mona kapoor

Drama Romance

4.8  

mona kapoor

Drama Romance

कलंक नहीं इश्क़ है काजल पिया

कलंक नहीं इश्क़ है काजल पिया

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"सुनो रौशनी , ज़रा बताना तो वो पूजा के फूलललल... हाय.. आज तो चांद खुद उतर आया है इस जमीं पर,"कहते हुए सूरज ने अपना सिर धम से दरवाजे की चौखट पर लगा टुकुर टुकुर रौशनी को प्यार भरी निगाहों से देखता रहा। 


अरे!अरे! संभालिए खुद को सूरज,क्या कर रहे हैं..सिर पर चोट लग जाएगी"..अपने झुमके बंद करते हुए रौशनी शीशे में से सूरज को देखते हुए बोली।


"कैसे संभालू खुद को तुम ही बताओ ना..जब इतनी सुंदर बीवी होगी तो कोई भी खुद कोनहीं संभाल पाएगा मेरी मोहतरमा जी और वैसे चेहरा बड़ा दमक रहा है आज आपका ,किस चीज़ का असर है मुझे तो बता दीजिये"।"अच्छा जी,ऐसा क्या.. बहुत रोमांस जाग रहा है आज"।खुद को शीशे में निहारते हुए रौशनी उठी और अपने बाहों का हार सूरज के गले में डालते हुए बोली "किसी चीज़ का असरनहीं ं,यह तो आपके प्यार का असर है जिसने मेरी पूरी ज़िंदगी को महका दिया है..नहीं तो मेरा जीवन तो"!इससे पहले की रौशनी कुछ बोलती सूरज ने अपनी ऊँगली उसके होठों पर रखकर उसे चुप करवा दिया। "कितनी बार कहा है! बीती बातों को भूल जाओ,वो अतीत था बीत गया.. आज जब हम साथ है तो हमारे प्यार के आगे बीता हुआ कल कोई मायनेनहीं ं रखता..जिस तरह सूरज का उसकी रौशनी के बिना कोई अस्तित्वनहीं रहता उसी तरह हम दोनों भी एक दूजे बिना शून्य है...तुम मेरी हो ओर हमेशा मेरी रहोगी..कहते हुए सूरज ने बड़े ही प्यार से रौशनी का माथा चूमा ओर उसे आलिंगन में ले लिया।


अपने प्यार की दुनिया में दोनों खोए थे कि अचानक से आई माँ की आवाज़ सुन दोनों ही हड़बड़ा गए। "वैसे आप यहां क्या पूछने के लिए आए थे?", रौशनी ने खुद को जल्दी से सूरज के आग़ोश से निकाला और अपने बाल सही करने लगअरे! मैं तो पूछने आया था कि "पूजा के फूल कहां है वो पंडितजी आते ही होंगे,सत्यनारायण जी की पूजा करने,लेकिन तुम हमेशा मुझे कोई काम कभी समय सेनहीं करने देती,अभी जाकर माँ को बताता हूं कि जिस नई बहू के आने पर उन्होंने घर में पूजा रखवाई है ना,उसी की वजह से सारा काम लेट हो रहा है"।


"ओहहो, हो,हो,हो क्या बात जी क्या बात "यह रहे फूल आप इन्हें लीजिए ओर जाइये" रौशनी ने हंसते हुए सूरज के हाथों में फूलों की टोकरी थमा दी।


"कोईनहीं ं.. जाता हूं, जाता हूं।वैसे भी तुम्हारी वजह से मुझे बहुत देर होगयी है,अब माँ अपनी लाड़ली बहू को तो कुछ कहने वाली हैनहीं ,मैं बेचारा हर,काम का मारा"। इसी बात पर अगर फिर एक बार कोई थोड़ा सा प्यार कर देता तो ..कहते हुए जैसे ही सूरज रौशनी को अपने गले लगाने के लिए आगे बढ़ा, तुरंत रौशनी ने उसे प्यार से धक्का देते हुए उसे कमरे से बाहर निकाल दिया"अच्छा जाता हूं, जाता हूं।तुम भी जल्दी आना और हाँ, याद है ना?।


