मैं जी लूँगा....

मैं जी लूँगा....

2 mins
370


अपने सामान के साथ गुप्ता जी चुपचाप बैठे थे। बेटा उन्हें समझा रहा था।

"पापा मैंने पता कर लिया है। उनके पास ट्रेंड केयर टेकर हैं। यहाँ आप अकेले पड़ जाते हैं। वहाँ सब हमउम्र होंगे। आपको अच्छा लगेगा।"

गुप्ता जी के ज़हन में वह दिन ताज़ा हो गया जब वह अपने बेटे को पहली बार स्कूल ले जा रहे थे।

"वंश बहुत अच्छा स्कूल है। झूले हैं। खिलौने हैं। बहुत सारे बच्चे भी होंगे। उनसे दोस्ती करना।"

वंश ने रोते हुए कहा था। 

"पापा आप मुझे छोड़ कर चले जाएंगे।"

"छोडूंगा क्यों ? जब तुम्हारी छुट्टी होगी तब पापा तुम्हें लेने आएंगे।"

गुप्ता जी तब तक रोज़ ऑफ़िस से कुछ देर की छुट्टी लेकर उसे लेने जाते रहे जब तक वंश का मन स्कूल में नहीं रम गया।

ये सही था कि गुप्ता जी अकेले थे। पर इसकी उन्होंने कभी शिकायत नहीं की। वह समझते थे कि व्यस्त जीवनशैली में यह संभव नहीं था कि कोई हमेशा उनके साथ रहे। वह तो बस इतना ही चाहते थे कि कभी कभार कोई उनका हालचाल ले ले। उनसे कुछ बातें कर ले। लेकिन उन्होंने इसके लिए भी कुछ नहीं कहा। 

उन्हें अब देखभाल की ज़रूरत पड़ती थी। पर उसके लिए तो उनका केयर टेकर था ही। वह उनकी ज़रूरत को सही तरह से समझता भी था।

वह ओल्डऐज होम नहीं जाना चाहते थे। वह मना भी कर सकते थे। किंतु जब उनके घरवालों ने उन्हें भेजने का फैसला कर ही लिया था तो वह भी अवांछित बन कर रहना नहीं चाहते थे। 

बेटा अभी भी उन्हें फायदे गिना रहा था। वह उठे और बोले।

"चलो....मुझे भेज कर तुम्हें भी तो दफ्तर जाना होगा। मैंने तुम्हें ज़िंदगी के लायक बनाया है तो मैं खुद को भी वहाँ ढाल लूँगा।"

गुप्ता जी बिना किसी शिकायत के जाने को तैयार हो गए।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy