Rubita Arora

Tragedy

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Rubita Arora

Tragedy

मेरा गुस्सा

मेरा गुस्सा

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अक्सर जिन्दगी मे हम कई बार ऐसी गल्ती कर देते है जिसका अहसास सिर्फ और सिर्फ पछतावा ही होता है। अस्पताल के बैड पर लेटा मै यही तो सोच रहा था। मेरा कुछ पल का गुस्सा मुझे पूरी तरह से बरबाद कर गया। कल तक तो मै बहुत कुछ कर सकता हूँ यही सोचता था पर आज इतना लाचार हूँ कि बिस्तर से भी अपने आप नही उठ सकता। एक छोटी सी बात पर पिताजी से कहासुनी हो गई। गुस्सा रूपी राक्षस इतनी बुरी तरह सिर चढकर नाच रहा था कि मैने गाडी की चाबी उठाई और निकल पडा १८० की स्पीड पर। पीछे आवाजे लगाती मुझे रोकने की कोशिश करती माँ की भी परवाह नही की। उस समय होश ही कहाँ थी कुछ सोचने समझने की, बस था तो सिर्फ और सिर्फ गुस्सा। जब होश आया तो खुद को अस्पताल के बैड पर खून से लथपथ पाया। माँ पापा के दिल पर क्या गुजरी होगी अपने इकलौते बेटे को इस हालत मे देखकर शायद मै सोच भी नही सकता था उस समय। पिछले २० दिनो से यह बैड मेरा साथी बन चुका है।

नाक की हड्डी टूट गई उसकी सर्जरी हुई है,एक आँख मे कार का शीशा टूटकर इस तरह लगा कि अब उसके ठीक होने की कोई उम्मीद नही है,पैर पर प्लास्टर लगा है और भी न जाने कितनी चोटे। पूरे शरीर मे दर्द ही दर्द हो रहा है लेकिन सबसे ज्यादा दर्द तो दिल मे है। अपने एक पल के गुस्से मे मैने क्या कर दिया। कल तक मॉ पापा की न जाने कितनी उम्मीदे जुडी थी मुझसे और आज मै अपाहिज बनकर उनके सामने पडा हूँ। कुछ नही कहते पापा बिल्कुल खामोश हो गए है, बस थोडी देर बाद सिर पर अपना हाथ रखकर कभी मुझे हिम्मत देते है तो कभी अपने लिए जुटाते है। माँ की आँखो के आँसू तो कभी मुझसे छिप ही नही सकते। अपनी इस गल्ती की सौ बार भी माफी माँग लूँ तो शायद कम है लेकिन मॉ पापा तो माफी माँगने से पहले ही माफ कर चुके है। दिल मे कुछ है उनके तो सिर्फ मेरे लिए प्यार और अब दर्द। मेरा दर्द अब उनकी बन चुका है। उनके चेहरे खामोश होते हुए भी बहुत कुछ बोल रहे हैं। अन्दर ही अन्दर घुटे जा रहेहैं मेरी फिक्र मेंं। मै क्या करूँ? काश कोई मौका मिल जाए अपनी गलती सुधारने का। लेकिन कैसे? किसी ने सच ही कहा है गुस्सा मूर्खता से शुरू होता है और पछतावे पर खत्म होता है। काश! उस वक्त मैने गुस्से को अपने ऊपर हावी न होने दिया होता, काश मैने होश न खोए होते, काश बस काश। ़


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