तो मैदा से बनी है मैंने तुरंत नीलिमा को बोला "ये क्या है ? तुम्हे पता है मैदा खाने से हमारे शरीर मे कितनी बीमारियां लग जाती है। " मैंने व्हाट्सप ग्रुप में हुई अपनी बातो से असहमति की बौखलाहट नीलिमा पे उतारने की कोशिश की।

नीलिमा - लगता है ये नया ज्ञान मिला आपको "व्हाट्सएप यूनिवरसिटी" से ?

मैं - तो इसमें गलत क्या है ? मैदा कितना नुकसान करता है पता है तुम्हे ?

नीलिमा - हां पता चल गया पर 6 मठरियां खाने के बाद आपको होश आया ? आपको पता है असल नुकसान तो ये मोबाइल कर रहा है 

मैं - मोबाइल क्या नुकसान कर रहा है ? ये तो ज्ञान बढ़ा रहा है हम अनजाने में जहर सरीखी वस्तु खा रहे है ये बताया इसने तो।

नीलिमा - ये नुकसान है कि जब देखो आप मोबाइल में लगे रहते हो आपको पता नहीं चलता कि आपके आस पास क्या हो रहा है बस वर्चुअल दुनिया से आपको मतलब रह गया है बच्चे पास आते है तो आप हटा देते है कि बाद में आना न मेरे लिए टाइम है सब सो जाते है आप तब भी देर तक जागते रहते है और इसी में खोए रहते है सुबह उठ के भी आपको सबसे पहले अपने इन दोस्तो को "गुड मॉर्निंग" विश करना है फिर भागम भाग में तैयार होकर चले जाते हो

मैं - पर मैं कोई फालतू काम नहीं करता इसमे सिर्फ ज्ञान की बातें पढता हूँ और राजनीति का छात्र रहा हूँ तो बस उसमे थोड़ा हिस्सा लेता हूं और क्या करता हूं बताओ ?

नीलिमा - ज्ञान की बात ? क्या आपको पता है आपके इस ज्ञान अर्जन के चक्कर में आप वास्तविक रिश्तों से कितना दूर हो गए हो ? आपके बच्चे भी अब आपकी तरह दिन भर मोबाइल या लैपटॉप में लगे रहते हैं। मम्मी पापाजी तरस जाते है किसी से बात करने को न आप उनसे ज्यादा बोलते हो न बच्चे मुझे भी किचन और घर के काम से फुरसत मिलती है तो मैं बैठती हूँ पर कितना देरवो दोनों बेचारे बस टीवी पे आने वाले धार्मिक कार्यक्रमो को देखकर या समाचार देखकर या सोकर अपना समय बिताते हैं।

मैं - हम्म क्यों न उन्हें कुछ दिन छोटे के पास भेज देते है थोड़ा दिन के लिए उनका हवा पानी भी बदल जायेगा और

 मैं कुछ बोलता तभी मम्मी ने हॉल में प्रवेश किया और वो बोली " वहाँ रहो या यहां रहो हमारा हाल तो वैसा ही रहना है वो कौनसा हमारे साथ बैठ के खाना खाने वाला है या पूछने वाला है कि कैसा बीता आज का दिन ? यहां बहु कम से कम जितना टाइम मिलता है बोल लेती है वहां तो इस बात के लिए भी तरसना पड़ेगा खुद परोसो खुद खाओ उठो सो जाओ " कहते कहते मम्मी रुआँसी सी हो उठी और शायद वो सबके सामने रोना नहीं चाहती थी तो अपने कमरे में चली गई।

रात का खाना खाने तक मैं व्हाट्सएप , फेसबुक इत्यादि पे ही वक़्त बिताया करता था पर आज मेरा मन न था मेरे दिमाग में नीलिमा और मम्मी की ही बातें चल रही थी। सच ही तो है हमने वर्चुअल दुनिया के चक्कर में अपने आस पास की वास्तविक दुनिया को एक तरफ रख दिया है कुछ भी समस्या होती है तो व्हाट्सएप, फेसबुक पे स्टेटस डाल देते है कि "बुखार है", "सरदर्द है", "फलाना है आज" और वर्चुअल दुनिया के दोस्त " गेट वेल सून " "टेक केअर" जैसे टिप्पणियां करते है और हम खुश होते है कि देखो हमे कितने चाहने वाले है और जब उनकी तरफ से इस तरह का समाचार मिलता है तो हम भी उनके शुभचिंतक बनकर अपनी भावनाएं जताते है इस दुनिया में इतने खो गए कि अगर वहां पे खुशी तो हम खुश वहां पे पंगा हुआ तो उसकी भड़ास आस पास जो मिल जाये उस पर निकलती है उस दुनिया के दोस्तो का हाल रोज पूछते है पर घर में मौजूद अपनो का हमे हाल तक पता नहीं रहता।

खाना खाने के बाद आज मैं मम्मी पापा के पास गया वो मुझे अपने कमरे में आया देखकर अचंभित थे और खुश भी पर अगले ही पल मम्मी ने कहा " क्या हुआ बेटा आज तेरा नेट नहीं चल रहा क्या ? आज इधर कैसे आ गया ? " 

मैं - मम्मी मैंने आज से मोबाइल की दुनिया का तर्पण कर दिया है अब मैं समझ गया हूं असली दुनिया आस पास रहने वाले परिवार, पड़ोसी और दोस्त है ना कि वर्चुअल दुनिया के दोस्त। 

कहते कहते मेरी आँख में नमी थी जो शर्मिंदगी और देर से आई समझदारी की खुशी का मिश्रित भाव लिए थी। मम्मी, पापा, नीलिमा और बच्चे भी मुझे आश्चर्य से देख रहे थे पर मैंने अब सच में उस वर्चुअल दुनिया का तर्पण करने का सोच लिया था।


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