"जी,याद है बिल्कुल याद है,आँखों में काजल लगा लूंगी पहले पूरा तैयार तो हो जाऊं,अब आप जाइये, मैं भी बस आरही हूं।पूजा शुरू होने वाली है"।


सूरज को भेजकर रौशनी खुद को आईने में निहारने लगी थी।कैसा अजीब खेल खेला था ज़िंदगी ने उसके साथ, कभी सोचा न था कि उसकी मांग में सूरज के नाम का सिंदूर सजेगा। आज दिमाग ने फिर दिल का साथ देना छोड़ दिया था इसीलिए धीरे धीरे रौशनी फिर अतीत की यादों में डूबती जा रही थी।"अरे!यह रोहित का नम्बर कवरेज क्षेत्र के बाहर क्यों जा रहा है,कहाँ है वो?" आज कॉलेज का आखिरी दिन था और रोहित का कुछ अता पता हीनहीं ं था।दिमाग में उथल पुथल सी मची हुई थी।व्हाट्सएप काल भी ट्राय किया,और कितने मैसेजस भी किये लेकिन किसी का भी जवाबनहीं ं।कहाँ है?कैसा है?कही किसी मुसीबत में तोनहीं ं?कही उसे कुछ हो तोनहीं गया? हे भगवान!नहीं ...नहीं। खुद ही सवाल व खुद ही जवाब देने जैसी मनोस्थिति सी हो गई थी रौशनी की। कही ढूंढने भी तोनहीं जा सकती, घर में अगर लेट पुहंची तो क्या जवाब दूँगी माँ-पापा को? कि कहां थी इतनी देर से.. माना कि आज कॉलेज का आखिरी दिन था तो दोस्तों से मिलते मिलते लेट हो गई, लेकिन कितना लेट होगी।नहीं ...नही...नही। क्या करूँ? बहुत दिमाग लगाने के बाद भी रौशनी खुद को असहाय ही महसूस कर रही थी इसीलिए अपनी स्कूटी से वापिस घर को लौट पड़ी।


अरे! रौशनी बेटा..आगयी..कैसा रहा आज कॉलेज का आखिरी दिन?चाय पी रहे माँ-पापा ने बड़ी ही दिलचस्पी दिखाते हुए पूछा। चेहरे पर झूठी मुस्कान के साथ हल्की सी गर्दन हिलाकर रौशनी दिन अच्छा होने का प्रमाण देकर चुपचाप अपने कमरे में चली गई थी।

"इसे क्या हुआ?"

 "अरे!कुछनहीं , आज कॉलेज का आखिरी दिन था ना तो हो सकता है थोड़ी भावुक हो गयी हो।थोड़ा समय लगेगा रौशनी को यह सब एक्सेप्ट करने में"।"जी,सही कह रहे हैं आप! अब तो मै कहती हूं कि आप इसके लिए लड़का देखना शुरू कर दीजिए,वैसे भी हमारी दिल्ली में अच्छे लड़को की कमी नहीं है।कॉलेज की पढ़ाई भी पूरी हो गई है इसलिए एक अच्छा सा लड़का देखकर बस बिटियां के हाथ पीले कर दीजिए ताकि हमारी पहली जिम्मेदारी तो पूरी हो जाए,रही बात छोटी की तो वो तो अभी बहुत छोटी हबिल्कुल सही कहा रौशनी की माँ तुमने,"तुम्हें याद है मेरे ऑफिस में जो मेरे सहकर्मी है मल्होत्रा जी,उनका बेटा सूरज एब्रॉड से पढ़ाई करके आया है और यहां किसी अच्छी मल्टीनेशनल कंपनी में एक अच्छे पद पर भी है, तुम कहो तो अपनी रौशनी के लिए उनसे बात करूं।और वैसे भी पिछले हफ़्ते जब मै उन्हें अपने मोबाइल पर हमारी फैमिली फ़ोटो दिखा रहा था उन्हें देखते ही हमारी रौशनी पसन्द आगयी थी"जी..जी..बिल्कुल।अच्छे रिश्ते बार-बारनहीं मिलते आप आज ही उनसे बात कीजिए और उनके बेटे की फ़ोटो मांग लीजिए, ताकि रौशनी को दिखाकर बात कर सके।


