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Dr. Akshita Aggarwal

Drama Romance

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Dr. Akshita Aggarwal

Drama Romance

मेरे बचपन का प्यार (भाग 7)

मेरे बचपन का प्यार (भाग 7)

8 mins
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छत पर पहुँचते ही, प्रतीक परिधि को गले लगा लेता है। और खुश होते हुए कहता है कि, “परिधि, मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है कि, हमारी सगाई हो गई है। वैसे एक बात बताओ कि, तुमने मुझे सुबह से इतना परेशान क्यों किया? तुम्हें पता भी है कि, मैं कितना रोया सुबह से। मैंने तो हमेशा-हमेशा के लिए, तुमसे दूर जाने तक का फ़ैसला कर लिया था।”

परिधि: अरे! मैं तो बस तुम्हें थोड़ा-सा सताना चाहती थी। अब तुम इतनी दूर तक का सोच लोगे मुझे क्या पता था।

प्रतीक: पता है, मुझे कार में कैसी फीलिंग आ रही थी। तुम्हारे वो अरिजीत सिंह का गाना (मैं फिर भी तुमको चाहूँगा) सुनकर मुझे लग रहा था कि, कल से मुझे भी बस यही गाना गाना पड़ेगा। मैंने तो उसे ना जाने क्या-क्या सुना दिया था मन-ही-मन में।

परिधि: (हंँसते हुए) अच्छा, तो तुम मन-ही-मन में मेरे फेवरेट सिंगर की बुराई कर रहे थे?

प्रतीक: नहीं...... वो.....मैं तो बस......।

परिधि: अरे! अरे! घबराओ मत। जाओ तुम्हें माफ़ किया। वैसे भी मेरे फेवरेट सिंगर तो तुम हो। तो, अब तुम बाकी किसी की भी बुराई करो। मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता।

परिधि के ऐसा कहते ही प्रतीक खुश हो जाता है और कहता है, “मेरी फेवरेट सिंगर भी तुम ही हो आज से। मुझे तो पता ही नहीं था कि, तुम इतना अच्छा गाना गा सकती हो। वाओ, यार, टू गुड।

परिधि: वो सब तो ठीक है। पर, तुमने आज मेरे लिए कोई गाना नहीं गाया। एक गाना गा दो ना मेरे लिए। प्लीज़।

प्रतीक: ओके! मैंने भला तुम्हारी कोई बात टाली है कभी आज तक। तो, आज कैसे मना कर सकता हूंँ। रुको एक मिनट। मैं नीचे जाकर अभी सबसे छुपकर गिटार लेकर आता हूंँ।

प्रतीक कुछ ही देर बाद, गिटार लेकर आ जाता है। और परिधि के लिए एक खूबसूरत-सा गाना गाता है।


