मेरे पापा की मेहनत की कमाई

मेरे पापा की मेहनत की कमाई

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शादी में बस कुछ ही दिन बचे थे, सारी तैयारियाँ जोर शोर से चल रही थी आखिरकार धवन परिवार की बड़ी बेटी की शादी जो थी और लगभग तीस सालों बाद ये ख़ुशियों का समय आया था। इसीलिए धवन जी अपनी बड़ी बेटी की शादी में कोई कमी नहीं छोड़ना चाहते थे। कहने को तो वो कपड़ों के व्यापारी थे परंतु मेहनत व ईमानदारी से इतना कमा लेते थे कि घर का गुजारा बहुत अच्छे से हो जाता था। व भगवान की कृपा से उनके तीनों बच्चे भी अच्छे थे। बड़ी बेटी पूजा पढ़ लिख कर सरकारी स्कूल की टीचर बन चुकी थी, छोटी बेटी कॉलेज की पढ़ाई कर रही थी व बेटा अभी स्कूल में ही था। बड़े भाई साहब की कोशिश से पूजा के लिये अच्छा लड़का मिल गया था। रोहन के माता पिता भी पूजा को अपने घर की बहू बनाने के लिए बेहद खुश थे, आखिरकार पूजा थी ही इतनी सुंदर व शांत स्वभाव की व संस्कारी भी। रोहन भी अपने माता पिता का इकलौता बेटा था,अच्छी मल्टीनेशनल कंपनी में एक अच्छी पोस्ट पर था, मेहनती भी व अच्छा कमाऊ भी। अपने माता पिता का लाड़ला था तभी अपने हर फैसले मे सर्वप्रथम अपने माता पिता की राय लेना ज़रुरी समझता था व उनके कहे अनुसार ही चलता।

पूजा के माता पिता रोहन को देखने सबसे पहले उसके घर गए थे उन्हें रोहन से बातचीत करके अच्छा लगा व उसका घर परिवार भी। पूजा ने अपनी ज़िंदगी के इस महत्वपूर्ण फैसले को लेने का हक अपने माता पिता पर छोड़ दिया था वो जानती थी कि उसके माता पिता उसके लिए सब कुछ सही सोचेंगे व सब सही होगा। उनकी खुशी को देख पूजा ने भी रोहन से मिलने की स्वीकृति दे दे थी। लगभग पाँच दिन के पश्चात रोहन और उसके माता पिता पूजा को देखने आ गये थे। दोनो की बातचीत के बाद रिश्ता पक्का हो गया था व मुँह मीठा करा बधाई दे दी गयी थी। कुछ दिन बाद उनकी सगाई कर दी गयी।अब धीरे धीरे पूजा और रोहन की फोन पर आपसी बातचीत होने लगी, घर वालों की इजाज़त से दोनों ने मिलना जुलना भी शुरू कर दिया था आख़िरकार घर वाले भी समझते थे कि आधुनिक समाज है अगर मिलेंगे जुलेगे नहीं तो एक दूसरे को समझेंगे कैसे क्योंकि पूरी ज़िंदगी का जो सवाल ठहरा।


हर रविवार दोनो पूरा दिन एक दूसरे के साथ व्यतीत करते, पूजा थोड़ा कम बोलती थी वही रोहन थोड़ा सा बातूनी था। वो कहते है ना कि जब तक हम किसी से दो चार बार मिल नहीं लेते तब तक उसके विचार व स्वभाव का पता लगना मुश्किल सा ही रहता है, कुछ इसी तरह चल रहा था पूजा के साथ। धीरे धीरे रोहन का एक अजीब सा व्यक्तित्व देखेने को मिल रहा था उसे। किसी ना किसी तरीके से वो खुद का पद ऊँचा बता शादी में पूजा के घर वालों की तरफ से सब कुछ अच्छा, बढ़िया व कीमती सामान लेने का अपना लालची रूप दिखा ही देता, इसके बारे मे पूजा ने अपने घरवालों से भी बात करी परन्तु लड़का अच्छा, पढ़ा लिखा व अच्छा कमाने वाला कह उसके घर वाले उसे यह सब ना सोच खुश रहने व अपनी आने वाली नयी ज़िन्दगी की नई ख़ुशियों के बारे मे सोचने को कहते। बाकी वो सब संभाल लेंगे परंतु पूजा को यह सब ठीक ना लगता।

शादी का समय नज़दीक आ गया था, दोनो परिवारों की फोन पर तैयारियों से सम्बंधित आपसी बातचीत चलती ही रहती थी। तभी एक दिन सुबह सुबह सात बजे रोहन के पिता जी का फोन पूजा के पिता जी को आया।


हैलो, हाँ जी समधी जी, सब ठीक तो है ना इतनी सुबह सुबह आपका फोन आता देख दिल की धड़कनें सी बढ़ गयी…अच्छा अभी थोड़ी देर में आप घर आयेंगे मिलकर बात करेंगे, कुछ तो बताइए आखिरकार बात क्या है?? हमसे कोई ग़लती हो गयी क्या?? चलिये ठीक है, आपका स्वागत है। कह कर पूजा के पिताजी ने फोन रख दिया। व अपने बड़े भाई साहब को फोन पर सारी बात बता उन्हें वहाँ बुला लिया।