इधर रौशनी के माँ-पापा भविष्य में उसके लिए कुछ बेहतर करने की सोच रहे थे उधर कमरें में रौशनी अपने अन्य दोस्तों से रोहित के बारे में पूछने पर भी कुछ पता न चलने के कारण सारी उम्मीद खो बैठी थी। खिड़की के पास बेसुध सी बैठी हुई रौशनी बस बाहर की दुनिया को में अपनी खोई हुई दुनिया ढूंढने की कोशिश कर रही थी कि तभी अचानक से मोबाइल पर आए रोहित के मैसेज ने उसकी खोई हुई मुस्कान लौटा कर उसे चिंतामुक्त कर दिया था।


"हे रौशनी ! आय एम फाइन, आय वास् स्टक इन सम वर्क एंड आल्सो देयर वास् सम नेटवर्क इश्यूज,सो आय विल काल यूं लेटर"।


"इतना फॉर्मल मैसेज!मैंने उसे इतने काल किये, इतने मैसेजस भी ड्राप किये.. उसका जवाब आया तो यह वो भी इतनी देर से, उसी समय जवाब दे देता तो क्या हो जाता।ऊपर से आज वो कॉलेज के आखिरी दिन आया भीनहीं जबकि अच्छे से जानता था कि आज के बाद मेरा उससे मिलना मुश्किल होगा,फिर भी।खैर कोई नहीं ,हो सकता है कि कोई ज़रूरी काम पड़ गया होगा नहीं तो मेरा रोहित ऐसा नहीं है"।थैंक यू भगवान जी..थैंक यू।मेरा रोहित ठीक मेरे लिए यही काफी है।चिड़िया सी चहकती हुई रौशनी पूरे घर में झूमने लगी।अपनी बेटी को खुश देखकर उसके माँ-पापा भी खुश हो गए।


कॉलेज बंद हुए चार दिन बीत चुके थे,सब सही था।जब जब रौशनी रोहित को मैसेज करती वह लेट ही सही उसके मैसेज का रिप्लाई कर देता, लेकिन फ़ोन पर बात नहीं हो पा रही थी क्योंकि रोहित अपने पापा का बिज़नेस संभालने में हाथ बंटाने लगा था।आज दोपहर के खाने की टेबल पर रौशनी के माँ-पापा ने उसकी शादी की बात छेड़ दी थी व उन्होंने सूरज की फ़ोटो अपने मोबाइल पर निकालकर रौशनी को दिखाकर उससे उसकी पसंद जाननी चाही लेकिन रौशनी ने मुंह नीचा कर अपनी आँखे ही बंद कर दी लेकिन मन मे एक बवंडर सा उमड़ गया था।"आखिरकार वह रोहित के सिवाय किसी ओर से शादी करने का कैसे सोच सकती है। लेकिन माँ-पापा को यह बात कैसे बताएगी वो कि वो किसी ओर से प्यार करती है और उसी से शादी करना चाहती है। आखिर क्या कमी है उसके रोहित में, वो सारे गुण हैं जो एक अच्छे दामाद में होने चाहिए।लेकिन यह सब करने से पहले उसे रोहित से बात करनी चाहिए कि वो यहां आए और हमारी शादी की बात करें"।ऐसा सब सोच रौशनी चुपचाप उठी व निःशब्द सी अपने कमरे की ओर तेजी से दौड़ गई लेकिन उसके माँ-पापा की नज़र में यह उनकी बेटी का शर्मीलापन कमरे में जाकर तुरंत उसने रोहित को फ़ोन लगाया लेकिन हर बार की तरह आज भी उसकी रोहित से बात नहीं हुई, इसीलिए रौशनी ने उसे मैसेज किया "मुझे तुमसे बात करनी है रोहित, प्लीज काल मी"।


लगभग पंद्रह मिनट बाद रोहित का फोन आया।


"हेलो रौशनी ! क्या हुआ?प्लीज जल्दी बताओ, मैं बहुत बिजी हूं"।


"रोहित!बहुत बड़ी प्रॉब्लम आगयी है, मेरे माँ-पापा ने मेरे लिए कोई सूरज नाम का लड़का पसन्द किया है,और अब वो मेरी शादी उससे करवाना चाहते हैं।तुम प्लीज यहां आ जाओ ना हमारी शादी की बात उनसे करने,मुझे पक्का यकीन है वो ज़रूर मान जायेगे"