जिस सुबह मैं तुझे एक नज़र देख लूँ

सारा दिन फिर मेरा अच्छा गुज़रता है

हर किसी के लिये ये धड़कता नहीं

बस तुझे देख कर दिल धड़कता है

मेरी हर बात में ज़िक्र तेरा करूँ

तेरी तारीफ़ से चाँद नाराज है

चाँद नाराज है, चाँद नाराज है

चाँद नाराज है, चाँद नाराज है

तेरी परवाह करूँ या करूँ चाँद की

क्या करूँ मैं अगर चाँद नाराज है

इश्क़ पहला भी तू, इश्क़ आखर भी तू

तुझ पे दिल आ गया दिल दगाबाज़ है

एक फीसद भी वो तेरे जैसा नहीं

बस यही सोच कर चाँद नाराज है

चाँद नाराज है, चाँद नाराज है

चाँद नाराज है, चाँद नाराज है

हाँ जरूरत से भी ज्यादा तेरी जरूरत है

तू ही दिल की मेरे पहली मोहब्बत है

इश्क़ ज्यादा से भी ज्यादा तुझसे मैं करता हूँ

कुछ ना कुछ है वजह तेरी ही हरकत है

दिल मेरा पल में हर फैसला कर गया

बस तुझको देखा फिर तुझ पे मर गया

धड़कनों को मेरी दिल सुनाता है जो

तुझको मालूम है तू वही साज़ है

चाँद नाराज है, चाँद नाराज है

चाँद नाराज है, चाँद नाराज है

तेरी परवाह करूँ या करूँ चाँद की

क्या करूँ मैं अगर चाँद नाराज है

इश्क़ पहला भी तू, इश्क़ आखर भी तू

तुझ पे दिल आ गया दिल दगाबाज़ है

एक फीसद भी वो तेरे जैसा नहीं

बस यही सोच कर चाँद नाराज है


प्रतीक के गाना खत्म करते ही, परिधि खुशी से उसे गले लगा लेती है। फिर वो प्रतीक को अपने साथ एक बड़े-से आईने के सामने लेकर जाती है और उससे कहती है, “देखो कहा था ना मैंने, मैं जिससे अपने प्यार का इज़हार करूंगी। मैं जब भी उसके साथ खड़ी होऊँगी तो, सब यही कहेंगे कि, हम दोनों की जोड़ी से अच्छी जोड़ी तो और किसी की हो ही नहीं सकती। तो, क्या कहते हो तुम?”

प्रतीक: हाँ परी, सही कहा तुमने। हम दोनों की जोड़ी से अच्छी जोड़ी और किसी की हो ही नहीं सकती। आई लव यू परी। आई लव यू सो मच।

परिधि: आई लव यू टू प्रतीक। प्रतीक चलो अब हम मेरा फेवरेट काम करने चलते हैं।

प्रतीक: मतलब, तारे देखने।

परिधि: हाँ, तुम्हें तो पता ही है ना। मुझे तारे देखते-देखते तुमसे बातें करना कितना पसंद है। तो चलो, हम तारे देखते-देखते बहुत सारी बातें करेंगे।

प्रतीक: हाँ, चलो। तारों को देखते-देखते मैं अपने चाँद को भी निहार लूंगा और उसके साथ अपने फ्यूचर की थोड़ी-सी प्लानिंग भी कर लूंँगा।

परिधि: कैसी प्लानिंग? प्लानिंग तो हमने बचपन से ही की है। अब तो उसे पूरा करने का समय आ गया है।

प्रतीक: मतलब....?

परिधि: मतलब यह है कि, मैं तो हमेशा से ही सोचती थी। जब मैं तुमसे शादी करूँगी तो, हम अपने घर में कभी भी लौकी की सब्जी नहीं बनाया करेंगे। क्योंकि, मैं तो खाती नहीं और मेरी वजह से फिर तुम्हें भी लौकी नहीं खाना पड़ेगा ना।

प्रतीक: हाँ, सही कहा तुमने। थैंक यू सो मच। वैसे जब तुम्हें खाँसी या जुकाम होगा ना तो मैं भी तुम्हें हनीटस की मीठी-मीठी टाॅफी खिला दिया करूँगा। जिससे तुम्हारी खाँसी बिल्कुल ठीक हो जाया करेगी और तुम्हें कड़वा काढ़ा भी नहीं पीना पड़ा करेगा।

परिधि: मुझे नहीं.... तुम्हें। मैंने कब कड़वा काढ़ा पीया आज तक। हमेशा तुम ही तो पीते थे। लेकिन, एक बात है। जब कभी तुम बीमार होओगे ना, तो मैं तुम्हें दलिया ही बनाकर खिलाऊंँगी और वो दलिया तुम ही खाया करोगे ना कि मैं। समझ गए?

प्रतीक: नहीं परी....। तुम ऐसा नहीं कर सकती। मुझे तो दलिया खाना बिल्कुल पसंद नहीं है। मैं नहीं खाऊँगा।

परिधि: अच्छा, मेरे बंदर। गुस्सा मत होओ। मैं तुम्हें खिचड़ी बनाकर खिला दिया करूँगी। वो तो तुम्हें पसंद है ना। उससे तुम्हारा बुखार भी ठीक हो जाया करेगा। ठीक?

प्रतीक: हाँ, यह ठीक रहेगा। थैंक यू सो मच।

परिधि: वैसे तुम मुझसे कहा करते थे कि, मैं बड़े होकर जितना चाहूँ उतना चॉकलेट पाउडर अपने दूध में मिलाकर पी सकती हूँ और तुम मुझे बिल्कुल भी नहीं डाँटा करोगे। तुमने वादा किया था और अब उस वादे को निभाने का वक्त आने वाला है। तुम मुझे डाँटोगे तो नहीं ना....?

प्रतीक: अरे! बाबा। मैं तुम्हें बिल्कुल भी नहीं डाँटूँगा। वो भी, किसी भी बात के लिए नहीं, कभी नहीं। प्रॉमिस। पर, तुम क्या अब भी वो चॉकलेट वाला दूध पिया करोगी? अब तो कुछ समय बाद, हमारी छोटी परिधि आकर चॉकलेट वाला दूध पिया करेगी।

परिधि: अरे हाँ..... वो भी पी लेगी। लेकिन, मुझे भी तो चॉकलेट वाला दूध बहुत पसंद है ना। तो, मैं भी तो पियूंँगी ही ना.....?

प्रतीक: हाँ, बाबा पी लेना। तुम भी ना बिल्कुल छोटी-सी बच्ची ही हो आज तक।

परिधि: हाँ.....वो तो मैं हूँ।

परिधि ऐसा कहकर जैसे ही अपना हाथ थोड़ा ऊपर उठाती है। प्रतीक की नज़र परिधि के हाथ पर पड़ती है।परिधि के हाथ पर एक छोटा-सा कट होता है। जिसे देखकर प्रतीक थोड़ा-सा घबरा जाता है और पूछता है कि, “परी, यह क्या हुआ तुम्हें?”

परिधि: अरे! कुछ नहीं...। बस छोटी-सी चोट है। ऐसे ही लग गई थी घर पर। जल्द ही ठीक हो जाएगी।

प्रतीक: तुम भी ना परी। चोट भी भला ऐसे ही ठीक होती है। इस पर एक बैंडेज नहीं लगा सकती थी? रुको, मैं तुम्हारे हाथों पर रुमाल बांँध देता हूंँ। ऐसा कहकर प्रतीक अपनी जेब में से परिधि का वही गुलाबी रुमाल निकाल कर परिधि के हाथ की चोट पर बांँध देता है। जिसे देखकर परिधि हैरान रह जाती है और प्रतीक से पूछती है कि, “यह रुमाल.... यह तो मेरा रुमाल है। मैं इसे बचपन में स्कूल लेकर जाया करती थी। यह तो खो गया था। तुम्हारे पास कैसे.....?”

प्रतीक: यह बचपन से मेरे पास ही है। परी तुम्हें याद है, एक बार मुझे स्कूल में चोट लग गई थी। तब तुमने यह रुमाल मेरे हाथ पर बांँध दिया था। जब से ही यह रुमाल मेरे पास है।

परिधि: कमाल है और मुझे यह बात पता ही नहीं थी। यह मेरा फेवरेट रूमाल था। पता है, मैं कितना परेशान हो गई थी जब यह रुमाल खो गया था। मुझे तो याद ही नहीं था कि, यह रुमाल गया कहाँ?

परिधि ऐसा कहकर क्यूट-सा फेस बना लेती है। तो, प्रतीक उससे कहता है, “तुम ना कभी भी मैच्योर हरकतें नहीं करती। हमेशा बच्ची बनी रहती हो। मुझे तो कभी-कभी समझ में नहीं आता कि, मुझे प्यार कैसे हो गया तुमसे?”

