Shilpa Jain

Inspirational

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मेरी उड़ान

मेरी उड़ान

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"इस साल का बेस्ट न्यूकमर एंटरप्रेन्योर का अवार्ड जाता है मिसेस निहिता वर्मा को।"

जैसे ही ये अनाउंसमेंट हुई, निहिता को गौरव ने गले से लगा लिया। निहिता अब भी स्तब्ध थी, उसे यकीन ही नही हो रहा था कि जो उसने सुना वो सच है, उसकी आंखें खुशी के मारे नम हो गयी थी।

अगले ही दिन निहिता के घर बधाई देने वालो का तांता लग गया था।

"देख लीजिए शांति जी, हमने तो पहले ही कहा था आपकी बहु बहुत ही गुणवती है, नाम रोशन कर दिया पूरे परिवार का।" पास वाली मिसेस अरोरा शांति जी का मुँह मीठा करते हुए बोली।

"हाँ हाँ क्यों नही, आखिर हम सबने मिलकर बहुत मेहनत की, बहु का पूरा साथ दिया। मैने तो निक्की बेटे को कह दिया था, बहु तू सिर्फ अपना काम देख, घर गृहस्थी की चिंता मत कर। मै हूं ना, और आज देखो।" शांति जी हंसते हुए बोली

पास ही खड़ी निहिता के दिमाग मे लगभग 2 वर्ष पहले हुआ घटनाक्रम घूम गया।

" क्या कहा रसोइया? गौरव लगता है इसके साथ अब तेरा भी दिमाग घूम गया है, औरत का फर्ज होता है अपने घर परिवार को देखे उन्हें प्यार से खाना बना कर खिलाये,और तुझे क्या लगा हम रसोइये के हाथ का बना खाएंगे, हमारे ही कर्म फूटे थे जो ऐसी लड़की से तुझे ब्याहा।पहले भी इसने हमारी एक नही सुनी और अब अपनी मनमर्ज़िया हम पर थोपे जा रही है।" शांति जी चिल्लाते हुए बोली।

अगले दो दिन उन्होंने खाना नही खाया, पर इस बार निहिता पीछे नही हटने वाली थी, उसने सासु माँ को आग्रह भी किया, उन्होंने खरी खोटी भी सुनाई पर निहिता के कदम अब डगमगाने वाले नही थे। "गौरव 5 साल हो गए हमारी शादी को, मै घर मे बैठी बिल्कुल बोर हो जाती हूँ, तुम्हे पता था न मै शादी से पहले जॉब करती थी, मुझे मौका तो दो एक।" निहिता ने कहा

"निक्की फिर वही बात तुम्हें पता है ना माँ बाबूजी नही मानेंगे,फिर क्यों ये बार बार सवाल करती हो।"गौरव ने थोड़ा झल्लाते हुए कहा और ऑफिस के लिए निकल गया। 5 साल हुए निहिता को इस शहर में शादी कर के आये हुए। उसकी सासु माँ ने आते ही सारी जिम्मेदारी उसे सौप दी, या यूं कहें सिर्फ काम का बोझ, वो पूरे दिन अपनी महिला मंडली के साथ गोष्ठी करती, या मंदिर में जा कर पूजा पाठ करने बैठ जाती। वो खुद बाहर जाए उन्हें कोई दिक्कत नही, पर निहिता जाए तो उन्हें बिल्कुल नही सुहाता। आज भी उनकी सोच रूढ़िवादी थी। वो कई बार बोलना चाहती थी जवाब देना चाहती थी, मगर वो गौरव से बहुत प्यार करती थी, इसीलिये कुछ बोलने से बचती थी।

"भाभी आपने क्या केक बनाया था, Awesome, मन करता है आपके हाथ चुम लूं। सबको केक इतना पसंद आया न क्या बताऊँ। सच मे cooking में तो कोई आपका मुकाबला नही कर सकता। आप क्लासेज क्यों नही शुरू करती, देखना स्टूडेंट्स की लाइन लग जायेगी। you are master chef" सुनैना निहिता के गले मे बाहे डालते हुए बोली। सुनैना चली गयी पर निहिता के मन मे एक उम्मीद जगा गयी।

अगले दिन गौरव से उसने बात की," गौरव प्लीज, देखो न ये काम तो मै घर पर रहकर ही कर सकती हूँ, तुम एक बार मम्मी जी से बात तो कर लो, वैसे भी नीचे वाला फ्लोर खाली है, मैं वही अपनी क्लास स्टार्ट कर लुंगी, प्लीज प्लीज" निहिता गौरव से बोली।

"चलो मै बात करता हूं।" गौरव ने कहा और चला गया। "क्या कहा,कुकिंग क्लासेज, अरे भाई क्या जरूरत है ये सब करने की, तू अच्छा खासा कमाता है, भगवान की दया से सब कुछ है, और अगर बहु ये करेगी तो घर कौन देखेगा, नही नही, मुझे ये सब नही जचता, और तू उसकी सिखाई बातें मेरे सामने मत बोल।मैं क्या ये सब समझती नही" शांति देवी आंखे दिखाते हुए बोली।

निहिता ने सब सुन लिया, मगर अब उसे ये मंजूर नही था, वो कुछ करना चाहती थी, अब वो अपने कदम पीछे नही खीचेंगी।