"एक मिनट.. एक मिनट! रौशनी , यह तुम क्या कह रही हो?हमारी शादी.. तुम्हारा दिमाग तो ठीक है ना?कौन सी दुनिया में खोई हुई हो तुम? शादी, वो भी तुमसे नो वेय"।

"यह क्या कह रहे हो तुम रोहित!यह कोई मज़ाक का टाइम नहीं है, प्लीज बी सीरियस।जब दो लोग एक दूसरे से प्यार करते हैं तब वो शादी ही तो करते हैं।मैं तुमसे प्यार करती हूं, और तुम…"।


"हेल्लो .. हेल्लो … हेल्लो ।तुम मुझसे प्यार करती हो लेकिन इसका मतलब य हनहीं की मै भी तुमसे प्यार करता हूँ, वी आर जस्ट फ्रेंड्स यार"।




"फ्रेंड्स, व्हाट डू यू मीन बाय फ्रेंड" कॉलेज में तीन साल साथ रहे, साथ घूमे-फिरे, साथ खाया -पीया, साथ ही पढ़े।यह प्यारन हीं था, तो क्या था?हाँ, वो अलग बात है कि आज तक हमने अपने प्यार का इज़हार नहीं किया, लेकिन अब तो कर सकते हैं ना।इसीलिए प्लीज, चलो ना..अपने रिश्ते को नया नाम देते हैं"।




"ओह्ह गॉड, साथ उठने-बैठने, पढ़ने व घूमने को तुमने प्यार समझ लिया तो यह तुम्हारी गलती है।मैंने कभी तुम्हे ऐसी नजर से नहीं देखा..अगर देखा होता तो कब का इस रिश्ते को नाम दे दिया होता।और दूसरी बात मैं जिससे प्यार करता हूँ ना उसे तो कब का अपने घर वालों से मिलवा चुका हूं और अब अच्छे से सेटल होकर उसी के साथ अपना जीवन बिताना चाहता हूं।इसीलिए तुम्हें भी यही सलाह दूँगा कि तुम भी अपने मम्मी पापा के द्वारा तुम्हारे लिए पसन्द किए गए जाने वाले लड़के से शादी कर लो,उन्होंने कुछ बेहतर ही चुना होगा ओर अपनी लाइफ में मूव आन करो।और हमारी दोस्ती कॉलेज तक ही थी इसीलिए मुझे कभी फ़ोन नहीं करना"।


"हेल्लो … ..रोहित सुनो तो",इससे आगे रौशनी कुछ कहती रोहित फ़ोन काट चुका था।बाद में भी उसने रोहित को बहुत बार फ़ोन लगाया और बहुत से मैसेजस भी किये लेकिन रोहित ने कभी कोई जवाब नहीं दिया।दिन बीतते गए ,रौशनी अकेले में बेसुध सी बैठी रहती, माँ-पापा के आगे झूठी हँसी दिखाने की अब हिम्मत न थी, जीवन का कोई मोल न था।कल सूरज और उसके घरवाले रौशनी को देखने आने वाले थे, लेकिन कैसे??कैसे??वो सबको अंधेरे में रख सकती है?जिसकी सारी खुशियाँ खत्म हो गई हो वो कैसे इस नए रिश्ते को खुशियों से भरेगी?नहीं हो पायेगा उससे.. ऐसा सोच कर वो शाम को निकल पड़ी थी अपने जीवन को खत्म करने..नहीं हो पायेगा उससे..नहीं जी सकती वो दोहरा जीवन, इसीलिए उसका मरना ही बेहतर होगा।आत्महत्या करने जैसी नकारात्मक सोच के साथ पुहंच गयी थी तेज बहाव वाली नदी के पुल के ऊपर और रोहित के साथ बिताए हर एक पल को फिर से जीकर उन यादों को समेटकर कूदने ही वाली थी कि अचानक से एक फरिश्ते के हाथ ने उसके हाथ को ज़ोर से पकड़कर अपनी ओर खींच लिया और अपने सीने से लगा लिया।


अरे लड़की!पागल हो क्या तुम?दिमाग तो ठीक है तुम्हारा?पता भी है क्या करने जा रही थी?क्या हुआ?


