मेरी जान !

मेरी जान !

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                              कृष्णा खत्री 


            जो मिलता है एक ही सवाल करता है और सवाल घुमाफिरा कर कई तरीकों से पूछा जाता है , अब समझ में नहीं आता कि जवाब किस तरह और कितने तरीकों से दिया जाए कारण अगर आपने एक सीधे-सादे समझ में आने वाले तरीके से एक ही बार में जवाब दे दिया तो सवाल पूछने वालों को समाधान नहीं हो पाता तो वे कहते हैं हां -हां , वो तो ठीक है पर हुआ कैसे ? जब जवाब दे दिया तो कहेंगे - नहीं-नहीं मेरा मतलब है कारण क्या था ? अब कारण किस तरह समझाया जाए जब कैसे का जवाब दे दिया हो ,,,,, बात तो एक ही हुई मगर कैसे समझाया जाए ऐसे खैरख्वाहों को ? खैर जाने दीजिए अब शिकायत भी करें तो किससे करें ,,,,, सभी तो अपने हैं ! इस तरह नीलू अपने आप में बड़बड़ा रही थी कि रजनी आते ही बोली - ओओ मॅडम फिलोस्फर ,,,,, क्या बात है - किससे शिकायत ? कैसी शिकायत ? 

     कुछ नहीं यार , मम्मी जब से भाई के पास गई है ,,,, यार , जो मिलता है सवाल पे सवाल करता है वो भी एक ही सवाल और वो भी घुमाफिरा कर ,,,,,, दिल करता है परचे छपवा के रख दूं और जो सवाल करे , पकड़ा दूं ,,,,, कैसा है ये आइडिया ?

     खाक आइडिया ,,,,,, लोग तो सनकी है ही पर तू भी तो कम नहीं ! हंसेंगे लोग ,,,, कहेंगे - हम तो हाल-चाल पूछ रहे हैं और ये महारानी बड़ी सयानी बनती है ,,,,,, हां , हाल-चाल पर याद आया - अब ऋषि भैया कैसे हैं ? 

     अब ठीक है आॅपरेशन के बाद की रिकवरी भी अच्छी है ,,,, एक दिन के लिए मैं भी जाना चाहती हूं , तू चलेगी ? अकेले जाने को मन नहीं कर रहा है !

      चली चलूंगी पर अभी वीडियो काॅल करते हैं ना !

      अरे हां यार , यह तो मुझे ख्याल ही नहीं आया ,,,,,, चल अभी करते हैं ,,,,, तेरे मोबाइल से करना पड़ेगा मेरे फ़ोन की पिक्चर क्वालिटी अच्छी नहीं है !

       हां , यह तो मुझे पता है , अपने फोन से ही करने के लिए कह रही थी और जब भी वीडियो काॅल करते हैं तो मेरे फोन से ही तो करते हैं ,,,,, तू सच में अब एंवैई हो गई है ,,,,, पता नहीं तू कहां रहती है और किन ख्यालों में रहती है !

      अरे यार , सबके बेहूदा सवालों ने भन्ना दिया है मुझे ,,,, अब तो तू भी नही समझती मुझे !

       अच्छाआआआ , ये तू कह रही है ? मैं न होती तो तुम्हें भन्नाने से कौन बचाता ,,,,, आगे भी कौन बचाएगा ?

    हां मेरी मां , तू शत-प्रतिशत सही कह रही है मेरी जान ,,,,, चल यार फोन लगा , बात करने के बाद बाहर चलते हैं पहले लंच कर लेते हैं फिर मूवी चलते हैं !

     देखा है ,,,,, कौनसी लगी है ?

     हां , बाला देखने चलते हैं !

     ये बाला क्या बला है ?

     अरे यार , तू तो एकदम आउटडेटेड है ,,,, कुछ पता ही नहीं रहता तुझे तो ,,,,, अपनी किताबों के अलावा भी आंखें खोल कर देखाकर , कहां , क्या-क्या होता है ?

      अच्छा-अच्छा , अब समझी - मॅडम का पसंदीदा हीरो है इसलिए बाला की दीवानी और भी इतनी कि दीवानगी की हद तक !

