मनजीते

मनजीते

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मनजीते नाम है मेरा मुझ से ना टकराना, मुँह तोड कर रख दूगीं। आप लोगो को लग रहा होगा कि हम किसी पुरूष की बात कर रहे हैं, नहीं असली नाम मनजीत कौर लारी चलाने वाली 50 की लपेट में चार बेटों की माँ, बेटे भी बेटे के नाम पर कंलक, नशे में चूर देश दुनिया में कौन सा नशा वह लोग नहीं करते।

हर समय मजदूरी या चोरी चकारी कर अपने नशे का इंतजाम कर लेना। फिर उसी में डूबे रहना, यही फितरत उनकी पर मनजीते का पति जब तक था तब तक तो ठीक था।

मूछों पर ताव देते हुये कहता कि चार बाजू है हमारे। फिर शराब की बोतल सर पर रख कर भांगड़़ा करता।

मनजीत कौर समझती पर नहीं मानता और मोटी मोटी गाली देकर या मार पीट कर सो जाता। तब भी ना रूका नशे का दौर और अब भी नहीं रोक पायी, जब पति मरा तो बेटों से आशा करना बेकार था। खुद ही सारे परिवार का बोझ उठा ली और बन गयी मनजीते सुंदर सी मनजीत कौर तो कहीं मर गयी और बाहर आयी मुँहफट मनजीते और अब लारी चलाने वाली मेहनत कश मनजीतकौर हम सलाम करते है ऐसी भारतीय महिला को।


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