श्याम रंग ने मोह लिया

श्याम रंग ने मोह लिया

8 mins
1.0K


"रमा को देखो कैसी बहू पसंद की है अपने बेटे के लिए कहाँ तो सूरज कितना उजला सा और कहाँ ये बहू काली कलूटी। मैं तो अपने प्रभास के लिए चांद सी बहू लाऊंगी देखना।" सरिता जी ने अपनी पड़ोसन विभा को कहा।

सरिता जी को अपनी खूबसूरती पर बड़ा गुमान था आज भी वो सबको बताते नही थकती कि जवानी के दिनों में कैसे उन्हें सब हेमा मालिनी बुलाया करते थे। आज भी वो घंटों बैठ कर उबटन लगाने में गुरेज नहीं करती।

"क्या कर रही हो माँ ?" प्रभास को जब माँ उबटन लगाने लगी तो उसने खीझ कर कहा।

"देख तुझे कितना ढल गया है तेरा रंग, जब से तू काम पर जाने लगा है, जरा ख्याल रखा कर अपना, अब ज्यादा बोल मत।" और उन्होंने प्रभास के उबटन लगा कर ही दम लिया।

"अरे पंडित जी, देखिये मुझे मेरे प्रभास के लिए गौरवर्णी चांद सी लड़की चाहिए, लगना चहिये ना सरिता जोशी की बहू है, ये आप कैसे-कैसे फ़ोटो ले आते है।" सरिता जी थोड़ा गुस्से में बोली।

प्रभास बहुत ही समझदार लड़का था, पढ़ाई पूरी होते ही बिज़नेस में उनका हाथ बंटाने लग गया। राकेश जी भी अब बहुत खुश थे क्योंकि जब से प्रभास साथ मे आया है तो उनका बिज़नेस दिन दूनी गति से तरक्की कर रहा है।

"सुनो सरिता, यशवंत जी की बेटी की शादी है अगले हफ्ते चेन्नई में, तो मैं और प्रभास अगले इतवार को जा रहे है, तुम दोनों का सूटकेस पैक कर देना। यशवंत जी से इतने साल से व्यापार कर रहे हैं तो अब दोस्ती का ही नाता हो गया है, अच्छा उनकी बेटी को देने के लिए एक अच्छी सी साड़ी खरीद लाना तुम।" राकेश जी ने सरिता को कहा।

"अब दूसरों की शादी में ही जाओगे या अपने बेटे के लिए भी कोई लड़की देखोगे, अगले महीने प्रभास 25 बरस का हो जाएगा।" सरिता ने कहा।

"तुम्हे कोई पसंद आये तो न, हर लड़की में कोई न कोई कमी निकाल ही देती हो, अब हर कोई हेमा मालिनी नहीं होती ना ?" राकेश जी ने चुटकी लेते हुए कहा।

"आप भी ना....।" सरिता जी ने थोड़ा शर्माते हुए कहा।

अगले शनिवार दोनों शादी के लिए रवाना हो गए। यशवंत जी और राकेश जी सालों से साथ में व्यापार कर रहे थे तो दोनो में काफी अच्छी दोस्ती हो गयी थी।

शादी का इंतज़ाम बड़ी धूमधाम से किया था, बारात आने का समय हो गया था, अचानक ही शादी का माहौल गमगीन हो गया जिस रास्ते से बारात आ रही थी, वहाँ उनका भयंकर एक्सीडेंट हो गया, घटनास्थल पर ही दूल्हे की मौत हो गयी और रिश्तेदार भी घायल हो गए। जैसे ही ये खबर सुनी मातम का माहौल हो गया। राकेश जी यशवंत जी के पास ही खड़े थे, ये खबर सुनते ही वो गश खाकर गिर गए। प्रभास ने बड़ी समझदारी से काम लिया उसने कार निकाली और उन्हें जल्द ही हॉस्पिटल ले गया।

यशवंत जी को हार्ट अटैक आया था, पर समय रहते हॉस्पिटल पहुंच जाने की वजह से जान बच गयी। अगले दिन जब उन्हें होश आया तो उनकी पत्नी ने बताया कि आज प्रभास की वजह से ही उनकी जान बची है। यशवंत जी ने प्रभास को बुलाया उनके साथ ही राकेश जी भी थे। यशवंत जी की आंखों से आंसू बह निकले।

"कितना बदनसीब बाप हूँ मैं, जो आंसू बेटी की विदाई के लिए बचा के रखे थे, वो ऐसे बहेंगे सोचा न था। बड़ी मुश्किल से तो उसकी सगाई हुई थी इस हादसे के बाद तो बिल्कुल बूत बन गयी है न कुछ खा रही है ना पी रही है। उस पर लोगों के ताने, अब कौन करेगा उससे शादी।" यशवंत जी फफक कर रो पड़े।