      दीवानगी ही तो दीवाना बनाती है जानेमन ! पर तू क्या जाने किताबों में खोई रहने वाली जरा बाहर की दुनिया को भी एक नजर उठाकर तो देख लिया कर तभी तो मेरे जैसों की दीवानगी समझ पाएगी !

      अच्छा-अच्छा , उपदेशक महोदया ,,,, अब जल्दी कर लेकिन तेरे हाथ की चाय पीये बिना तो यहां से हिलने वाली नहीं ,,,,,, फिर कुछ छूट गया तो मेरी जिम्मेदारी नहीं !

      ओके जाना , पर अब तू मुझे ब्लॅकमेल कर रही है और चाय बिना मानेगी भी नहीं ,,,,,, रज्जो , सच में तू मेरी जान की दुश्मन बन गई है !

     चलो यही सही मगर तुमसे कम ! तू तो यार , जब अकेले में बड़बड़ाने लगती है तो मेरी जान ही निकाल लेती है ! खुद से ज्यादा मुझे तेरा ख्याल रखना पड़ता है समझी ?

     समझी , मेरी मां समझी ,,,,,, लेकिन तू नहीं समझती ना मेरी जान ! 

      अरे वाह ,,,, लगता है चाय बन गई वाह क्या खुशबू है ,,,,, तू और तेरी चाय सच में मेरी जान ले लेंगे एक दिन ! साथ क्या खिला रही है ?

     कुछ नहीं ! भूल गई एकदम ,,,,, हम खाना बाहर खाने वाले थे ना ? सच में रज्जो , फिलोस्फर तू मुझे कहती है मगर है तू एक नंबर की फिलोस्फर ! सुन तेरी ही तरह एक दार्शनिक महोदय अपने मित्र के यहां विदफॅमिली पार्टी में गए ,,,,, कुछ देर बाद अपनी बीवी को बड़े गौर से देखने लगे और फिर कहने लगे - मॅडम , लगता है मैं पहले भी आपसे कभी मिल चुका हूं ,,,,,, एम आई राइट ?

 जी , बिल्कुल सही , आज से पंद्रह साल पहले आपसे मेरी शादी हुई थी !

       तो मेरी जान तू भी तो ऐसी ही फिलोस्फर है जाने कहां खो जाए , जाने कब मुझे भूल जाएं ! यही डर लगा रहता है मुझे , समझी जाना ?

       जी बिल्कुल , अब आप चलने की तैयारी कीजिए मुझे जोरों की भूख लगी है , नहीं चलेगी तो कुछ भी खा लूंगी जो भी किचिन में होगा ,,,,,,, 

      नीलू ने जोर का ठहाका लगाया - वेरी फनी ! यार , इस किचिन में तो बस राम भजो है ! चल-चल , आय म रेडी ,,,,, ऊंहूंऊऊऊ , अभी बैठी है , उठ ना ,,,,, तेरे खाने के चक्कर में मेरी बाला छूट जाएगी और कहते-कहते रज्जो का हाथ पकड़कर उठाती है !

      नीलू , खाना खा लिया , तेरी बाला भी देख ली ,,,,,, अब कुछ शाॅपिंग कर लेते हैं मम्मी के लिए गाउन लेना था , क्रोसवर्ल्ड से कुछ बुक्स !

       हे राम , इतना सेल्फ किताबों से भरा पड़ा है और फिर किताबें ? बेचारी किताबों पर तरस खा खुद पर नहीं तो ! चल ,,,,,, ठीक है , ले ले लेकिन मेरे लिए भी ड्रेस लेना न भूलना ! 

      तौबा मेरी मां तौबा , अभी पिछले हफ्ते ही तो दो ड्रेस ली थी फिर ,,,,, ? तुम भी ना ,,,,, !

       अरे यार , एक ड्रेस ही तो मांगी है और तू लाटसाहब कम से कम तीन -चार किताबें तो ले ही लेगी और मेरे लिए कुछ भी नहीं !

      तो ,,,, तू भी ले ले किताबें !