अगले दिन उसने सुनैना को बताया कि वो अपनी क्लासेज स्टार्ट करने का सोच रही है।

"वाह भाभी, क्या बात है, आपकी पहली स्टूडेंट के नाम की मेरी एंट्री कर लीजिए, औऱ मेरे दोस्त वो तो दीवाने है आपके बनाये खाने के स्वाद के, आपकी क्लासेज superhit है।" सुनैना मुस्कुराते हुए बोली, और अपने घर चली गयी।

अगले दिन उसने नीचे का पूरा फ्लोर साफ किया। अपने जान पहचान वालो को उसने मैसेज किये, मेल किये।अभी नही तो कभी नही, उसने ठान लिया था। एक हफ्ते बाद सुनैना अपनी सहेलियों के साथ आई। आज निहिता की पहली क्लास थी, निहिता ने इन्हें केक बनाना सिखाया। cooking के प्रति निहिता की दीवानगी उसकी बातों में झलक रही थी। क्लास खत्म होने के बाद जैसे ही स्टूडेंट्स जाने लगे, निहिता की सास सामने से आती दिखाई दी।

घर मे घुसते हुए वो जोर से चिल्लाई, " क्या हो रहा है ये सब?"

निहिता ने कहा," मम्मी जी, वो मैंने आज से cooking classes शुरू कर दी है।"

फिर क्या था पुरा दिन खूब हंगामा हुआ, गौरव के आते ही वो उस पर भी भड़की।

" ये क्या है निक्की, तुम्हें मना किया था मैंने।" गौरव ने कहा

" गौरव, क्या मैंने गलत किया?मै कही बाहर जॉब तो नही कर रही। तुमने कभी सोचा तुम पापाजी मम्मी जी सब बाहर चले जाते हो, मै पूरा दिन घर पर अकेले रहती हूं, अनजान शहर कोई दोस्त नही मेरा। क्या करूँ मैं? जवाब दो? नही अब मै पीछे नही हटने वाली।" निहिता ने अपना फैसला सुना दिया था।

उस दिन के बाद निहिता अपने फैसले पर अटल थी। सासु माँ ने उसकी राह में बहुत रोड़े अटकाए। कभी वो काम वाली को भगा देती, उसके काम बढ़ा देती, बीमार होने का ढोंग करती। मगर अब जो निहिता थी वो एक नई निहिता थी।

हुनर को पहचान कब तक नही मिलती। थोड़े ही दिनों में निहिता का "जायका" अपनी पहचान बना चुका था। निहिता के स्टूडेंट्स की संख्या बढ़ती ही जा रही थी। लगभग एक साल के अंदर " जायका" का नाम शहर में फैल चुका था। निहिता अपनी क्लासेज लेती और घर को भी संभालती। शांति देवी पूरे मोहल्ले में निहिता की बुराई करते नही थकती, पर ये बाते निहिता को नही रोक पायी।

गौरव भी धीरे धीरे अब खुश था, उसे अब एक नई और उत्साह से भरी निहिता नजर आ रही थी, जो कही खो सी गयी थी। 2 साल में निहिता के पास इतना काम हो गया कि उसे एक रसोइये की जरूरत पड़ गयी, जो घर मे खाना बना दे।

निहिता के बनाये केक की डिमांड पूरे शहर में थी, वही कुकिंग सीखने वाला हर स्टूडेंट चाहता था कि वो निहिता मेम की " जायका क्लासेज" में ट्रेनिंग ले।

तीन साल में निहिता ने अपना एक मुकाम हासिल कर लिया था, औऱ वो पल उसके लिए सबसे गर्व का था कि इस साल के बेस्ट न्यू एंटरप्रेन्योर के कॉन्टेस्ट के लिए उसका भी नाम मनोनित किया गया है, टॉप 10 में आना एक गर्व की बात थी।

निहिता के ससुर जी पहले भी खिलाफ नही थे, पर हां पत्नी के सामने उनकी जुबान नही खुलती थी। 

आज जब निहिता ने ये खिताब जीत लिया था, एक गौरव उसे गौरव की आंखों में नजर आ रहा था।

"अरे बेटा, कहाँ खो गई तुम, लो मिठाई खाओ, सुनैना ने अपनी निहिता भाभी के लिये बना कर भेजी है। आज सुनैना की पूछ पूरे ससुराल में है कि उसके जैसा खाना कोई नही बनाता, ये सब तुम्हारी वजह से ही है, हम सब का तूने नाम रोशन किया इस मिठाई की असली हक़दार तो तू ही है" मिसेस अरोड़ा निहिता के मुंह मे मिठाई का टुकड़ा डालते हुए बोली। निहिता की आंखों में एक चमक उभर आई। हौसलों की उड़ान निहिता भर चुकी थी।

दोस्तों, सपने सबके होते है, पर कई बार हमारे रास्ते मे बहुत सारे पत्थर भी आ जाते है अब ये हमारे ऊपर है कि हम उन पत्थरो से घबरा जाए या उन्ही पत्थरो का पुल बना कर हर बाधा को पार कर जाए। निहिता ने यही किया उसने हार नही मानी, अपने प्यार को अपनी कमजोरी नही बनने दिया और वो मुकाम हासिल किया जिसकी वो हकदार थी, इसी उम्मीद के साथ कि आपको मेरी कहानी पसंद आएगी, आपके विचारों की प्रतीक्षा रहेगी।

अगर आपको मेरी रचना पसन्द आई तो आप मुझे फॉलो कर सकते है।


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