प्रतीक के ऐसा कहते ही परिधि उसे मारने के लिए प्रतीक के पीछे-पीछे दौड़ती है और कहती है, “अच्छा बच्चू..... मैं बताती हूँ तुम्हें कि तुम्हें मुझसे प्यार कैसे हो गया?”

परिधि: (छत पर रखे एक स्टूल के ऊपर चढ़कर चीखते हुए) इस लड़के को मुझसे प्यार इसलिए हो गया क्योंकि, यह लड़का है ना बच्चों की तरह रोता है। यह भी बच्चों जैसी ही हरकतें करता है और मैं इसे बिल्कुल छोटे बच्चों की तरह ट्रीट करती हूँ। प्यार से चुप कराती.........।

प्रतीक परिधि को स्टूल से नीचे उतारकर हाथ जोड़ते हुए कहता है, “चुप हो जाओ यार.....। चुप हो जाओ। प्लीज़। कोई आ जाएगा वरना।

परिधि: आने दो कोई आता है तो। सुनने दो जिसे जो सुनना है। मैं तो नहीं हो रही चुप। मैं तो सबको बताऊँगी कि, बचपन में तुम कैसी-कैसी हरकतें करते थे बच्चों जैसी और यहाँ तक कि........।

परिधि जब चुप ही नहीं होती तो प्रतीक उसे अपनी बांहों में खींच लेता है और उसके होंठों पर अपने होंठ रख देता है। फिर वह परिधि की आंँखों में देखते हुए कहता है, “तुम्हें पता है परी कि, मैं तुम्हारे सामने ही क्यों रोता हूँ हमेशा? क्योंकि, तुम मेरी हमेशा से ही सबसे अच्छी दोस्त हो। और लड़के हर किसी के सामने नहीं रोते। बस, अपने सबसे अच्छे दोस्त के सामने ही रोते हैं। बस उसी के सामने रोते हैं, जिससे वो बहुत प्यार करते हैं। समझी...?”

परिधि: हाँ, बाबा समझ गई। मैं जानती हूँ कि, तुम मुझसे बहुत प्यार करते हो। मैं भी तुमसे बहुत प्यार करती हूंँ। लव यू। ना कोई है, ना कोई था ज़िंदगी में तुम्हारे सिवा परिधि ऐसा कहकर, प्रतीक की बांहों के घेरे में समा जाती है।

प्रतीक परिधि को अपनी बाँहों में भरते हुए कहता है, “आई लव यू टू परी। लव यू सो मच। मेरी ज़िंदगी में भी कभी भी ना कोई है, ना कोई था तुम्हारे सिवा।

परिधि: और आगे भी कोई नहीं होना चाहिए।

प्रतीक: (हँसते हुए) हाँ, बाबा.... कभी कोई नहीं होगा तुम्हारे अलावा। खुश.....?

परिधि: हाँ, बहुत खुश..।

ऐसा कहकर प्रतीक और परिधि आसमान में तारे देखने लगते हैं और प्रतीक उसका प्यार उसे मिल जाने के लिए मन-ही-मन ईश्वर का धन्यवाद करता है।

समाप्त!!!!


दोस्तों, प्रतीक और परिधि की यह प्यारी-सी कहानी आज यहीं पर खत्म हुई। मैं आगे भी ऐसी ही प्यारी-सी कहानियांँ लेकर जल्दी ही वापस आऊँगी। जब तक के लिए आप लोग इंतज़ार करिए मेरी अगली कहानी का। और मुझे मेरी इस कहानी के लिए अपनी प्यारी-प्यारी सी समीक्षाएँ ज़रूर दीजिएगा। मेरी आगे आने वाली कहानियांँ पढ़ते रहने के लिए, मेरी प्रोफ़ाइल को फॉलो करना मत भूलिएगा।

धन्यवाद



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