      तुझी को मुबारक ! तेरे पास कम है ? मेरे पढ़ने के लिए काफी है ! मेरे लिए तो ड्रेस की बात कर ! एक लंबी और ठंडी सांस लेते हुए रज्जो बोली - ओके जाना !

             शाॅपिंग के बाद दोनों स्टार बक्स में गई ,,,,, बैठकर इत्मीनान की सांस ली और काॅफी का आॅर्डर दिया , कुछ देर की चुप्पी के बाद नीलू ने कहा - तुझे ताज्जुब नहीं होता ?

      किस बात का ?

      यही कि हम दोनों पूरब-पश्चिम ,,,,, फिर भी हम दोनों का एक-दूसरे के बिना ज़रा भी नहीं चलता ,,,,,, क्यों ?

      अपने दिल से पूछ !

      कितनी - कितनी बार अपने दिल से पूछा है , कोई जवाब नहीं मिलता ,,,,, बस ,,,, तू सामने आ जाती है !

      मिल तो गया जवाब ,,,,, क्योंकि मेरे साथ भी यही हुआ है हर बार ! देख , ऊपर वाले ने पहले से करारनामा करके भेजा है कि हालात जो भी हो मगर हम दोनों का दोस्ताना अटूट है , अटूट ही रहेगा !

       लेकिन हमारी शादी के बाद क्या होगा हमारा ? एक दिन न मिलें , न देखें तो पता नहीं क्या हो जाता है ,,,,,, न नींद आती है , न ख्याल जाता है न रात गुजरती है ,,,,,, फिर नहीं मिल पाए तो ,,,, ?

      अरे यार , काहे का टेंशन दे रही हो और ले रही हो , हम शादी एक ही घर में करेंगे !

      ससुराल वाले जाति को लेकर अड़ गए तो ,,,,,,,, तू ब्राह्मण मैं राजपूत ,,,,, यहां भी पूरब-पश्चिम , ज़मीन-आसमान का झंझट ,,,, क्या करेंगे ?

       कुछ नहीं ,,,,, हम तो अपना ठिकाना वहीं ढूंढेंगे जहां ये सब झंझट ना हो ,,,,,, इस धरती पर कोई तो होगा हमारे लिए भी होगा जाना ,,,, क्यों करती हो चिंता ?

      ऐसा कुछ भी न हुआ तो ,,,, ?

      यार , तू नेगेटिव बहुत है ,,,, फिर भी अगर ऐसा हुआ तो मैं शादी भी नहीं करूंगी ,,,, खुश !

       फिर भी ?

       फिर भी ,,,,,,, ऐसा है मेरी जान ,,,,, तू पढ़ी लिखी है ना तुम्हारी अपनी कोई सोच , कोई वजूद , कोई शख्सियत ,,,,, कुछ तो तुम्हारा अपना होगा ! नीलू एकदम आश्चर्यचकित-सी उसे देखती रह जाती है ! ऐसे क्या देख रही है मैं वही तुम्हारी रज्जो हूं , कोई अजूबा नहीं !

       अजूबा ही तो हो ,,,, लो मिल गया रास्ता !

       कौन सा ?

       जो तुमने बताया ! रजनी उसे आंखों ही आंखों में सवाल करती है जैसे ?

       यही कि चाहे दो दोस्त हों , चाहे दो भाई हों , चाहे दोनों कलीग हों इसके बावजूद सब साफ-साफ बातचीत करके ही शादी करेंगे और नहीं तो कम से कम शहर ही एक हो , उसी शहर में बिजनेस भी एक हो या कम से कम आपसी बिजनेस की लेन-देन तो हो !

      वाह ! वाह ! दूर की कौड़ी ले आई तुम तो मेरी जान ! अब तो पक्का है हमारा साथ रहना ,,,,, ऊपर वाले के फरमान को भला कौन टाल सकता है ! रही जाति की बात ,,,,, तो कोई हमारी तरह सोचने वाला , करने वाला भी होगा ही ,,,,, बस , फिर क्या ग़म है !

बहुत हो गया भविष्य पुराण ,,,,,,, अब चलना चाहिए !

       ठीक है , चलते हैं पर थोड़ी देर और रुक ना !

       ओके मेरी जान !

                                     कृष्णा खत्री


       


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