"आप रोइये मत, ये हादसा था किसी के साथ भी हो सकता था, फिर भी अगर आपको कोई ऐतराज़ न हो तो मैं आपकी बेटी का हाथ अपने बेटे के लिए मांगता हूं।" राकेश जी ने कहा।

यशवंत जी ने भरी आंखों से उन्हें देखा, एक बार फिर उनकी आँखों से आंसू बह निकले।

अगले ही दिन प्रभास और निशा की शादी हो गयी। उसी दिन वो लोग फ्लाइट से वापिस घर के लिए रवाना हो गए।

दरवाजे की घंटी बजी। सरिता जी ने जैसे ही दरवाज़ा खोला वो हैरान हो उठी।

"निशा बेटी, इनके पाँव छुओ ये तुम्हारी सासू माँ है।" राकेश जी ने जैसे ही ये शब्द बोले सरिता पर तो मानों पहाड़ गिर गया वो गश खाते-खाते बची।

राकेश जी प्रभास उन्हें अंदर ले गए। कमरे में आती हुई आवाज़े निशा को सुनाई दे रही थी, वो चुपचाप एक कोने में खड़ी रही।

"प्रभास, तुम निशा को कमरे में ले कर जाओ।" राकेश जी ने कहा।

"नही, वो काली कलूटी बदसूरत लड़की कभी इस घर की बहू नहीं बन सकती, जहाँ से लाये हो छोड़ कर आओ इसे ये मेरे बेटे की बीवी कभी नही बन सकती।" सरिता जी आक्रोश में बोली।

"जो हो गया उसे तुम नहीं बदल सकती सरिता, परिस्थितियों को समझो अगर वो हमारी बेटी होती तो।' राकेश जी ने कहा।

"मुझे कुछ नहीं समझना।" सरिता जी चिल्लाई

"तुम जाओ बेटा।" राकेश ने कहा।

प्रभास निशा को लेकर कमरे में चला गया। सरिता जी पूरी रात खून के आंसू रोती रही। क्या क्या सपने देखे थे उन्होंने अपने बेटे की शादी के, अपनी बहू के....मगर अब सब खाक हो गए।

निशा अपने नाम सरीखी ही थी। श्यामवर्ण, छोटा सा कद, चेहरे पर हल्के दाग, शायद यही कारण रहा कि यशवंत जी उसकी शादी के लिए ज्यादा परेशान थे। वही प्रभास लंबा चौड़ा, गौरवर्ण किसी फिल्मी हीरो से कम नहीं लगता।

अगले दिन निशा जल्दी उठ कर चाय बना कर डाइनिंग टेबल पर ले कर आई।

"मम्मी जी चाय।" निशा ने कहा।

सरिता जी ने सरसरी निगाह से देखा और कप उठा कर फेंक दिया। निशा एकबारगी सन्न रह गयी।

निशा जितनी कोशिश करती उन्हें खुश करने की वो उतना ही कठोर रुख उसके प्रति अपनाती। अपने मीठे स्वभाव की वजह से कुछ ही दिनों में उसने प्रभास और राकेश जी का दिल जीत लिया।

आज फिर जब सरिता जी ने निशा को बेवजह झिड़क दिया, निशा अपने आंसू रोक न सकी।

"क्या हुआ ?" प्रभास ने पूछा।

"कुछ नहीं, वो जरा आंख में कुछ चला गया।" निशा ने नजर झुका कर कहा।

"ईधर देखो, सुनो में सब जानता हूँ, पर कुछ नही जल्दी सब ठीक हो जाएगा।" प्रभास ने निशा का हाथ अपने हाथ मे ले कर कहा।

" मैं जानती हूँ, मैं आपके लायक नहीं हूँ ये मुझे अच्छे से पता है, मम्मी जी की हालत मैं समझ सकती हूँ, वो गलत नहीं है।" निशा ने कहा।

" किसने कहा तुम अच्छी नहीं हो, तुम तो बहुत अच्छी हो जिस तरह हमने तुम्हारी अच्छाई को पहचान लिया है वैसे ही एक दिन माँ भी पहचान लेगी।" ये कहकर प्रभास ने निशा को गले लगा लिया।

सरिता जी का गुस्सा दिन ब दिन बढता ही रहा, उन्होंने हर संभव प्रयत्न किए उसे परेशान करने के पर निशा ने कभी पलट कर जवाब नही दिया। घर का सारा काम वो उससे करवाती, हर काम मे गलती निकालती पर निशा चुपचाप सब सहती रही।

"बुरा न मानो होली है।" निशा ने नींद में सोए प्रभास के गालों पर होली का रंग लगाते हुए कहा।