“ना जाने, अब क्या फरमाईश होगी….पहले ही अपनी हिम्मत से ज्यादा दे रहा हूं। अगर इस बात का पता पूजा को चल गया कि वो लोग उनकी शर्त न पूरी होने पर रिश्ता तोड़ने की बात कर रहे है तो वो तुरंत यह रिश्ता तोड़ देगी, फिर कौन करेगा उससे शादी और बदनामी अलग हो जाएगी समाज में की शायद लड़की में ही कोई कमी होगी।“ अपनी धर्म पत्नी से चिंतित स्वर में बोले। यह सारी बातें पूजा दरवाज़े के पीछे खड़े होकर सुन रही थी फिर दबे पाँव अपने कमरे में चली गयी थी।

कुछ देर बाद डोर बेल बजी, रोहन व उसके मम्मी पापा आये थे। “पूजा, जाओ बेटा तुम चाय नाश्ते की तैयारी करो ऐसा कह पूजा के पिता ने उसे वहाँ से जाने को कहा ”पूजा चुपचाप चली गयी। पूजा रसोईघर में जाने की बजाय दरवाज़े के पीछे खड़े होकर रोहन व उसके माता पिता द्वारा दहेज़ में एक नई कार की मांग की बात सुन रही थी। उनके अनुसार आखिर उनकी बेटी पूजा भी तो उस गाड़ी में घूमेगी, अपनी बेटी के लिए इतना तो कर ही सकते हो।

पूजा के पिताजी हाथ जोड़कर बोले, वो पूरी कोशिश करेगें..कोई शिकायत का मौका नहीं देंगे। अपने पिता की बेबसी को देख पूजा से रहा नहीं गया और वो बिना चाय नाश्ता लिए ही कमरे में आ कर बोली।

“पापा, मुझे यह शादी नहीं करनी ।उसकी यह बात सुन सब चौक गये, क्योंकि यह शादी नहीं एक सौदा है।"

अरे, यह क्या कह रही हो पूजा? हम दोनों की कुछ दिनों के बाद शादी है। सारी तैयारियाँ हो चुकी है,अब तुम ऐसा कैसे कर सकती हो। रोहन आक्रोश रूपी स्वर में बोला।

“जब तुम और तुम्हारे परिवार वाले उनकी इच्छानुसार दहेज ना मिलने पर मेरे माता पिता को रिश्ता तोड़ने की बार बार धमकी दे सकते हो तो क्या मुझे अपने जीवन के लिए सही या गलत निर्णय लेने का ज़रा सा भी हक नहीं है। आप लोगो जैसी गन्दी मानसिकता वाले लोगों के साथ कौन रिश्ता जोड़ना चाहेगा, जो रिश्तों से ज्यादा पैसे को अहमियत देते है। ये मेरे पापा की मेहनत की कमाई है जिसे बड़ी ईमानदारी से उन्होंने दिन रात एक कर अपनी इच्छाओं को मार अपने बच्चों के लिए जोड़ा है व मेरा घर बसाने के लिए वो कार तो क्या दुनिया की हर एक चीज़ आपके कदमों मे रख देते लेकिन नहीं चाहिए मुझे ऐसी शादी की ख़ुशियाँ जो मेरे माता पिता के आत्मसम्मान को ठेस दे। मेरे माँ बाप अपने जिगर के टुकड़े को आपको सौंप रहे थे परंतु आपने उसे सौदा समझ लिया व मेरे पापा की चुप्पी को उनकी कमज़ोरी। आप जैसे लोग लड़की के माता पिता की कब इज़्ज़त उछाल दे पता नहीं चलता व ऐसे परिवार में शादी करके मुझे भी दहेज के लिए प्रताड़ित महिला द्वारा की गयी आत्महत्या जैसी कई घटनाओं के रूप में समाचार पत्रों में नहीं आना।।

अब आप मे जरा सी भी लयाकत बची है तो यहाँ से चले जाएं, जानती हूँ शादी में कुछ दिन ही बचे है व रिश्ता टूट जाने पर लोगों के काफी सवाल उठेगे परंतु ये सब सवाल मेरे माता पिता के आत्मसम्मान से बढ़ कर नहीं है, चाहती तो तुम्हारे इरादे भांपने के बाद शादी के मंडप में ये रिश्ता तोड़ तुम सबको पुलिस के हवाले कर देती ताकि आप लोगो की आगे किसी और लड़की के साथ ऐसा करने की हिम्मत ना होती, परंतु तब भी मेरे पापा की मेहनत की कमाई आप जैसे घटिया लोगो के लिए ही खराब जाती।

अपनी सगाई की अंगूठी उतार पूजा ने रोहन के हाथ में दे दी व उन्हें वहाँ से चले जाने को कहा।

इतनी शांत रहने वाली पूजा का यह रूप देख सब वहाँ निशब्द खड़े रहे, पूजा के माँ बाप चाह कर भी उसे ना रोक पाये थे क्योंकि वो जानते थे कि उनकी बेटी सही कह रही है। रोहन व उसके माता पिता तुरंत वहाँ से चले गये थे, कमरे में सन्नाटा सा छाया हुआ था। पूजा अपने पिता की तरफ देख हल्की सी मुस्कान दे रसोई की तरफ चली गयी थी। आज पूजा के माता पिता गौरान्वित महसूस कर रहे थे।


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