मन के भाव
मन के भाव


14अप्रैल से सफर अब 3मई बढ़ गया। इसके जिम्मेदार भी हम सब हैं। हमें नियमों का पालन और कठिनता से करना चाहिए था। सहयोग भी देना था। पर अब क्या।
अब तो और सतर्क रहना हैं। गर्मी दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही। दिन वीरान और शाम उदास हो गई। रात एक अजीब सन्नाटे से घिरा हुआ हैं।
सुबह फिर भी अच्छी होती हैं क्योकि एक आशा। एक संजीवनी का काम करती हैं। मनोबल गिरने नहीं देना है। बस यहीं याद रखना हैं इतनी शक्ति हमें देना दाता मन का विश्वास कमजोर हो ना।
शायद अब की लॉक डाउन में हम विजय प्राप्त करले। फिर भी कुछ सावधानियां तो रखनी ही पड़ेगी। हमारी अर्थव्यवस्था पीछे खिसक रही पर जान हैं तो जहान हैं।