"अच्छा, तो ये बात...!" प्रभास ने उसके हाथ से रंग लिया और निशा को पूरा रंग दिया।

निशा तैयार हो कर रंग की थाली ले कर नीचे गयी।

"पापाजी हैप्पी होली।" निशा ने उनके सिर पर तिलक लगाया।

"हैप्पी होली बेटा, ज़िन्दगी का हर रंग यूँही तुम्हारे चेहरे पर खुशियां लाये, सदा खुश रहो।" राकेश जी ने आशीर्वाद देते हुए कहा।

"हैप्पी होली मम्मी जी।" निशा ने सरिता जी को तिलक लगाते हुए कहा।

सरिता जी ने कोई जवाब नहीं दिया।

"अरे, तुम बहू को रंग नहीं लगाओगी क्या, आखिर पहली होली है उसकी।" राकेश जी ने कहा।

"काले रंग पर भी कोई रंग चढ़ता है जो इसे रंग लगाऊं।" सरिता जी ने व्यंग्य के साथ कहा।

निशा की आंखें फिर से गीली हो गयी पर वो कुछ नहीं बोली।

पास ही पार्क में होली का आयोजन था, सब वही चले गए। सरिता जी को तबियत थोड़ी नासाज लगी तो वो उठ कर चली गई, निशा ने जब मम्मी जी को अकेले घर की तरफ जाते हुए देखा वो प्रभास के पास गई।

"सुनिए, मम्मी घर गयी है मैं भी जाती हूँ।" निशा ने कहा

"ठीक है।"प्रभास ने कहा

सरिता जी को थोड़ी बैचेनी सी हो रही थी, उन्होंने सोचा वो नहा लेती है तो थोड़ा अच्छा महसूस करेंगी, उन्होंने बाथरूम के गीज़र का स्विच जैसे ही ऑन किया, अचानक से उसमे करंट प्रवाहित होने लगा। गीले हाथों की वजह से उन्हें जोरदार झटका लगा, वो जड़वत हो कर उससे चिपक गयी।

निशा ने दरवाजे से जब ये सरिता जी की ये हालात देखी, वो भाग कर आई, सूझबूझ दिखाते हुए उसने पास ही पड़े लकड़ी के डंडे से उन्हें अलग किया। तब तक वो बेहोश हो चुकी थी।

"मम्मी जी, आप ठीक है।" उनकी आंखें खुली तो देखा निशा कुछ बुदबुदा रही है।

"सुनिए, मम्मी जी को होश आया गया है।" निशा चिल्लाई

थोड़ी ही देर में डॉक्टर, राकेश जी, प्रभास सब आसपास थे। डॉक्टर ने सरिता जी का चेकअप किया।

"यकीन मानिए, आप बहुत खुशकिस्मत है कि आपको यहाँ पर समय पर ले आया गया वरना जान भी जा सकती थी। वो तो शुक्र है कि आपकी बहू ने बहुत समझदारी से काम लिया।" डॉक्टर ने कहा और वहाँ से चला गया।

सरिता जी की नजरें शर्म से झुक गयी। उन्होंने निशा को अपमानित करने का कभी भी कोई मौका नही छोड़ा। फिर भी निशा ने उन्हें पलट कर कोई जवाब नही दिया। उन्होंने निशा की सूरत देखी पर उसकी सीरत नहीं, उसकी अच्छाइयों को उन्होंने हमेशा अनदेखा किया। आज उन्हें अपनी गलती का अहसास हो रहा था। निशा ने उन्हें हमेशा माँ का दर्जा दिया पर आज उन्हें लग रहा था क्या वो वाकई माँ कहलाने के लायक है? ये सोच कर उनकी आंखों में आंसू आ गए।

"क्या हुआ मम्मी जी, आपको दर्द हो रहा है, रुकिए में अभी डॉक्टर को बुलाती हूँ।" सरिता जी की आँखों में आँसू देखकर निशा ने कहा।

"रुको निशा।" सरिता जी निशा का हाथ पकड़कर बोली, उनकी आँखों से आंसू की एक लकीर बह निकली।

"मुझे माफ़ कर दो बेटा, मैंने हमेशा तुम्हारे साथ बुरा सलूक किया, तुम्हारा अपमान किया, पर मैं आज समझ गयी कि तुम काला रंग हो तो क्या हुआ? मैं भूल गयी थी कि ये वो रंग है जो किसी पर एक बार चढ़ जाए तो उतरता नही, इसी तरह आज अपनी अच्छाइयों से तुमने मेरे आंखों पर बंधी काली पट्टी उतार दी है। कृष्ण के काले रंग ने दुनिया को अपने बस में कर लिया था और आज तुम्हारी अच्छाई ने मुझे जिंदगी भर का कर्जदार कर दिया है।" कहते कहते सरिता जी की आँखों से अश्रुधारा बह चली।

निशा ने सरिता जी को गले से लगा लिया। आज की होली उसके लिए सच में सार्थक हो गयी थी।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama