STORYMIRROR

Renu Poddar

Tragedy

3  

Renu Poddar

Tragedy

मेरी ज़िन्दगी जी कर तो देखो

मेरी ज़िन्दगी जी कर तो देखो

3 mins
545

"भाभीजी खाने में क्या बनाना है"

सुनीता ने विनीता जी के घर में घुसते ही पूछा।


विनीता ने पहले से ही सोच कर रखा था क्यूंकि आज उनके घर में मेहमान आने वाले थे 

"छोले, मिक्स सब्ज़ी, शाही पनीर,ज़ीरा चावल बना ले और पूरी का आटा लगा ले मेहमानों के आने पर गर्म पूरी बना दियो"। 


यह सब सुन सुनीता ने कहा "आप मुझे पहले से बतातीं मेहमान आने वाले हैं ,मैं और घरों में बता कर आती कि मुझे आने में देर हो जायेगी"।सुनीता ने चिढ़ते हुए कहा "रोज़ में तो ज़्यादातर दाल- चावल,सूखी सब्ज़ी और रोटी ही बनती है । कभी-कभी हमारे घर में मेहमान आते हैं, तो उसमे ही तेरा मुँह बन जाता है"। 


सुनीता ने कहा "जिसके घर में देर हो जाती है, वो ही मुझे चार बातेंं सुनाता है । आज मीरा भाभी को कहीं जाना था । वो मुझे बोल कर गयी थीं कि बच्चों के स्कूल से आने के समय पर आ जाना और उन्हें खाना दे देना । अब अगर मैं समय पर नहीं पहुंची तो शाम को जब उनके घर जाऊँगी वो मुझसे लड़ेगी।आपने तो छोले भी नहीं उबाले"। 


विनीता ने सोचा इससे बहस करने से अच्छा है, क्रोकरी निकाल कर पोंछ लेती हूँ । कुछ देर बाद विनीता किचन में गयी तो सुनीता मिक्स वैजिटेबल  के लिए सब्ज़ी काट रही थी । विनीता एकदम से बोली "इतनी मोटी सब्ज़ी नहीं, बारीक सब्ज़ी काट"। 


इस पर सुनीता बोली "इतनी सब्ज़ियां काटनी हैं, बारीक काटने बैठूँगी तो आधा घंटा तो सब्ज़ी काटने में ही लग जाएगा । 12:30 बज रहे हैं, अभी मुझे दो घरों में और खाना बनाना है । आप सब्ज़ी अपने हिसाब से कटवा दो । इस पर विनीता ने मन में सोचा मुझे ही काम करना है, तो तुझे फ्री के पैसे दूँ पर वह बिना कुछ बोले टेबल लगाने लगी ।

1:30 बजे तक सब कुछ बन चुका था सुनीता ने कहा "भाभीजी मेहमान कब तक आयेंगे? विनीता ने कहा "10-15 मिनट लगेंगे" तो सुनीता ने कहा "अभी तो आकर वो कुछ देर बैठेंगे, चाय-ठंडा लेंगे।उस सब में तो बहुत देर हो जायेगी । कहो तो मैं ज्योति भाभी के घर खाना बना कर आती हूँ।उनके बच्चे आने वाले होंगे।"


विनीता ने कहा "एकबार जाने के बाद तो पता नहीं तू कितनी देर में आएगी । पहले तो तूने इतने काम पकड़ लिए, अब तू मुझे टाइम दिखाती रह।"


सुनीता ने दुखी स्वर में कहा "अगर मेरा पति कमाता होता तो मुझे क्या ज़रूरत थी, सुबह से लेकर रात तक काम करने की । कहाँ से करुँगी चार-चार बेटियों का देना-लेना, कहाँ से अपने बेटे को पढ़ाऊंगी और कहाँ से घर के खर्चे चलाऊंगी ? अगर एक, दो काम करुँगी ।आप मेरी ज़िन्दगी एक दिन के लिए जी कर तो देखो।आप को मेरा काम समझ नहीं आ रहा, तो शाम को मेरा हिसाब कर देना।"


अब विनीता को लगा अगर ये चली गयी, तो बहुत  दिक्कत हो जायेगी और कहीं न कहीं उसे सुनीता पर तरस आ रहा था । उसने सोचा हम लोगों से अपने एक घर का काम नहीं होता और यह पांच-पांच घरों में खाना बनाती है और अपने घर का भी पूरा काम करती है ।विनीता ने बात को बदलते हुए कहा "ठीक है, तू जा पूरी मैं बना दूँगी । अगर उन्होंने देर से खाना खाया तो मैं तुझे फोन कर के बुला लुंगी"।


सुनीता ने हाँ में सिर हिला दिया और जल्दी से बाहर निकल गयी।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy