अक्षिता अग्रवाल

Drama Romance

4.3  

अक्षिता अग्रवाल

Drama Romance

मेरे बचपन का प्यार (भाग 5)

मेरे बचपन का प्यार (भाग 5)

6 mins
281


प्रतीक को अंधेरे में अचानक गिटार की धुन सुनती है। गिटार कौन बजा रहा है, यह जानने के लिए प्रतीक जैसे ही वापस पीछे मुड़ता है तो, देखता है कि, एक बड़ी-सी कुर्सी पर परिधि हाथों में गिटार लेकर बैठी है और सिर्फ़ उसके ऊपर एक लाइट पड़ रही है। प्रतीक परिधि से कुछ पूछने ही वाला होता है कि, परिधि गाना गाना शुरु कर देती है। गाना सुनते ही प्रतीक हैरान रह जाता है क्योंकि, परी भी वही गाना गा रही थी जो, अक्सर वह उसके लिए गाया करता था।


जब कोई बात बिगड़ जाए,

जब कोई मुश्किल पड़ जाए

तुम देना साथ मेरा,

ओ हमनवा..

जब कोई बात बिगड़ जाए,

जब कोई मुश्किल पड़ जाए

तुम देना साथ मेरा,

ओ हमनवा..

ना कोई है, ना कोई था,

ज़िन्दगी में तुम्हारे सिवा

तुम देना साथ मेरा,

ओ हमनवा…

तुम देना साथ मेरा,

ओ हमनवा…

हो चाँदनी जब तक रात,

देता है हर कोई साथ

तुम मगर अन्धेरों में,

ना छोड़ना मेरा हाथ

जब कोई बात बिगड़ जाए,

जब कोई मुश्किल पड़ जाए

तुम देना साथ मेरा,

ओ हमनवा..

ना कोई है, ना कोई था,

ज़िन्दगी में तुम्हारे सिवा

तुम देना साथ मेरा,

ओ हमनवा…

वफ़ादारी की वो रस्में,

निभाएँगे हम तुम कसमें

एक भी साँस ज़िन्दगी की,

जब तक हो अपने बस में

जब कोई बात बिगड़ जाए,

जब कोई मुश्किल पड़ जाए

तुम देना साथ मेरा,

ओ हमनवा..।

ना कोई है, ना कोई था,

ज़िन्दगी में तुम्हारे सिवा

तुम देना साथ मेरा, ओ हमनवा…


परिधि गाना खत्म करते ही गिटार को कुर्सी के साइड में रखकर प्रतीक के पास आती है और अपने घुटनों पर बैठ जाती है। प्रतीक उसे ऐसे देख हैरान रह जाता है। उसे समझ ही नहीं आता कि, यह सब हो क्या रहा है। वह फिर से कुछ पूछने ही वाला था कि, परिधि उसे रोकते हुए कहती है, “रुको प्रतीक, मुझे पता है कि, तुम्हारे मन में बहुत सारे सवाल हैं। मैं तुम्हारे सारे सवालों का जवाब दूंगी पर पहले मुझे तुमसे कुछ कहना है।”

परिधि: आई लव यू प्रतीक। तुम ही मेरा पहला प्यार हो। प्रतीक मेरे लिए भी, ना कोई है, ना कोई था ज़िंदगी में तुम्हारे सिवा। मैं मानती हूँ प्रतीक कि, मैंने पहले ऐसा कभी नहीं जताया पर मैंने हमेशा सिर्फ तुमसे ही प्यार किया है। प्रतीक हमेशा से मैं बस यही चाहती थी कि, हम दोनों अपनी ज़िंदगी में एक मुकाम हासिल कर लें और अब जब हम दोनों ने ही अपनी-अपनी ज़िंदगी में एक मुकाम हासिल कर ही लिया है तो क्या आगे की बाकी ज़िंदगी तुम मेरे साथ बिताना चाहोगे? तुम मेरे हमसफ़र बनोगे प्रतीक?

प्रतीक को तो जैसे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि यह सब हो क्या रहा है? प्रतीक परिधि से पूछता है, “परी तुम मुझसे प्यार करती हो पर तुमने तो कहा था ना कि, तुम वह मनीष को.............।

परिधि:  मैं किसी मनीष वनीष से प्यार नहीं करती। प्रतीक मैं हमेशा से तुमसे ही प्यार करती हूँ। वह सब तो मैंने तुम्हें चिढ़ाने के लिए कहा था बस। वो क्या है ना कि, मैं वाइफ बनने की थोड़ी-सी प्रैक्टिस कर रही थी। बस, तुम्हें थोड़ा-सा परेशान करना चाहती थी ताकि तुम्हें अभी से आदत हो जाए। और अब तो तुमने एक ट्रेलर भी देख लिया है कि, मैं कैसी वाइफ बनूँगी। अब तुम बाद में ये नहीं कह सकते कि, अगर मुझे पता होता कि तुम मुझे इतना परेशान करोगी तो मैं तुमसे कभी शादी ही नहीं करता। इसीलिए अब सोच समझ कर जवाब देना कि, क्या तुम मेरे हमसफ़र बनना चाहोगे? अपनी पूरी ज़िंदगी मेरे साथ यानी कि अपनी बंदरिया के साथ बिताना चाहोगे बोलो मेरे बंदर?

प्रतीक: हाँ, मेरी बंदरिया। तुम चाहे मुझे कितना भी परेशान क्यों ना करो पर फिर भी मैं अपनी पूरी ज़िंदगी खुशी-खुशी तुम्हारे साथ बिताना चाहूँगा। मैं तुम्हारा हमसफ़र बनने के लिए तैयार हूँ परी। आई लव यू टू। आई लव यू सो मच। बस अब तुम खड़ी हो जाओ परी वरना तुम्हारे घुटनों में दर्द हो जाएगा। वैसे भी ऑलरेडी तुम्हारी हाइट मुझसे छोटी है और घुटनों पर बैठकर तो तुम बहुत ही ज़्यादा छोटी लग रही हो तो खड़ी हो जाओ।

प्रतीक ऐसा कहकर परिधि को खड़ा कर देता है तो, परिधि उसे फिर से चढ़ाते हुए कहती है, “ओ हेलो, मैं तो आज पहली और आखिरी बार ही घुटनों पर बैठी हूँ समझे। अब यह सब करना तो तुम सीखो क्योंकि, शादी के बाद अगर तुम से कोई गलती हो जाए तो तुरंत मुझसे माफी माँग लेना और अगर कभी मेरी गलती हो तो भी तुरंत, इसी तरह से घुटनों पर बैठकर मुझ से माफी मांँग लेना समझे।”

प्रतीक परिधि की बात सुनकर हँस पड़ता है और परिधि को अपनी बांहों में भर लेता है। तभी अचानक से सारी लाइट्स जल जाती हैं और सभी लोग तालियाँ बजाने लगते हैं। तभी वह देखता है कि, परिधि और उसकी दोनों की मम्मी अपने साथ एक पंडित जी को लेकर अंदर चली आ रही हैं। उसे पंडित जी को देखकर थोड़ी-सी हैरानी होती है। परिधि उसकी हैरानी को भांप लेती है और कहती है, “ज़्यादा कुछ मत सोचो मेरे बंदर। आज हम दोनों की सगाई है। हम दोनों की फैमिली ने सब कुछ पहले ही डिसाइड कर लिया था। वरना तुम्हें क्या लगा, यहांँ पर ये इतनी बड़ी कुर्सी क्या अकेले मेरे बैठकर गाना गाने के लिए लगाई गई है? तुम्हें इतनी मोटी लगती हूँ मैं? यह हम दोनों के बैठने के लिए है। आज हमारी सगाई है। समझे।”

प्रतीक:  हाँ, समझ गया। सब समझ गया कि, सभी लोग मिलकर मुझे परेशान करने की प्लानिंग में लगे हुए थे। तुम्हें पता है तुमने मुझे कितना परेशान कर दिया। क्या ज़रूरत थी यह सब करने की? मैं तुम्हें आज प्रपोज़ करने ही वाला था लेकिन..........।

परिधि:  लेकिन क्या? मैंने प्रपोज़ कर दिया तो प्रॉब्लम ही क्या है इसमें? मैं आज के जमाने की लड़की हूँ। क्या मैं तुम्हें प्रपोज़ नहीं कर सकती? और वैसे भी तुम ठहरे एक बोरिंग इंसान आकर सीधा-सीधा प्रपोज़ कर देते। अरे! सीधे-सीधे क्या प्रपोज़ करना। सीधा-सीधा अपने प्यार का इज़हार कर देने में क्या मज़ा। हमारी भी तो एक लव-स्टोरी होनी चाहिए ना। जब मैंने अपने मम्मी-पापा को तुम्हारे बारे में बताया तो, वह खुशी-खुशी मान गए। फिर मैंने सोचा, हम अपने बच्चों को हमारी क्या लव-स्टोरी सुनाएंगे फ्यूचर में? अब मैं उन्हें बता पाऊँगी ना कि, मैंने कैसे उनके पापा को परेशान किया था। हा_ हा_ हा......।

प्रतीक: हद है यार। तुम भी ना परी। वैसे मैं तो बस यह पूछना चाहता था कि........

जारी!!!!


दोस्तों, कैसा लगा आप लोगों को परिधि का सरप्राइज़? मुझे तो बहुत अच्छा लगा। आप लोगों को अच्छा लगा या नहीं यह मुझे अपनी समीक्षाओं में बताइएगा। प्रतीक और परिधि की थोड़ी-सी खट्टी-मीठी नोकझोंक के साथ यह प्यार भरी कहानी अभी थोड़ी-सी और बाकी है। आप लोग इंतज़ार करिए कहानी के अगले यानी की छठे भाग का। मैं जल्दी ही वापस आऊँगी कहानी के अगले भाग के साथ।



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