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Tauseef Ahmed

Abstract

4.0  

Tauseef Ahmed

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मेरा बारिश में भीगना

मेरा बारिश में भीगना

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फिर वही पुराना फ़साना
मुझे तुमसे मोहब्बत और तुम्हारा अनजान बन जाना

मेरा बारिश में भीगना और
तुम्हारा उस तितली वाले छाते के नीचे आशियाना

ख़ामख्वाह ही तुमने उन नादान तितलियों को भिगो दिया
बेरंग हो जाएंगी बेचारी

अब वो तितलियाँ 'तुम'  तो हैं नहीं
जो बेरंग भी खूबसूरत लगेंगी

 


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