मीना
मीना


पास केमीना ही एक गांव में शिक्षिका है। आज कल कोरोना काल में स्कूल बंद होने से घर से ही ॅॅॅॅॅॅॅॅॅॅॅॅॅॅॅॅॅॅॅॅॅॅॅॅॅॅॅ आंन लाईन पढ़ाई चल रही है। मीना की बेटी शहर के प्राइवेट स्कूल में पढ़ रही है। उसकी भी आंन लाईन पढ़ाई चल रही है। एक दिन मीना अपनी बेटी को पढ़ा रही थी तभी उसने कहा कि "मम्मी, आपके स्कूल के बच्चों का मजा है। गांव में नेटवर्क नहीं होता कि उन्हें पढ़ना पड़े। मजे से खेलों और यहां मुझे दिन भर पढ़ना पड़ता है। स्कूल ही ठीक था, वहां दोस्तों के साथ मज़ा आता था। उनके साथ बातें करते, खेलते, अब बस घर पर रहो । न खेलना, न घूमना, न ही पार्टी मैं बोर हो गई हूँ बस घर पर रहो और पढ़ो या तो टीवी देखो । मैं अपने दोस्तों से कब मिलूंगी ।"
मीना अपनी बेटी को प्यार से समझाकर शांंत तो कर दिया। बेटी की परेशानी से दुखी तो है पर उसके लिए कुछ नहीं कर सकती। बेटी ने अपनी मासूमियत से मीना का ध्यान उसके स्कूल के बच्चों की जिम्मेदारी की ओर दी दिया। मीना ने सोचा कि "मैं उन बच्चों की शिक्षिका हूँ, उनके पढ़ाई की जिम्मेदारी मेरी है उन मासूम बच्चों को क्या समझ, अधिकांश के अभिभावक पढ़ें लिखे नहीं है।&nbs
p;मेरे प्रयास से पढ़ाई के प्रति लगन बना रहे इसके लिए मुझे करना चाहिए। "
मीना स्कूटी से स्कूल के गांव पहूँची। उसने देखा सभी बच्चे खेलने में व्यस्त थे। कुछ बच्चे खेतों में काम कर रहे हैं। मीना ने सभी को बुलाया और कहा कि "कल से पेड़ के नीचे स्कूल लगेगा। नहाकर स्कूल ड्रेस पहन कर आना।" मीना का स्कूल रोज लगने लगा। बच्चों का पूरा ध्यान पढ़ाई में लगे इसके लिए उन्हें उसने प्रार्थना और कसरत कराती। बच्चे खुश है कि उनकी पढ़ाई शुरू हुई है। अब वे शिक्षा की ओर आत्मविश्वास के साथ कदम बढ़ा लिए, क्योंकि उनकी मीना मेडम साथ खड़ी हैं। मीना ने अपनी बेटी को बताया कि अब उसके स्कूल के बच्चे भी पढ़ रहे हैं और बहुत मन लगाकर पढ़ाई करते हैं।
सुनने के बाद उसकी बेटी ने कहा कि "अच्छी बात है मम्मी।"
मां, आप उन्हें पढ़ाना। मुझे काम दे देना, मुझे बताने के लिए पापा जी हैं। पर उनके पास आपके अलावा कोई नहीं है।"
मीना अपनी बेटी की बात सुनकर उसे गले लगा लिया। सच ही कहते हैं कि कुछ अच्छा काम करो तब परिवार का साथ मिलता है। बच्चों को अच्छा संस्कार मिलता है।