रौशनी फूट-फूट कर रोने लगी थी लेकिन जैसे ही यह आभास हुआ कि वो किसी के दिल की धड़कनों को सुन रही है वो तुरंत पीछे हट गई और वहां से भाग गई,लेकिन उसकी भारी आंखों में एक धुंधली सी छवि बस गयी थी और कानों में बोले जाने वाले शब्द रिकॉर्ड हो चुके थे।



अगले दिन रौशनी को देखने मल्होत्रा जी अपने परिवार सहित घर पधार गए थे, दोनों परिवारों की तरफ से तो रिश्ता पक्का ही था लेकिन लड़का-लड़की की आपसी सहमति भी ज़रूरी थी इसीलिए उन्हें अकेले में बातचीत करने का मौका दिया गया।


"हेल्लो , माय नेम इस सूरज।अब कैसी है आप?"


यह आवाज़ रौशनी को कुछ जानी पहचानी सी लगी..जैसे ही उसने मुँह उठाकर देखा तो सामने एक हट्टा कट्टा स्मार्ट नौजवान अपने सामने पाया, कल वाली धुंधली छवि आज स्पष्ट थी लेकिन क्या यह वही है या कोई ओर.. अजीब कश्मकश थी।


"हेल्लो , माय नेम इस सूरज।अब कैसी है आप? "सूरज ने फिर दोहराया।


"हेल्लो ,मैं रौशनी ….अब ठीक हूं,लेकिन आप कैसे?"


"ओह्ह, गुड।वैसे कल आप वो सब क्या करने जा रही थी?ह्म्म्म..लगता है कोई लव शव का मामला है,"

हँसते हुए सूरज बोला।

"लेकिन एक बात कहूं आपको मुझे नहीं पता कि मैं आपको पसंद आयूंगा या नहीं ..नहीं पता हमारी शादी होगी या नहीं ..नहीं जानता आपके साथ क्या हुआ..लेकिन एक सलाह दूँगा यह जो कल आप करने जा रही थी ना वो बहुत गलत था क्योंकि एक ऐसे इंसान के पीछे आप आत्महत्या करके अपने माता-पिता को ज़िंदगी भर का गम देने वाली थी, इसमें उनका क्या कसूर है।"


"इश्क़ तो एक खूबसूरत सा एहसास है, दो दिलों के बंधन का ज़रिया है।एक तरफा इश्क़ कोई इश्क़ नहीं बल्कि कुछ ऐसे क़िस्सों को अंजाम देता है जिनकी वजह से इश्क़ का नाम कलंकित होता है,और यह इश्क़ कलंकनहीं बल्कि आँखों का काजल है,जिस तरह आँखे बिन काजल सूनी है उसी तरह ज़िंदगी सच्चे इश्क़ बिना" सॉरी, अगर कुछ ज्यादा बोल गया हो तो"


अब हो गया हो तो चले, सब इंतजार कर रहे हैं…..रौशनी … रौशनी ।पंडित जी आगये है.. कहां खो गई,कितनी देर से तुम्हें पुकार रहा हूं। सूरज ने थोड़ी तेज़ी से रौशनी के कंधे को झटकाया ओर वह अतीत की यादों से बाहर निकल गयी।अरे! सूरज आप,कुछ नहीं बस यूंही। देखिए कैसी लग रही हूं?


हमेशा की तरह बहुत खूबसूरत.. कहते हुए सूरज ने रौशनी की आंख से काजल का टीका लेकर उसके कान के पीछे लगा दिया।


सूरज,आप भी ना, यह करना कभी नहीं भूलते।


अरे!कैसे भूल सकता हूं,मुझमें तुम हो, तुममें मैं हूं और यह काला टीका हमारे प्यार को नज़र से बचाएगा।अब मैं काला टीका लगाते हुए कैसा लगूँगा..कहते हुए सूरज ठहाका लगाते हुए हँसने लगा।


सूरज!आप भी ना….रौशनी भी हँसी और दोनों पूजा में बैठने के लिए कमरे से निकल पड़े।



















 











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